प्रस्तुत हुआ नया बजट
तमाम
आशंकाओ और चिन्ताओं के बीच वित्तमन्त्री जसवन्तसिंह
द्वारा प्रस्तुत आम बजट पूरे कूटनीतिज्ञ अन्दाज मे पेश
किया गया। चुनावों की पूर्व बेला पर रेल मन्त्री नितीश
कुमार द्वारा पेश रेल बजट जितना लुभावना था वहीं आम
बजट में ऐसी कोई खूबी नही दृष्टिगत होती। सन २००३–२००४ के लिये ४३ खरब ८७ अरब ९५ करोड़ रूपये का आम
बजट पेश किया गया, जिसमें १५ खरब ३६ अरब ३७ करोड
रूपये का राजकोषीय घाटा दिखाया गया। यह घाटा सकल घरेलू
उत्पाद का ५.६ प्रतिशत है। राजकोषीय
घाटे का निरन्तर बढ़ना देश के सामने सबसे बडी चुनौती
है।
पूर्व बजट में खर्च
को प्रतोत्साहित और बचत को हतोत्साहित करने की जो
प्रवृत्ति रही, जसवन्त सिंह ने उसे जारी ही नही रखा
अपितु आम बजट में और मजबूती प्रदान की। लघु बचत और लोक
भविष्य निधि की ब्याज दरों मे १प्रतिशत की कटौती उन आम
लोगों के लिये कष्टप्रद होगी जो अपनी सीमित आय से
जरूरी कामो के लिये बचत करते थे। इस बजट ने पूर्ववर्ती
वित्त मन्त्रियों के नक्शे–कदम पर चलते हुये खर्च और
कर्ज को प्रोत्साहित ही किया है। पेट्रोलियम मंहगा
होने से आम उपभोक्ता वस्तुएं महंगी होंगी और आम आदमी
की जीवन शैली प्रभावित होगी।
कर्जदारों को कर्ज से
उबारने के लिये कोई योजना नही है। आयकर की सीमा मे
इजा़फा न होने से कर्मचारी हैरानगी महसूस कर रहे हैं।
मन्त्री परिषद के
परिव्यय के लिये ८६ करोड़ ६७ लाख का प्रावधान किया
गया। रक्षा बजट ६५३०० करोड़ रूपये में, जो सकल
घरेलू उत्पाद का २•२५ प्रतिशत है, कोई विशेष
बढ़ोत्तरी नही की गयी।
अमेरिका
में भारतीय हितों के समर्थक सांसदो की लॉबी के
संस्थापक सदस्य फ्रेन्क पालोन ने सुरक्षा परिषद में
भारत की स्थायी सदस्यता के लिये एक विधेयक पेश किया।
प्रख्यात अमेरिकी सांसद का मानना है कि सुरक्षा परिषद
के सभी स्थायी सदस्यों को यह समझना चाहिये कि भारत का
उनके साथ जुड़ना दक्षिण एशिया में एक स्थिर ताकत
स्थापित करेगा एवं शान्ति प्रयासो में मददगार साबित
होगा।
हिमाचल
प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत
हासिल कर भाजपा को ऐसा करारा झटका दिया कि यहाँ औंधे
मुंह गिर पडी। वीरभद्र ५ वीं बार हिमाचल प्रदेश की
मुख्यमन्त्री की कुर्सी पर आसीन हुये। त्रिपुरा में
हमेशा की तरह आतंकवादियो से सांठगाठ के आरोपों के बीच
सम्पन्न हुये चुनाव में वाम मोर्चे ने लगातार तीसरी
बार सत्ता पर पकड़ बरकरार रखी।
बारह
हजार करोड़ के कर्ज में डूबे हुये जम्मू कश्मीर को
वर्तमान वित्त वर्ष में ही बारह अरब रूपये बतौर ब्याज
अदा करना है। राज्य सरकार की माली हालात इतनी खराब है
कि उसे राज्य के बजट के लिये संसाधन जुटाने में एड़ी
चोटी एक करनी पड़ रही है। वह केन्द्र सरकार से व्यापक
स्तर पर सहयोग की सम्भावना पर राज्य का पूर्ण बजट न
पेशकर सिर्फ लेखानुदान मांगे पेश कर रही है।
कश्मीर
घाटी के पुलवामा जिले के शोपिया क्षेत्र के गाँव
मे
आतंकवादियों ने कहर बरसाते हुये चौबीस कश्मीरी पंडितो
की जघन्य हत्या कर दी। यह नरसंहार ऐसे समय हुआ जब
सरकार की राज्य की नवगठित मुफ्ती सरकार कश्मीरी
पंडितों को कश्मीर में वापस बसाने की योजनाओं को
अन्तिम रूप दे रही थी। इस जघन्य कृत्य से मुफ्ती सरकार
की आतंकियों के प्रति बरती जा रही नरमी को करारा झटका
लगा। कितना हास्यास्पद लगता है कि सबसे ज्यादा आतंकी
गतिविधियों से प्रभावित राज्य मे आतंक विरोधी अध्यादेश
‘पोटा’ प्रभावित नहीं है।आज कश्मीरी पंडितो के अन्दर
भय और दहशत का यह आलम है कि अधिकतर लोग जम्मू के लिये
पलायन कर चुके हैं।
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इराक
युद्ध पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये
भारतीय प्रधान मन्त्री ने साफ कहा कि इराक में
