प्री-मैच्योर रिटायरमैंट लेकर मैं क्या गुल खिलाने
वाला हूँ, यह जानने का वैसे तो आपको कोई हक नहीं है और न ही आपको मेरे व्यक्तिगत
मामलों में बेवजह टाँग अड़ानी चाहिए, लेकिन मेरी प्री-मैच्योर रिटायरमैंट के बाद के
फंडे का चूँकि मुल्क के भविष्य से गहरा रिश्ता है, इसलिए मैं अपनी कुछ एक आपशन्स का
खुलासा ज़रूर करूँगा। मैं कोई लीडर थोड़े ही हूँ कि छिप-छिपाकर ऐसे वैसे काम कर
डालूँ जिनकी मुल्क को भनक भी न लगे और बाई-दि-वे भनक लग भी जाए तो लीडर का बाल भी
बाँका न हो। देखो, एक बात का तो आप आँख मूँद कर यकीन कर लो कि मैं प्री-मैच्योर
रिटायरमैंट लेकर न तो पुलिस और न ही किसी पालिटिक्ल शख़्सियत के सहयोग से अवैध दारू
की भट्ठी लगाने वाला हूँ और न ही सट्टेबाजी का धंधा करने की फिलहाल मेरी कोई
प्लानिंग है। मैं किसी उद्योगपति के बेटे को किडनैप करके फिरौती माँगने जैसा
व्यवसाय भी नहीं करूँगा। मुझे यह काम बहुत लफड़े वाला लगता है। राजनीति में कूदकर
इलैक्शन लड़ने की भी मेरी कोई मंशा नहीं है। मैं इतना भी बेवकूफ़ नहीं हूँ कि
रिटायरमैंट के बाद मिला पैसा ऐसे-ऐसे लोगों को दारू पिलाकर लूटा दूँ जो मेरी ज़मानत
जब्त होते ही गधे के सिर के सींग की तरह ग़ायब हो जाएँ। मैं हथियारों की सप्लाई के
धंधे में भी नहीं उतरना चाहता।
मेरे लिए राष्ट्रहित सर्वोपरि है और मैं यह कतई नहीं
चाहता कि आने वाली पीढ़ियाँ मुझे देश के गद्दार के रूप में याद करें। मैं इंटरपोल,
केजीबी, सीबीआई या रॉ जैसी किसी खुफ़िया एजैंसी के अफ़सरों के हत्थे चढ़ने जैसा कोई
कारनामा भी नहीं करना चाहता। ऐसे कारनामों के बारे में सोचकर ही मेरा 'ब्लडप्रैशर
लो' होने लगता है। एक प्राब्लम यह भी है कि अगर मैं ऐसा कोई कारनामा करके मुल्क से
फरार होने की स्कीम भी बनाता हूँ तो भी इसकी कोई गारंटी नहीं कि कोई मुल्क मुझे ऑन
दी रिकार्ड शरण भी दे। वैसे अगर आप किसी दूसरे आदमी से ज़िक्र न करें तो यह सच्चाई
कबूलने में कोई हर्ज भी नहीं कि कुछ साल पहले अपुन के दिल में दाऊद भाई से मिलने की
इच्छा ने जोरदार अंगड़ाई ली थी, लेकिन यह सोचकर मैंने दाऊद से मिलने का ख्याल अपने
दिल से बाहर धकेल दिया कि जो ाख्स अपने मुलक की पुलिस को ही नहीं मिल रहा, वो भला
मुझ जैसी मामूली हस्ती को कहाँ मिलेगा? वैसे जो भगवान करता है, वह ठीक ही करता है।
अगर मैं दाऊद से मिलने में कामयाब हो जाता और पुलिस मेरे पीछे पड़ जाती तो स्वर्ग
में बैठे मेरे बुजुर्गों की इमेज पर भी बट्टा लग जाता।
मैं प्री-मैच्योर रिटायरमैंट लेकर कोई ऐसा काम करना
चाहता हूँ जिससे मेरी ख्याति में चार चाँद लग जाएँ और अख़बारों से लेकर पत्रिकाओं
के मुख-पृष्ठों पर मेरी ही तस्वीरें छपें। बड़ी-बड़ी शख़्सियतें मेरे साथ हाथ
मिलाने और फोटू खिंचवाने में गर्व महसूस करें। मुझे छींक भी आ जाए तो अलग-अलग
न्यूज़ चैनल मेरे स्वास्थ्य के बारे में स्पैशल बुलेटन जारी करना शुरू कर दें और
मेरे स्वास्थ्य लाभ की कामना के लिए चैनलों को एस.एम.एस भेजने वालों की होड़ लग
जाए। मुझे अगर मच्छर काट जाए तो मेरे चाहने वाले उस मच्छर के खून के प्यासे हो
जाएँ। मैं अगर शर्ट उतारकर हवा में लहराऊँ तो पूरे मुल्क की रूपसियाँ सर्द आहें
भरती नज़र आएँ। इसके अलावा भी मुल्क में बहुत कुछ हो सकता है, जिसके बारे में आपको
विस्तार से बाद में बताया जाएगा। फिलहाल आप यह प्रश्न कर सकते हैं कि मैं
प्री-मैच्योर रिटायरमैंट क्यों ले रहा हूँ जबकि मेरी लीगल रिटायरमैंट को अभी पूरे
पंद्रह वर्ष पड़े हैं और मैंने अभी अपने बच्चों को उनके पैरों पर स्टैंड करना है।
इस सवाल के जवाब में मैं यही कहूँगा कि देखो जी नौकरी में रखा ही क्या है? एक
नौकरीपेशा आदमी जिसकी एक बीबी और तीन बच्चे हों, वह नहाये क्या और निचोड़े क्या?
