कहानियों में
भारत से जयनंदन की कहानी
पेटू
दरबारी प्रसाद की आंखें
आंसुओं से डबडबा गयीं . . .लगा कि आज भी वे उतने ही बेबस हैं, उतने
ही भूखे हैं जितने गांव में थे। फर्क सिर्फ इतना था कि भूख की वेदना
अब आंत में नहीं जिगर में थी। दीदी उनके लिए खून की रिश्तेवाली सिर्फ
एक सामान्य बहन नहीं थी। बल्कि उनकी भूख और भोजन से उसकी कई मार्मिक
यादें जुड़ी थीं।
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परिक्रमा में
भारत से कश्मीर, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु
और गुजरात की घटनाओं का लेखाजोखा प्रस्तुत कर रहे हैं बृजेश कुमार शुक्ला
अपने आलेख
कश्मीर में चुनाव
के अंतर्गत
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धारावाहिक में
महानगर की कहानियाँ के अंतर्गत
सूरज प्रकाश की एक और लघुकथा
संतुलन
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रसोई घर में
मिठाइयों के क्रम में मूंग की दाल का
दाल हलवा
और पाठकों के अनुरोध पर तुरत तैयार
ढोकले
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उपहार में
जन्मदिवस के अवसर हेतु सुंदर संदेश
शुभ कामनाएं
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सप्ताह का विचार |
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ा
सही स्थान पर बोया गया
सुकर्म का बीज ही महान फल देता है।
— कथा सरित्सागर |
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