SHUSHA HELP /लेखकों से/ UNICODE  HELP
केवल नए पते पर पत्रव्यवहार करें


9. 5. 2007

आज सिरहाने उपन्यास उपहार कहानियाँ कला दीर्घाकविताएँ गौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा रचना प्रसंग पर्व-पंचांग
घर–परिवार दो पल नाटकपरिक्रमा पर्व–परिचय प्रकृति पर्यटन प्रेरक प्रसंग प्रौद्योगिकी फुलवारी रसोई लेखक
विज्ञान वार्ता विशेषांक हिंदी लिंक साहित्य संगम संस्मरण साहित्य समाचार साहित्यिक निबंध स्वास्थ्य
हास्य व्यंग्य

इस सप्ताह—
समकालीन कहानियों में भारत से
शिबन कृष्ण रैणा की कहानी मुलाक़ात

आगंतुक पड़ोसी मुझे निहायत ही शरीफ़ किस्म के व्यक्ति लगे। पति और पत्नी, बस। यही उनका परिवार था। अधेड़ आयु वाली इस दंपति ने अकेले दम कुछ ही महीनों में संचेती जी के मकान की काया पलट कर दी। बगीचे में सुंदर घास लगवाई, रंग-बिरंगी क्यारियाँ, क्रोटन, गुलाब, बोनसाइ आदि से सुसज्जित गमले. . .। खिड़कियों और दरवाज़ों पर सफ़ेद रंग. . .। दो-चार विदेशी पेंटिंग्स बरामदे में टँगवाई तथा पूरे मकान को हल्के गुलाबी रंग से पुतवाया। देखते ही देखते संचेती जी के मकान ने कालोनी में अपनी एक अलग ही पहचान बना ली। एक दिन मैं और मेरी श्रीमती जी शिष्टाचार के नाते उन आगंतुक पड़ोसी के घर मिलने के लिए गए।

*

हास्य-व्यंग्य में गुरमीत बेदी समझा रहे हैं
अपुन का ताज़ा एजेंडा!
एक सज्जन जानना चाह रहे थे कि चालू सीज़न में अपुन क्या गुल खिलाने जा रहे हैं। मैंने उन्हें बताया, हे भद्रपुरुष ! बड़ा क्लीयर-सा फंडा है, लीक से हटकर कुछ कर दिखाना ही अपुन का एजेंडा है। वह सज्जन आँखें फाड़-फाड़ कर मेरी तरफ़ यों देखने लगे जैसे मैं इस लोक का प्राणी न होकर दूसरे लोक से टपका होऊँ। मैंने उनकी जिज्ञासा और हैरानगी को और न बढ़ाते हुए अपने एजेंडे की पिटारी खोल दी। अब वह सज्जन अभिभूत थे और अपुन पूरी लय में थे। अपुन के एजेंडे में कोई ऐसा-वैसा छुपा या सीक्रेट एजेंडा नहीं है जो आम तौर पर पॉलिटियशनों के एजेंडा में होता है। अपुन का एजेंडा बड़ा क्लीयर-सा एजेंडा है जिसमें जो भीतर है, वही बाहर है और जो बाहर है, वही भीतर है। आपके जनरल नॉलेज में इज़ाफ़ा करने और देश की आन-बान व शान को बढ़ाने के लिए लीजिए प्रस्तुत है अपुन का ताज़ा एजेंडा।

*

संस्कृति में वैद्य अनुराग विजयवर्गीय
के शब्दों में दूब तेरी महिमा न्यारी
भारतीय संस्कृति में दूब को अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। चाहे नागपंचमी का पूजन हो या विवाहोत्सव या फिर अन्य कोई शुभ मांगलिक अवसर, पूजन-सामग्री के रूप में दूब की उपस्थिति से उस समय उत्सव की शोभा और भी बढ़ जाती है। यह पौधा ज़मीन से ऊँचा नहीं उठता है, बल्कि ज़मीन पर ही फैला हुआ रहता है, इसलिए इसकी नम्रता को देखकर गुरु नानक ने एक स्थान पर कहा है-
नानकनी चाहो चले, जैसे नीची दूब, और घास सूख जाएगा, दूब खूब की खूब।
हिंदू धर्म-शास्त्र भी दूब को परम-पवित्र मानते हैं। हमारे देश में ऐसा कोई मांगलिक कार्य नहीं, जिसमें हल्दी और दूब की ज़रूरत न पड़ती हो।
 

