इस माह- |
अनुभूति-में-
कुँवर रतन सिंह, अरुण तिवारी अनजान, श्रद्धा यादव, अमन चाँदपुरी और अवनीश सिंह
चौहान की रचनाएँ। |
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साहित्य एवं
संस्कृति में- |
समकालीन कहानियों में प्रस्तुत
है हंगरी से
गीता शर्मा-की-कहानी-
नया
ब्यायफ्रेंड
बाहर
तेजी से गुजरती बसों, कारों की आवाज़ से सुचित्रा ने सुबह होने
का अंदाज़ा लगा लिया। 'पता नहीं यहाँ जल्दी आँख क्यों नहीं
खुलती है?’ मुश्किल से एक आँख खोल कर उसने साइड टेबल से घड़ी
उठा कर देखा। आठ बज रहे थे। 'अभी तो आठ ही बजे हैं, अभी से उठ
कर क्या करूँगी,' सोच कर फिर से कंफर्टर लपेट कर लेट गई। 'क्या
सुकून भरी जिंदगी है यहाँ’, सुचित्रा के होठों पर मुस्कराहट
खेल गई। 'जब से यहाँ आई हूँ न बी.पी. बढ़ा है न ही माइग्रेन
हुआ है। दिल्ली में तो हर दूसरे दिन माइग्रेन में ब्रूफेन खा-
खा कर भी दर्द से तड़पती रहती थी'। नवीन बार-बार मना करते,
“इतनी ब्रूफेन मत खाया करो। मालूम है न कितनी खतरनाक दवा है
यह, कोई प्राब्लम हो जाएगी तब पछताओगी।” नवीन का प्रवचन उसके
सिर दर्द को और भी बढ़ा देता। ‘एक तो वैसे ही माइग्रेन में
बातचीत का मन नहीं करता। न रोशनी भाती है न खाना- पीना, ऊपर से
नवीन कमरे में घुसते ही सीख देने लगते हैं। उस समय तो जवाब
देने की भी इच्छा नहीं होती है'। मन ही मन कुढ़ते हुए सुचित्रा
लाइट बुझा कर सिर तक चादर तान लेती। ‘सारी तकलीफ डिनर बनाने की
है’...आगे-
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संदीप यादव का व्यंग्य
साँपों का दुग्ध उत्सव जारी है
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शशि पाधा से पर्व परिचय
नाग देवता की पूजा अर्चना का पर्व
नाग पंचमी
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अशोक कुमार शुक्ला का आलेख
नाग वंश और आस्तिक बाबा का दरबार
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पुनर्पाठ में सरस्वती माथुर का आलेख
नागों के सम्मान का पर्व-
नागपंचमी |
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प्रेरणा गुप्ता की लघुकथा
अँजुरी भर पानी
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सुरेश गाँधी से पर्व परिचय
गंगावतरण का पर्व गंगा दशहरा
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शंभुनाथ शुक्ल का यात्रा प्रसंग
गंगोत्री की ओर
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पुनर्पाठ में नीरजा माधव का
ललित निबंध- रुकोगी
नहीं भागीरथी
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समकालीन कहानियों में प्रस्तुत
है भारत से
नवीन कुमार-की-कहानी-
गंगा स्नान
"अजी
सुनती हो फेनी की माँ गजब हो गया।"
“ऐसा कौन पहाड़ टूट पड़ा जो इतना तेज़ चीख रहे हो?"
धनदेवी ने प्रतिक्रिया दी।
“अरे ये जो पड़ोस के मुहल्ले में शर्मा जी रहते थे ना..."
“कौन शर्मा जी...?"
“अरे चीनी मिल वाले..."
“अच्छा-अच्छा, जिनकी लड़की का रिश्ता अपने गाँव के कोटेदार के
लड़के से हुआ है?"
“हाँ-हाँ, वे ही शर्मा जी।"
“हाँ, तो क्या हुआ उनको...?"
“अरे, उनके यहाँ चोरी हुई है, अख़बार में निकला है।"
“हे भगवान, क्या-क्या उठा ले गए..."
“अरे, छोड़ा ही कुछ नहीं, घर खाली कर गए।"
खबर खत्म होते ही सेठ रईसचन्द के चारों लडकों में से तीन वहाँ
आ धमके और क्या हुआ, क्या हुआ के नारे लगाने लगे..
और सेठ रईसचन्द बची-खुची खबर को और जोर-जोर से पढ़ने लगे- “मूल
रूप से अल्हागंज के निवासी रघुवीर शर्मा के यहाँ कल रात अज्ञात
व्यक्तियों के द्वारा नकब लगाकर चोरी की वारदात...आगे- |
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