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परिक्रमा दिल्ली दरबार

कश्मीर में चुनाव


जम्मू कश्मीर के हाल ही में हुए विधान सभा चुनाव के परिणाम में फारूख अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेन्स सरकार का पतन और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी व कांग्रेस गठबन्धन का उदय  हुआ। करीब बीस साल बाद राज्य में कोई ऐसी सरकार बनी जिसमें शेर ए कश्मीर अब्दुल्ला परिवार की शिरकत नही होगी। लगभग १३ वर्षो से खूनी दहशत के साये में सुख  ओर शान्ति की बाट जोह रहे लोगो ने अपने जनादेश से समूचे विश्व को सन्देश दिया कि कश्मीरी अवाम आज भी लेाकतन्त्र पर पूर्ण निष्ठा के साथ विश्वास रखता है।

अलगाव वाद के पक्षधर हुर्रियत नेताओं की चुनाव बहिष्कार की अपील बेमानी रही। गौरतलब है कि विधान सभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी सबसे बडे दल के रूप में उभर कर सामने आयी किन्तु आवश्यक बहुमत न जुटा पाने के कारण उन्होंने गंठजोड  का रास्ता चुना। न्यूनतम साझा कार्यक्रम के अर्न्तगत  पी डी पी नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद  ३ साल के लिये मुख्य मन्त्री बने तथा समझौते के अनुसार अगले ३ साल मुख्य मन्त्री की कुर्सी पर कांग्रेस का अधिपत्य रहेगा।

जम्मू कश्मीर के नव निर्वाचित मुख्य मन्त्री मुफ्ती मोहम्मद सईद वी पी सिंह के प्रधान मत्रित्व काल में केन्द्रीय सरकार में गृह मन्त्री जैसे महत्व पूर्ण पद पर रह चुके हैं। उसी दौरान इनकी बेटी डा रूबैया का आतंकवादियों द्वारा अपहरण हुआ जिसकी मुक्ति के एवज में भारतीय सरकार को खूँखार आतंकवादियों को रिहा करना पडा था। पी डी पी (पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी) कश्मीर को अशान्त क्षेत्र मानती है तथा आतंक पर अंकुश लगाने वाले 'पोटा' अधिनियम से भी सहमत नही है जो भविष्य में कांग्रेस और केन्द्र सरकार दोनो के गले की हड्डी बन सकती है।

एक तरफ जहाँ जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने की कवायद हो रही थी वहीं उत्तर प्रदेश में सरकार को गिराने की पुरजोर कोशिश चल रही है। दोनो घटनाओं का केन्द्र बिन्दु कांग्रेस रही। अन्तर महज यह रहा कि कश्मीर में सरकार बनाने के लिये कांग्रेस विधायको को जोडने की जुगत में रही वही उत्तर प्रदेश में सरकार गिराने के लिये कांग्रेस के सर्मथन की कोशिश जारी रही। मन्त्रीमण्डल विस्तार को लेकर उपजे असन्तोष एवं अन्तरकलह के कारण ५ माह पुरानी मायावती सरकार पर संकट के  बादल गहराने लगे, सत्ता मोह में उलझे असन्तुष्ट भा ज पा विधायकों और निर्दलीय विधायको के विरोध का स्वर प्रबल रहा। भा ज पा बागी विधायको से उत्साहित  समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव वैकल्पिक सरकार बनाने की रणनीति के तहत कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से नजदीकी बनाने को लिये प्रयासरत रहे। सत्ता की बिसात पर राजनीतिक गोटियां बिछायी जाने लगीं जोड तोड की इस राजनीतिक शतरंजी  चाल में शह और मात का खेल बदस्तूर जारी है।

तमिलनाडु की मुख्यमन्त्री जयललिता जयराम ने जबरन धर्मान्तरण पर रोक सम्बन्धी अध्यादेश जारी करने का साहस करके जहाँ सारे देश की आस्था प्राप्त की है।वहीं कुछ स्वार्थी  राजनैतिक नेता विरोध का राग अलाप रहे हैं।तमिलनाडु सरकार के इस अध्यादेश के अनुसार भय, प्रलोभन या इसी प्रकार अन्य तरीके अपनाकर धर्मान्तरण कराना गैर कानूनी कृत्य होगा, तथा किसी भी धर्मान्तरण की पूर्व सूचना सम्बन्धित जिलाधिकारी को देना अनिवार्य होगा।

 

