हास्य व्यंग्य | |
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एक सज्जन जानना चाह रहे थे कि चालू सीज़न में अपुन क्या गुल खिलाने जा रहे हैं। मैंने उन्हें बताया, हे भद्रपुरुष! बड़ा क्लीयर-सा फंडा है, लीक से हटकर कुछ कर दिखाना ही अपुन का एजेंडा है। वह सज्जन आँखें फाड़-फाड़ कर मेरी तरफ़ यों देखने लगे जैसे मैं इस लोक का प्राणी न होकर दूसरे लोक से टपका होऊँ। मैंने उनकी जिज्ञासा और हैरानगी को और न बढ़ाते हुए अपने एजेंडे की पिटारी खोल दी। अब वह सज्जन अभिभूत थे और अपुन पूरी लय में थे। अपुन के एजेंडे में कोई ऐसा-वैसा छुपा या सीक्रेट एजेंडा नहीं है जो आम तौर पर पॉलिटियशनों के एजेंडा में होता है। अपुन का एजेंडा बड़ा क्लीयर-सा एजेंडा है जिसमें जो भीतर है, वही बाहर है और जो बाहर है, वही भीतर है। आपके जनरल नॉलेज में इज़ाफ़ा करने और देश की आन-बान व शान को बढ़ाने के लिए लीजिए प्रस्तुत है अपुन का ताज़ा एजेंडा। इस बार यानि इस साल यानि इस सीज़न में अपुन भ्रष्टाचार में नए आयाम स्थापित करेंगे। पिछले साल जिन सौदों में अपुन कमीशन नहीं खा पाए थे, वह कसर इस बार निकालेंगे। बिना कमीशन के कोई सौदा नहीं होगा और कमीशन की दरें क्या होंगी तथा कमीशन किन-किन में बाँटा जाएगा, इस बारे में सुझाव देने के लिए एक कमीशन बिठाया जाएगा। जिस तरह मूल्य सूचकांक और मूद्रा-स्फीति के बारे में हर पखवाड़े मुल्क की जनता को बताया जाता है, उसी तरह कमीशन की दरें घटने या बढ़ने के बारे में भी पब्लिक को जानकारी दी जाएगी। 'जीओ और जीने दो' की तर्ज़ पर अपना नारा होगा- 'खाओ और खाने दो।' अपुन के एजेंडे में जो दूसरी महत्वपूर्ण बात शामिल है, वह यह है कि अंतरिक्ष में एक बैंक खोला जाएगा। भ्रष्टाचार के ज़रिए कमाई धनराशि स्विस बैंकों में जमा करवाने का रिस्क नहीं लिया जाएगा क्यों कि सीबीआई कभी भी इन बैंकों में जाकर खातों और लाकरों की जाँच कर सकती है, लिहाज़ा दो नंबर का पैसा अंतरिक्ष में खुले बैंक में जमा करवाया जाएगा। ज़्यादा लफड़ा पड़ा तो यह कह कर सफ़ाई दी जा सकती है कि 'ऊपर वाले' ने जो छप्पर फाड़ कर दिया था, वह 'ऊपर वाले' के पास ही जमा करवा दिया है। कोई प्राब्लम है तो ऊपर वाले से ही पूछ लो। अपुन के एजेंडे की तीसरी महत्वपूर्ण बात यह होगी कि अपने इलाके में कुछ समान विचारधारा के महापुरुषों के सहयोग से एक नई तरह का स्कूल खोला जाएगा और इस स्कूल में नई तरह का पाठयक्रम लागू करके बच्चों को नई-नई जानकारियों से लैस किया जाएगा और नए-नए संस्कार उनमें भरे जाएँगे। मसलन बच्चों को बताया जाएगा कि विरोधियों के खिलाफ़ कैसे-कैसे षड़यंत्र रचे जा सकते हैं, कैसे उन्हें ब्लैकमेल किया जा सकता है, चरित्र हनन की राजनीति कैसे की जाती है, बाहुबली कैसे बना जा सकता है, बूथ कैपचरिंग कैसे की जाती है, सांप्रदायिकता को बढ़ावा कैसे किया जाता है, फ्रॉड कैसे किए जाते हैं, टाँग खिंचाई कैसे की जाती है, अफ़वाहें कैसे फैलाई जाती है, राजनीति में किस गली से घुसा जाता है और कैसे राजनीति का धुरंधर खिलाड़ी बना जाता है। जब बच्चों को शुरू से ही यह सब सिखाया जाएगा तो बड़े होकर वे मात नहीं खाएँगे और अपने-अपने तरीके से देश का नाम रौशन करेंगे। बच्चों को नैतिकता, ईमानदारी, देशभक्ति, कर्तव्यनिष्ठा और भाईचारे जैसी फ़ालतू की बातें बताकर गुमराह नहीं किया जाएगा और न ही उनका बेशकीमती टाईम बरबाद किया जाएगा। अपुन के एजेंडे में चौथी आईटम के रूप में एक ऐसे अंतर्राष्ट्रीय चैनल की शुरुआत करना शामिल होगा जिसमें सनसनी ही सनसनी होगी। इस सनसनी की एक कड़ी के रूप में यह भी बताया जाएगा कि फाँसी पर लटकने के बाद किस तरह सद्दाम हुसैन ने जार्ज बुश के सपने में आकर उन्हें डरा दिया था और किस तरह जार्ज बुश घबराते हुए पलंग से नीचे उतरे थे और सीधे बाथरूम में जाकर भीतर से चिटकनी लगा ली थी। सनसनी की एक अन्य कड़ी में यह बताया जाएगा कि रहस्यमयी परिस्थितियों में लापता हुई एक अभिनेत्री के किन-किन नेताओं से अंतरंग संबंध थे। इसी तरह चैनल पर यह भी बताया जाएगा कि अपनी ट्रांसफ़र रुकवाने की फ़रियाद लेकर एक नेता के बंगले में गई एक महिला कर्मचारी से क्या गुज़री। अपुन के एजेंडे की पाँचवी आईटम यह है कि अपुन राष्ट्र के किसी सम्माननीय दिवंगत नेता के बारे में कोई रहस्योद्घाटन करके मुल्क में ज़बरदस्त कंट्रोवर्सी खड़ी करेंगे। कुछ लोग अपुन के पुतले फूकेंगे और कुछ धरना प्रदर्शन करके अपनी नेतागिरि चमकाएँगे। जब महौल पूरी तरह अपुन के खिलाफ़ हो जाएगा तो अपुन एकाएक पैंतरा बदलेंगे और पत्रकार सम्मलेन बुलाकर कहेंगे कि जुबान फिसलने से ऐसा हो गया। दरअसल रहस्योद्घाटन तो किसी वर्तमान नेता के बारे में किया जाना था लेकिन ज़ुबान पर दिवंगत नेता का नाम आ गया। लगे हाथ यह भी कह देंगे कि दिवंगत नेता की आत्मा को जाने-अनजाने में जो कष्ट हुआ है, उसके लिए अपुन दोनों हाथ जोड़कर क्षमा प्रार्थी हैं। ऐसा करने से अपुन को थोक में पब्लिसिटी मिलेगी और जैसा कि आप सभी जानते हैं कि आज कल पब्लिसिटी का ज़माना है। अपुन का ताज़ा एजेंडा भी पब्लिसिटी का हथकंडा है। क्या समझे? ९ मई २००७ |