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पिछले
सप्ताह
हास्य
व्यंग्य में
रविशंकर
श्रीवास्तव का दुःस्वप्न
आरक्षित
भारत सन2010
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प्रकृति
और पर्यावरण में
ऑस्ट्रलिया से सूरज जोशी की
प्रस्तुति
ऑस्ट्रेलिया
के कंगारू
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पर्यटन में
चंदन सेन के साथ देखते हैं
बूंदों
में
खिलता बूंदी का
रूप
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फुलवारी
में
ललित
कुमार से जानकारी की बातें
मिस्र,
द
.अफ्रीका, नाइजीरिया
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कहानियों में
भारत से गिरीश पंकज की कहानी
भाई
साहब
बात करतेकरते गेटविक
एयरपोर्ट आ पहुंचे। चेक इन किया और डयूटी फ्री शॉप
के सामने पहुंच कर खड़े हो गए। कॉफी
पीतेपीते मैंने ग़ौर से देखा, सुनीता कहीं से भी
वेस्ट इंडियन नहीं लग रही थी। लगती भी कैसे? है तो
भारतीय मूल की। थोड़ीसी सांवली है। लेकिन
नाकनक्श आकर्षित करने वाले हैं। सुनीता मुझे
देखकर मुस्कुरा रही थी। फिर बोली, "क्या देख रहे हैं?
शायद सोच रहे होंगे कि किस ब्लैकगर्ल से पाला
पड़ गया। यहां चारों तरफ़ गोरेगोरे चेहरे नज़र
आ रहे हैं।"
मैंने कहा, "आप ब्लैक गर्ल नहीं, ब्लैक ब्यूटी
हैं। हमारे यहां आप जैसी कोई लड़की दिख जाए तो
लोग पागल हो जाएं।"
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इस
सप्ताह
कहानियों में
भारत से सुषमा जगमोहन की कहानी
शहादत
आजकल
प्रफुल्ल बाबू बहुत खुश हैं। खुश होने की दो वजह हैं।
यही तो कुछ दिन हैं जब उन्हें लोग प्रफुल्ल बाबू कह कर
पुकारने लगते हैं। दूसरे, ये उनके कमाई के दिन हैं-
सॉलिड कमाई के। अपने ही शब्दों में आज कल वह
चांदी काट रहे हैं। चौंकिए मत, प्रफुल्ल
बाबू के चांदी काटने का मतलब है सौ-डे़ढ सौ रूपए
रोज़ की दिहा़डी, साथ में खाना और शाम को
दारू का इंतज़ाम भी। कई तरह के दूसरे फ़ायदे भी हो
जाते हैं। ज़रूरत पड़ी तो बेटे को भी स्कूल से छुट्टी
दिलवा देते हैं। और पत्नी शांति भी कारखाने से वक्त
निकाल कर यहां आ जाती है। कभी कभार छुट्टी मार ली।
यानि कि बाद की ज़िंदगी के कई महीने
सुकून से गुज़र जाते हैं।
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हास्य
व्यंग्य में
डा प्रेम जनमेजय का गुरूमंत्र
राम!
पढ़ मत, मत पढ़
°
मंच
मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में
प्रभो
उनको
काले
नाग
से
बचाए
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चिठ्ठापत्री
में
चिठ्ठापंडित की पैनी नज़र
मई
महीने के चिठ्ठों पर
°
संस्मरण में
रामप्रकाश सक्सेना का आलेख
पुण्य
का काम
सप्ताह का
विचार
यशस्वियों
का कर्तव्य है कि जो अपने से होड़ करे उससे अपने यश की
रक्षा भी करें। कालिदास
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सावित्री
शर्मा,
डा राजेश कुमार,
संदेश त्यागी,
डा सुरेन्द्र भूटानी
और
आरती पाल बघेल
की नयी रचनाएं
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° पिछले अंकों
से °
कहानियों में
ठूंठऋषि कुमार शर्मा
मां
आकाश हैगिरिराज किशोर
बुधवार का
दिनगुरमीत बेदी
धूप के मुसाफ़िर
मुशर्रफ़ आलम ज़ौक़ी
सेल
इला प्रसाद
अब
कहां जाओगे ए असफल
°
हास्य
व्यंग्य में
जब मैने आदमीअभिरंजन कुमार
तोहफ़ा
टमाटरों कामनोहर पुरी
फैशन
शो में . . .शास्त्री नित्यगोपाल कटार
हमारे पतलू
भाईनीरज त्रिपाठी
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1
विज्ञान
वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप की पड़ताल
लड़कियां
लड़कों सी नहीं होतीं
°
प्रौद्योगिकी
में
रविशंकर श्रीवास्तव के साथ अंतरजाल पर
हिंदी
के बढ़ते कदम
°
साहित्य
समाचार में
असगर वजाहत एवं गोविंद शर्मा को
कथा
यू.के. सम्मान 2006
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सामयिकी
में
रोचक तथ्यों के साथ अर्बुदा ओहरी का
एक
दिन मां के लिए
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संस्मरण
में
प्रख्यात लेखिका चंद्रकांता की स्मृतियां
देखना,
जानना और होना
°
महानगर
की कहानियों में
राजेन्द्र मोहन त्रिवेदी
'बंधु' की लघुकथा
मां…! मां…!!
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कला
दीर्घा में
भारतीय कलाकारों की
तूलिका से
मां के विभिन्न रूप
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