*

फुलवारी में मौसम की कहानी का अगला भाग
कोहरा क्यों होता हैं?
धरती की सतह पर रहने वाले बादल को कोहरा कहते हैं। नमी से भरी हुई हवा जब ठंडी होने लगती है तब वह कोहरे के रूप में दिखाई देती है। ऐसा आमतौर पर शाम के समय होता है, जब सूरज की गरमी धरती पर नहीं पड़ती है। कभी कभी कोहरा इतना घनी हो जाता है कि हम ज़्यादा से ज़्यादा एक मीटर तक ही देख सकते हैं। ठंडी हवा भारी होती है और धरती के पास रहती है। इसलिए घाटियों में अक्सर धुंध छाई रहती है। पानी की वाष्प जब मकड़ी के जालों या फूलों की पंखुरियों की सतह पर ठंडी होती है तो पानी की महीन बूँदों के रूप में दिखाई देती है। इसको ओस कहते हैं। जब ओस जम जाती हैं तो इसे पाला कहते हैं।

*

रसोईघर में माइक्रोवेव-अवन में पक रही है
गोभी की सूखी सब्ज़ी
पारंपरिक खाना हो तो साथ में माइक्रोवेव किए गए गोभी का निराला स्वाद सबको लुभाएगा। जल्दी में कुछ स्वादिष्ट खाना है तो इस गोभी के साथ ब्रेड या चावल का जवाब नहीं। पौष्टिकता में भी यह भरपूर है सो इसे टमाटर और प्याज़ के साथ सलाद की तरह भी परोसा जा सकता है। टिफ़िन में पैक करना है तो पराठे और पूरी के साथ इसका मज़ा निराला है। चटपटा चाहिए तो चाटमसाला, हरी मिर्च और नीबू डालकर चाय के साथ खाएँ या बेसन मिला कर पकौड़े तलें यह गोभी हर तरह से अच्छा लगता है।

सप्ताह का विचार
आकाश में उड़ने वाले पंछी को भी अपने घर की याद आती है।
--प्रेमचंद

 

लक्ष्मीशंकर वाजपेयी,  कुहेली भट्टाचार्य, अवतंस कुमार और
रिपुदमन पचौरी की नई रचनाएँ

मित्रों,  अभिव्यक्ति का 16 जून का अंक अमलतास विशेषांक होगा। इस अवसर पर अमलतास से संबंधित कहानी, व्यंग्य, नाटक, निबंध तथा अन्य विधाओं में रचनाएँ आमंत्रित हैं। रचना हमारे पास 1 जून तक अवश्य पहुँच जानी चाहिए। --टीम अनुभूति

-पिछले अंकों से-
कहानियों में
थोड़ा आसमान ...-रवींद्रनाथ भारतीय
क्या हम दोस्त...-उमेश अग्निहोत्री
संक्रमण-कामतानाथ
फ्रैक्चर- डॉ० मधु संधु
चश्मदीद- एस आर हरनोट
बैसाखियाँ - इला प्रसाद
*

हास्य व्यंग्य में
सारा डेटा पा जाएगा बेटा-अशोक चक्रधर
मैच फ़िक्सिंग के...-अविनाश वाचस्पति
पेन मांगने में... -दीपक राज कुकरेजा
प्री-मैच्योर रिटायरमेंट- गुरमीत बेदी
*

महानगर की कहानियों में
मधु संधु की लघुकथा
थैंक्यू
*

रचना प्रसंग में
महेश अनघ समझा रहे हैं
नवगीत का वस्तु विन्यास

*

साहित्यिक निबंध में
डॉ. ऋषभदेव शर्मा का आलेख
भूमंडलीकरण की चुनौतियाँ : संचार माध्यम और हिंदी का संदर्भ

*

प्रौद्योगिकी में
रविशंकर श्रीवास्तव का प्रश्न
आप क्या कर रहे हैं?
*

साहित्य समाचार में
*मॉस्को में हिंदी महोत्सव
*'रंग तरंग और हास्य व्यंग्य - सीधे प्रसारण के संग'
तथा
*
कवि अभिनव डाट कॉम' का विमोचन
*

संस्कृति में
अशोक श्री श्रीमाल का आलेख

शब्दकोश का जन्
*

आज सिरहाने
कमलेश्वर का उपन्यास
अम्मा- राजेंद्र दानी के शब्दों मे
*

नाटकों में
कुमार आशीष का
संकल्
*

रचना प्रसंग में श्रीकृष्ण कुमार त्रिवेदी और डॉ. विनय कुमार पाठक बता रहे है
ललित निबंध के मानदंड
*

अपनी प्रतिक्रिया   लिखें / पढ़ें

Click here to send this site to a friend!

आज सिरहानेउपन्यास उपहार कहानियाँ कला दीर्घा कविताएँ गौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा रचना प्रसंग पर्व पंचांग
घर–परिवार दो पल नाटक परिक्रमा पर्व–परिचय प्रकृति पर्यटन प्रेरक प्रसंग प्रौद्योगिकी फुलवारी रसोई लेखक
विज्ञान वार्ता विशेषांक हिंदी लिंक साहित्य संगम संस्मरण साहित्य समाचार साहित्यिक निबंध स्वास्थ्य
हास्य व्यंग्य

© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : दीपिका जोशी

 

 

Google
Search WWW Search www.abhivyakti-hindi.org