सब
लोग दीपावली की तैयारियों में व्यस्त थे।माँ मिठाइयाँ बना रही थीं। बाबा पड़ोस के बड़े भैया
के सात बाहर के दरवाजे पर तोरण बाँध रहे थे।
घर चमचमा
रहा था। दरवाजों पर नए पर्दे लगे थे। बरामदे में सुंदर सी
रंगोली बनाकर उसमें दीये लगा दिये गए थे। माँ ने पिछले
हफ़्ते एक नया चित्र बनाया था उसको लकड़ी के चित्र फलक पर
लगाया गया था। दरवाजे से अंदर आते चित्र दिखाई देता था।
चित्र में तीन दीये थे और शुभ दीपावली लिखा हुआ था।
सामने वाले पेड़ पर नन्हे नन्हे बल्बों वाली रोशनी कल ही
लग गई थी। छत की मुँडेर पर भी दीये लगा दिये गए थे। बस
उनको जलाना भर बाकी था। आज शाम को पूजा के बाद बहुत से लोग
आने वाले थे। एक बड़ी दावत का इंतजाम जो था।
माँ ने रसोई का काम पूरा कर
के नन्हे को आवाज जी, नन्हे जल्दी आओ पहले तुम्हें नए
कपड़े पहना दूँ, फिर मुझे भी तैयार होना है। नन्हें अंदर
आया और नए कपड़े पहन कर तैयार हो गया। कितने अच्छे लग रहे
थन नए कपड़े! नन्हें की पसंद के जो थे। वह भाग कर बाहर
आया। लेकिन उसका पैर चित्र-फलक में फँस गया। नन्हें गिर
पड़ा साथ ही चित्र-फलक पर रखा चित्र भी गिर गया। गिरते ही
चित्र कई टुकड़ों में टूट गया।
नन्हें दुखी हो गया। माँ
टूटा चित्र देखकर नाराज होगी उसने सोचा। अब मैं क्या करूँ
सारे मेहमान आने वाले हैं चित्र टूटा पड़ा है। नन्हें को
घबराया हुआ देखकर बड़े भैया बोले, "घबराने की की बात नहीं
है नन्हें, इसको जोड़ना तो बहुत ही आसान है। बस माउस से
क्लिक क्लिक करते जाओ और यह जुड़ जाएगा।
दोस्तों, टूटे हुए चित्र के
सारे टुकड़े नीचे रखे हुए हैं। नन्हें तीन साल का है उसे
चित्र जोड़ना नहीं आता। क्या आप उसकी सहायता कर सकते हैं।
कोशिश कर के देखिये अगर मुश्किल लगे तो ऊपर वाले चित्र से
मदद ले सकते हैं।