मैं अगर प्री-मैच्योर रिटायरमैंट लेता हूँ तो इससे
जहाँ प्रोमोशन की लाईन में लगे कर्मचारी साथी मुझे दुआयें देंगे, वहीं ट्रांसफ़र के
ख़तरे को टालने के लिए मुझे जगह-जगह मक्खनबाजी भी नहीं करनी पड़ेगी। इसके अलावा
प्री-मैच्योर रिटायरमैंट लेने के पीछे मेरी सबसे बड़ी मंशा जो है, उस बारे मैं पहले
ही आपको बता चुका हूँ और अब फिर बता रहा हूँ कि मैं ऐसा कोई काम करना चाहता हूँ
जिससे मुझे थोक में पब्लिसिटी मिले और मेरा जन्म सार्थक हो जाए। इसके लिए मेरे पास
कुछ आपशन्स हैं।
पहली आपशन यह है कि मैं कोई अभिनेता बन जाऊँ। अमिताभ बच्चन की तरह
मेरा कद भी लंबा है और चेहरे पर दाढ़ी भी है। यही नहीं, पत्नी से लड़ाई-झगड़ा करके
मेरी आवाज़ भी दमदार हो चुकी है, लिहाज़ा फ़िल्म इंडस्ट्री मुझे हाथों-हाथ लेगी।
रोमांस की अपनी लाइफ़ में बहुत किल्लत रही है लेकिन फ़िल्म इंडस्ट्री में एक साथ कई
हीरोइनों से चक्कर चलाने का सुनहरा मौका मिल जाएगा। दो-चार फ़िल्में हिट होने की
देर है, पब्लिक मुझे 'दि लीविंग लिजैंड' की सज्ञा दे देगी। लेकिन अगर अभिनय के
मामले में पिट गया तो अपुन को कुत्ता भी नहीं पूछेगा। इसलिए इस आप्शन को फिलहाल
साइड में रखते हैं।
दूसरी आप्शन यह है कि बहुत बड़ा साहित्यकार बनकर साहित्य जगत
में हलचल मचा दी जाए। लेकिन एक तो साहित्यिक जगत में खेमेबाजी बहुत है और दूसरा
साहित्यकारों को उनके पिछवाड़े में रहने वाले पड़ोसी भी घास नहीं डालते लिहाज़ा इस
आप्शन को भी कैंसल ही समझो। तीसरी आप्शन सिद्धपुरुष बनने की है और इस आप्शन को
अपनाने में कोई रिस्क भी नहीं है।
सिद्धपुरुष बनने की शुरुआत छोटा-मोटा बाबा बनकर
की जा सकती है। शहर से दूर एक छोटी-सी कुटिया बनाकर बाबागिरी का धंधा शुरू करेंगे।
'लाल किताब' की थोड़ी-सी स्टडी करके भक्तों को अपने चमत्कार तंत्र की महिमा दिखाई
जाएगी और लगे हाथ योग की पाँच-सात क्रियाओं में पारंगत होकर लोगों को बिमारियों से
दूर रहने के नुस्खे भी दिए जाएँगे। रोज़ सुबह धार्मिक चैनलों पर संतों और योगियों
को देखकर आधे सिद्धपुरुष तो हम बन ही चुके हैं थोड़ा और अभ्यास करके हम 'फुल-फ्लैजड'
बाबा, संत, महापुरुष या सिद्धपुरुष वगैरह-वगैरह बन जाएँगे। ज़ाहिर है, हमारी
लोकप्रियता बढ़ेगी तो हम पुरानी कुटिया को लात मारकर हाईटैक आश्रम में रहना शुरू कर
देंगे। आज मुल्क में ऐसे सिद्धपुरुषों की बहुत डिमांड है जो तांत्रिक क्रियाएँ भी
जानते हों, भविष्यवाणियाँ भी कर लेते हों, योगी भी हों और प्रवचन भी झाड़ लेते
हों। क्या प्री-मैच्योर रिटायरमैंट लेकर सिद्धपुरुष बनने का हमारा फ़ैसला आपको
मंजूर है?
अगर आपका का जवाब हाँ में है तो फ़ौरन आप अपुन के मोबाइल नंबर
९४१८०-३३३४४ पर रिंग मारें ताकि हम प्री-मैच्योर रिटायरमैंट के लिए अप्लाई कर
सकें।
९ अप्रैल २००७ |