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116.  11.  2006 

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पिछले सप्ताह
1
हास्य व्यंग्य में
गुरमीत बेदी से सुनें कि वे किसलिए
आजकल नाराज चल रहे हैं

लघुकथा में
डा फकीरचंद शुक्ल की रचना
दृढ़ निश्चय

पर्व परिचय में
चंदननगर, हुगली से मानोशी चैटर्जी की
जगद्धात्री पूजा

रसोईघर में
गरमा गरम पक कर तैयार है
हराभरा पुलाव

कहानियों में
यू एस ए से डॉ प्रतिभा सक्सेना की कहानी
तार

 

वह ब़डा उदास था। थोड़ी देर पहले ही उसे तार मिला था, उसके भतीजे की मृत्यु हो गई थी। जवान भतीजा खूब तंदुरूस्त, अच्छा ऊंचा पूरा, नाक के नीचे स्याह रेखाएं बहुत स्पष्ट दिखने लगीं थीं, डूब कर मर गया। ऐसी कोई बात नहीं थी कि जान-बूझ कर या किसी मजबूरी की वजह से कुछ कर बैठा हो। बड़ी मस्त तबीयत का था। किसे मालूम था जाकर वापस नहीं लौटेगा! सहसा विश्वास नहीं हुआ कि हितेन मर गया है। अभी कुछ दिन पहले ही तो उसके पास आया था। एक हफ्ते साथ-साथ रहे थे दोनों। उम्र में भी तो कोई ख़ास अंतर नहीं था। घर में कोई उसके सबसे निकट था तो बस हितेन ही। भतीजे से अधिक दोस्त था वह उसका।

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बाल दिवस विशेषांक
1
कहानियों में
भारत से बच्चन सिंह की कहानी
बबलू

जिस दिन कांता रात में रिक्शा खींचने लगा था, उस दिन से उसे कुछ बचत होने लगी थी। दस–बीस रूपये काट–कपट कर डाकखाने में जमा करने लगा था। छनिया भी मुहल्ले के एक सेठ के यहां कपड़ा धोने का काम करने लगी थी। उसे महीने में ढाई सौ रूपये और दोपहर का खाना मिलता था। छनिया इस पगार में से दो सौ रूपये कांता को देती थी जिसे वह डाकखाने में डाल देता था। इस बचत से कांता और छनिया दोनों ही
उत्साहित थे। अब बबलू अंग्रेज़ी स्कूल में पढ़ने लगेगा। पढ़–लिखकर साहेब बनेगा और उसकी तकदीर बदल देगा। बुढ़ापा चैन से कटेगा। मान–मर्यादा बढ़ जाएगी।

हास्य व्यंग्य में
शास्त्री नित्यगोपाल कटारे की चिंता
वे बच्चे नहीं रहना चाहते

सामयिकी में
देवेंद्र देवेश का आलेख
बाल–पत्रिकाओं की भूमिका

साहित्यक निबंध में
डा जगदीश व्योम दिखा रहे हैं
बाल साहित्य का केन्द्र
लोक साहित्य

फ़िल्म इल्म में
अजय ब्रह्मात्मज की पड़ताल
बच्चों का फिल्म संसार

 सप्ताह का विचार
च्चे कोरे कपड़े की तरह होते हैं, जैसा चाहो वैसा रंग लो, उन्हें निश्चित रंग में केवल डुबो देना पर्याप्त है।
—सत्यसाईं बाबा

 

जारी हैं
बालदिवस के अवसर
पर
शिशुगीत महोत्सव में
नित नवीन शिशुगीत

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में
पानी–मनमोहन सरल
ढिबरी टाइट – तेजेन्द्र शर्मा
हवाघर – डॉ हरिसुमन बिष्ट
श्रीभट्ट (नाटक) – शिबन कृष्ण रैणा
तलवार – मधुसूदन आनंद
पुराने कपड़े – शरद सिंह
लौटते हुए – सी पी श्रीरामन

हास्य व्यंग्य में
क्रिकेट के बारे में–डॉ .शिवदेव मन्हास
एक महान . . .– मुरली मनोहर श्रीवास्तव
विभीषण की सरकार–अभिनव शुक्ल
हार्दिक बधाई – रवि रतलामी
रहस्य राम–वनवास का–जवाहर चौधरी

प्रकृति और पर्यावरण में
स्वदेशी से जानें
कचरे का कमाल

संस्मरण में
अनूप कुमार शुक्ल की पुष्पांजलि
बोलो न बोलो रमानाथ अवस्थी

फुलवारी में
मौसम के विषय में जानकारी की बातें
जलवायु

प्रौद्योगिकी में
रविशंकर श्रीवास्तव से कुछ अंदरूनी बातें
एमपी3 प्लेयर के संबंध में

साहित्य समाचार में
कलकता और लखनऊ से
दो समाचार

 

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© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन 
 सहयोग : दीपिका जोशी
फ़ौंट सहयोग :प्रबुद्ध कालिया

 
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