सरकार के इस अध्यादेश के विरोध में ईसाई समुदाय लामबन्द हो गये है और अपने विरोध के सुर में ताल देने के लिए इस्लामी संगठनो को भी शामिल करने का प्रयास कर रहे हैं। मुस्लिम लीग ने एक वक्तव्य जारी करके इस कानून का विरोध भी किया है। देश की सबसे बडी राजनीतिक संस्था कांग्रेस का जोर जबरदस्ती या प्रलोभन से धर्मान्तरण को जायज मानने की पक्षधरता अवश्य आश्चर्य जनक है।  

समय समय पर भारत के आदिवासी बहुल इलाके इसाई मिशनरियों के शिकार बनते रहे हैं। पीडित व्यक्तियों की सेवा का स्वांग करती, पैसे और नौकरी का लालच देकर भोले भाले इंसानो को धर्मान्तरण के लिये बाध्य करने वाले नकाबपोश चेहरे बेनकाब होंगे। मध्यप्रदेश, उडीसा व अरूणाचल प्रदेश में इस तरह के कानून पहले से ही प्रभावी हैं फिर तमिलनाडु में अध्यादेश लागू किये जाने पर हाय तौबा क्यों।

पेशे से चिकित्सक विश्व हिन्दू परिषद के  महासचिव प्रवीण तोगडिया अपनी बेबाक शैली और बेलगाम बयान बाजी के चलते हमेशा सुर्खियों में रहे है।

वे पिछले दिनो गुजरात के भुज जिले के लोडिया गांव में दिये गये अपने भाषण के कारण देश की सबसे बडी सियासी पार्टी काग्रेस के कोपभाजन के शिकार हुये। तोगडिया के विवादास्पद भाषण  के कुछ मुख्य अंश यहाँ प्रस्तुत है :

" . . .जब आप हमारे अक्षरधाम पर हमला करते है, तो क्या हमारी भावनाए आहत नही होती जब आप गोधरा स्टेशन पर लोगो को जिन्दा जलाते हैं तो क्या हमारी भावनाओं को ठेस नही लगती जब गोधरा कांड हुआ तो देश के तथाकथित धर्मनिपेक्ष लोगो ने उसी दिन उसकी भर्त्सना नही की। २८ फरवरी से जातीय दंगे शुरू हुए। पहले गुजरात के पिल्लों ने शोर मचाया और भौंकना शुरू किया। फिर सारे देश से कुत्ते यहाँ आने लगे। फिर हमने सुना कि इटली का कुत्ता भी यहाँ चक्कर लगा गया है। गुजरात में चुनाव टालने के लिए हाय तौबा मचाई गयी ताकि हिन्दू वोट बंट सके। इसलिये जाति के आधार पर वोट मत दो  धर्म के आधार पर वोट दो। क्या आप सोचते हैं कि बम विस्फोट या हिंसा करके हिन्दुओं को दबाया जा सकता है गुजरात में ५ करोड हिन्दू हैं अगर आतंकवादी हमले में  पचास हजार हिन्दू मर भी जाते हैं तो ५ करोड के आंकडे में कोइ कमी नही आएगी। अगर आप जो संख्या में पचास हजार है मर जाते हैं तो यहाँ आप में से कोई नही बचेगा। हमारी सोनिया बेन विदेश से आयात की गयी हैं लेकिन भारत के मुसलमान आयातित नही है।

भारतीय मुसलमान धर्म परिवर्तन करके मुसलमान बने हैं। उनकी रगो में बहने वाला खून भगवान राम और भगवान कृष्ण का होगा, न कि पैगम्बर मुहम्मद का। अगर पैगम्बर मुहम्मद के नाम पर आप मस्जिद में इबादत करते है तो हमें कोई आपत्ति नही है। लेकिन अगर आप जिहाद की बात करोगे तो वह हमें मंजूर नही है। हिन्दुओं में फूलो की माला पहनने की परम्परा है पर हमारी हिन्दू देवी नरमुंडो की माला पहनती है। हमें लगता है कि हमने फूलो की माला पहनने की परम्परा अपना कर गलत किया।"

इस वक्तव्य के बारे में तोगडिया की टिप्पणी कि मेरा बयान किसी व्यक्ति या संगठन के खिलाफ नही था़। यदि कांग्रेस कार्यसमिति समझती है कि गाली सोनिया गांधी को दी है तो यह उनकी अपनी व्याख्या है।  

— बृजेश कुमार शुक्ल

 
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