सद्दाम हुसैन को हटाकर वहाँ कठपुतली सरकार बनाने
की सैनिक कारवाई को भारत स्वीकार नही करेगा। उनका
मानना है कि इराक के बारे में कोई भी फैसला लेने
का अधिकार केवल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को
है। भारत हालात की जरूरतों के मुताबिक फैसला
करेगा। वह राष्ट्र हित और विश्व शान्ति को ध्यान
में रखेगा।
चारों ओर से
दुश्मनों से घिरे सद्दाम नेपाल की नयी पीढ़ी के
कवियों के लिये महानायक है। उन्हे एक ऐसे देश में
बुद्धजीवियों द्वारा महानायक घोषित किया गया है,
जो दुनिया का एक मात्र हिन्दू राष्ट्र है। मीडिया
जहाँ इस मुद्दे पर दो फाड़ मे बंट गया हैं, वही
नेपाली कवि सम्मेलनों में युवा कवियों ने सद्दाम
को शताब्दी का महानतम योद्धा़ व इराकी जनता को
दुनिया की सर्वाधिक साहसी जनता की संज्ञा से
नवाज़ा है।
सुपर
स्टार अमिताभ बच्चन और वंडर–ब्वाय सचिन तेन्दुलकर
में एक समानता हो गयी है, दोनो की गणना भारत मे
चोटी के बीस अरबपतियों में होने लगी है। आवाज और
बल्ले के जादूगर इन दो महानायकों की सफलता सिर्फ
चौंकाने वाली ही नहीं अपितु प्रेरणादायक है कि
संघर्ष करके अचंभित कर देने वाली ऊंचाइयों को भी
छुआ जा सकता है। ५ वर्ष पूर्व करोड़ो रूपये के
कर्ज तले दबे हुये अमिताभ एक बार फिर गर्व से शीश
उठाकर खडे़ नजर आ रहे हैं। बान्द्रा पूर्व की एक
चाल में रहकर प्रारम्भिक जीवन गुजारने वाले सचिन
अपनी प्रतिभा के बल पर टॉप २० की सूची में
उपस्थिति दर्ज करा चुके है।
भारतीयों
के प्रति विदेशी धरती पर दुर्व्यवहार निश्चित रूप
से चिन्ता का विषय है । सूचना प्रौद्योगिकी के
क्षेत्र में मलेशिया के बुलावे पर मलेशिया की मदद
करने गये एक सौ पचास भारतीय इंजीनियरों को वहाँ की
पुलिस ने प्रताड़ित किया जिस पर भारत ने कडा रूख
अपनाया। यह व्यवहार अभूतर्पूव कहा जा सकता है। इस
प्रकरण मे मलेशिया को भारत से माफी मांगनी पडी।
कुछ दिन पूर्व इंड़ोनेशिया में भारत की एक प्रमुख
सूचना प्रौद्योगिकी कम्पनी 'पोलेरिस' के प्रमुख को
जेल में बन्द कर दिया गया था। भविष्य में किसी भी
भारतीय के साथ ऐसी घटना न होने पाए, यह भारत की
शक्ति, सामर्थ्य के साथ–साथ स्वाभिमान का विषय
होना ही चाहिये।
दिल्ली
हिन्दी साहित्य सम्मेलन एवं अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग
परिषद की ओर से नई दिल्ली के हिन्दी भवन में
आयोजित समारोह में जापान विश्वविद्यालय में हिन्दी
पढ़ रहे बीस छात्रों व एक शिक्षक डाक्टर सुरेश
ऋतुपर्ण को सम्मान पत्र भेंट कर सम्मानित किया
गया़। इस अवसर पर जापानी दूतावास की प्रथम सचिव
सुश्री हितोमी सतोह भी उपस्थित थीं। पूर्व विदेश
सचिव श्री लखनलाल मेहरोत्रा ने अपने उदबोधन मे कहा
कि भारतीय संस्कृति और जापानी संस्कृति में बहुत
अधिक साम्य है, दोनो की भाषा संस्कृत से सम्बन्धित
है तथा दोनो के सांस्कृतिक सम्बन्धो का आधार गौतम
बुद्ध रहे हैं।
साइबर
ठगी का एक अनोखा मामला प्रकाश में आया जिसमें पुणे
के एक ४फुटे इंजीनियरिंग छात्र प्रसेनजित कांबले
ने चैटिंग में अपने को डा ए पी जे कलाम बताकर सौ
करोड रूपये के तथाकथित मिसाइल प्रोजेक्ट के नाम पर
कई लोगो से काफी पैसा उगाहा। इस ठगी के शिकार
दुनिया के कई वैज्ञानिक, डाक्टर और छात्र हो चुके
है। पकड़े जाने पर उसके पास से डा कलाम की फोटो और
उनकी लिखी किताबें तथा फर्जी लेटरहेड बरामद हुये।
पुलिस की गिरफ्त में उसने कबूला कि वह ठगी का यह
धन्धा कलाम के राष्ट्रपति होने के पूर्व से कर रहा
है। व्यक्तिगत रूप से लोगों से मिलते समय वह अपने
को डा कलाम की मित्रमण्डली का सदस्य बताता था।
उसने डा कलाम के नाम पर एक फर्जी बेबसाइट बना कर
उसमे अनेकों वैज्ञानिकों के नाम और ई मेल पते दे
रखे थे ।
— बृजेश कुमार शुक्ल |