देखने में सोयाबीन
चाहे कितना ही छोटा नज़र आता हो? लेकिन इसमें
बुढ़ापे को दूर रखने वाली कमाल की शक्ति है।
उपचयनरोधी तत्वों से परिपूर्ण सोयाबीन हमारी
कोशिकाओं को पुष्ट करता है।
आयु के मौलिक सिद्धांत के जन्मदाता डेनहेम हरमन के
अनुसार बढ़ती उम्र के साथ हमारी नष्ट होती कोशिकाओं
को रोकने में सोयाबीन बहुत सहायक होता है। इसमें
स्थित अमीनो एसिड उपचयन में कम सिद्धहस्त होते हैं
जिसके फलस्वरूप माँस से प्राप्त प्रोटीन के विपरीत
यह प्रोटीन शरीर के वांछित तत्वों को बाहर नहीं
निकालता और कोशिकाओं की उम्र को बढ़ाता है। शायद
इसीलिए शाकाहारी लोगों की उम्र अधिक होती है।
संसार में सबसे अधिक सोयाबीन जापान के लोग खाते
हैं। शायद इसीलिए यहाँ के लोग दीर्घजीवी होते हैं।
सोयाबीन जहां उपचयन रोधी (एन्टी आक्सीटेन्ट)
तत्वों से भरपूर पावरहाउस हैं? वहीं इसमें
रोगाणुओं के विरूद्ध लड़ने वाले दूसरे तत्व भी
मौजूद रहते हैं। वैज्ञानिकों का कहना हैं? कि
सोयाबीन में स्थित प्रोटीन कई तरह के कैंसर को
रोकने में इतना अधिक सहायक होता है कि इसे कैंसर
निरोधक कहा जाता है। विदेशी वैज्ञानिक स्टीफन
बर्ने के अनुसार इसमें पाया जाने वाला जेनेसटीन
स्तन और प्रोस्टेट कैंसर को रोकने में सहायक होता
है।
जेनिसटीन केमिकल कैंसर को हर अवस्था में उसकी जड़ों
में पहुँचकर उसे बढ़ने से रोकता है। यह एन्जाइना
को, जो बाद में कैंसर जीन में परिवर्तित हो जाते
हैं, नष्ट कर देता है। टैस्टट्यूब में यह
प्रत्यक्षतः हर किस्म के कैंसर, स्तन, बड़ी आँत,
फेफड़े, प्रोस्टेट, त्वचा और खून में पाए जाने वाले
कैंसर की वृद्धि को रोकता है।
पशुओं पर आजमाए गए एक शोध द्वारा वैज्ञानिक बर्ने
ने सिद्ध किया? कि सोयाबीन में पाया जाने वाला
जेनिसटीन केमिकल पशुओं को दिए जाने पर स्तन कैंसर
40 से लेकर 65 प्रतिशत तक कम हो गया। उनके अनुसार
महिलाओं में कैंसर अधिक होने का कारण उनके आहार
में वसा की अधिकता नहीं? बल्कि सोयाबीन की कमी
हैं। क्योंकि वे सोयाबीन का पर्याप्त मात्रा में
सेवन नहीं करतीं। अमेरिकन महिलाओं की तुलना में
केवल एक चौथाई जापानी महिलाओं को ही स्तन कैंसर
होता है। कारण? वे सोयाबीन का पर्याप्त मात्रा में
नियमित सेवन करती हैं। अभी हाल के एक अध्ययन से
पता चला है? कि सिंगापुर में ऐसी महिलाएँ
जिन्होंने सोया प्रोटीन अत्यधिक लिया था? उन्हें
स्तन कैंसर कम हुआ? जबकि साधारण मात्रा में सोया
प्रोटीन लेने वाली महिलाओं को स्तन कैंसर अधिक
हुआ।
सोयाबीन के केमिकल? स्तन कैंसर से दो प्रकार से
लड़ते हैं? पहला तो कोशिकाओं पर इनका सीधे तौर से
कैंसररोधी प्रभाव होता हैं? दूसरे यह कैंसररोधी
दवाई टमैक्सोफीन के प्रभाव को बढ़ा देता है। इस तरह
सोयाबीन स्तन कैंसर के शुरू होने और उसे बढ़ाने से
रोकने? दोनों ही कामों में काफी मदद करता है।
पश्चिमी देशों के मुकाबले जापानी आदमियों में
प्रोस्टेट कैंसर का प्रतिशत बहुत कम है। जापान में
अगर कैंसर हो भी जाए? तो वह शरीर में जल्दी से बढ़
नहीं पाता? बल्कि धीरे-धीरे खत्म हो जाता हैं।
अन्य बीमारियों से लड़ने में
भी सक्षम :
सोयाबीन जर्जर हो रही अशुद्ध रक्तवाहिनी नलिकाओं
को मजबूती प्रदान करता है। धमनियों के रोगों को
सोयाबीन प्रोटीन नष्ट करता है। इटली के एक
शोधकर्ता के शोध से पता चला है कि मांस और डेयरी
उत्पादों से प्राप्त प्रोटीन से उत्पन्न उच्च रक्त
कोलेस्टेरॉल को सोया प्रोटीन तीन हफ्तों में २१
प्रतिशत कम कर देता है। इसलिए उच्च कोलेस्टेरॉल
युक्त आहार खाने वाले लोगों को सोयाबीन अवश्य लेना
चाहिए।
मधुमेह रोगी भी सोयाबीन पर पूर्ण विश्वास कर सकते
हैं। यह खून के विकार से लड़ाई करता है और ब्लडशुगर
के स्तर का संतुलन बराबर बनाए रखता है। मधुमेह के
साथ-साथ यह दिल से संबंधित बीमारियों की वृद्धि को
भी रोकता है। सोयाबीन में दो एसिड होते हैं?
ग्लीसीन और आरजीनीन? जो इन्सुलिन को नियंत्रित
रखते हैं।
सोया प्रोटीन के स्थान पर माँस के रूप में प्रोटीन
लेने से शरीर बहुत-सा कैलशियम मूत्र द्वारा बाहर
निकल जाता है। एक अध्ययन द्वारा पता चला है? कि
महिलाओं का प्रतिदिन 50 मिली ग्राम कैल्शियम शरीर
से बाहर निकल गया? जब वे माँस-मछली खाती थीं?
लेकिन जब वे उतना ही प्रोटीन सोया के रूप में लेती
थी? तब उनमें ये लक्षण दिखाई नहीं दिए।
जापानवासियों का बुढ़ापारोधी
सूप :
बुढ़ापे को दूर रखने के लिए सोया दूध? सोया आटा?
सोया फली? सोया मिसो सूप तथा कच्चा सोया के रूप
में प्रोटीन खूब खाना चाहिए। सोया सॉस और सोयाबीन
तेल में बहुत कम मात्रा में बुढ़ापे को दूर रखने
वाले तत्व होते हैं। मिसो सूप? जो कि सोया में
खमीर उठाकर बनाया जाता है? शरीर के लिए बहुत
फायदेमंद होता है। यह बुढ़ापे को रोकता है।
-शांता ग्रोवर
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