एक
दिन माँ के लिए
-अर्बुदा
ओहरी
मातृ दिवस या मदर्स डे मनाने की परंपरा बहुत
पुरानी नहीं है। सत्रहवीं शताब्दी में युनाइटेड
किंगडम में इसे मनाना शुरू किया गया था। एक पुरानी
परंपरा के अनुसार इसाइयों को अपनी माँ के चर्च में
साल में कम से कम एक दिन जाना चाहिए और शायद उसी
प्रावधान ने बाद में मदरर्स डे नाम ले लिया। पहले
यह दिन लेंट(ईस्टर के चालीस दिन पहले) के चौथे
रविवार को मनाया जाता था। जिसे 'मदरिंग संडे' या
'मिडलेंट संडे' कहा जाता था, जो मार्च में आता है।
ब्रिटेन में १६वीं शताब्दी में 'मदरिंग संडे'
मनाने की परंपरा का उल्लेख भी मिलता है। जो गरीब
लोग अपने गाँव से दूर शहर के अमीरों के घरों में
नौकरी करते थे वे इस दिन अवकाश लेकर घर जाते थे।
गाँव में इस समय माँ व अन्य परिजानों के साथ उत्सव
और खानेपीने का वातावरण रहता। शहर से आने वाले
कामगार माँ के लिए केक व अन्य उपहार ले जाते। इस
दिन एक विशेष केक का बड़ा महत्तव होता था जिसे
'मदरिंग केक' या 'सिमनल केक' कहा जाता था।
पुरातन ग्रीस में वर्ष में एक दिन देवों की माँ
"रीहा" के नाम पर वसंत ऋतु में उत्सव मनाने की
प्रथा थी। इस अवसर पर सुबह-सुबह उठ कर रीहा को शहद
से बने केक का भोग लगाया जाता था, उसे उत्तम पेय
चढ़ाया जाया था तथा फूलों से अभिनंदन किया जाता
था। ऐसा लगता है कि माँ को मदर्स डे पर बिस्तर में
फूल और सुबह का नाश्ता देने की प्रथा तभी
से शुरू हुई।
अलग-अलग देशों में इस दिन को मनाने की परंपरा थी
और इसके कारण और उद्देश्य भी अलग-अलग थे।
आस्ट्रेलिया, मैक्सिको, डेन्मार्क, फिनलैंड, इटली,
टर्की, बेल्जियम, रूस, चीन और थाईलैंड में
मातृदिवस मनाने की परंपरा अमेरिका से पहले से जारी
है। भारत में माँ के महत्तव को धार्मिक अनुष्ठानों
से बहुत पहले से जोड़ा जाता रहा है। नवरात्रों में
देवी की पूजा और कन्या खिलाने की प्रथा काफी कुछ
पश्चिम के मदर्स डे से मिलती जुलती है। बाइबल में
ईव को समस्त प्राणियों की माँ माना गया है।
अमेरिका में
इस पर्व को सबसे पहले अठ्ठारह सौ बहत्तर में छोटे
पैमाने पर बोस्टन शहर में जूलिया वार्ड होवे के
सुझाव पर छुट्टी रख कर मनाया गया था। जूलिया होवे
को अमरीका में महिला अधिकारों का मसीहा कहा जा
सकता है। उन्होंने मदर्स डे के रूप में अमरीका में
महिलाओं के अधिकारों और उनकी सुख-समृद्धि के लिए
घोर संघर्ष किया। फ्रांसीसियों और जर्मनों के बीच
युद्ध में बड़ी संख्या में सैनिकों की मृत्यु के
बाद परिवार बिखर गए थे और अनेक महिलाएँ बेसहारा हो
गई थीं। उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था और
उनका जीवन बड़े कष्ट में व्यतीत हो रहा था। मदर्स
डे मना कर
जूलिया ने समाज और सरकार का ध्यान इन महिलाओं की
ओर खींचा और उनके पुनर्स्थापन का महत्तवपूर्ण काम
किया।
उन्नीस सौ सात में एक और अमरीकी महिला एना जार्विस
ने इस दिशा में महत्तवपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने
पहला मातृदिवस १० मई १९०८ को अपनी माँ के सम्मान
में स्थानीय चर्च में सामूहिक प्रार्थना कर के
मनाया और इस दिन को मनाने के लिए ग्राफ्टन,
पश्चिमी वर्जीनिया में प्रचार शुरू कर दिया। बाद
में जब वे फिलेडेल्फिया गयीं तब वहाँ भी उन्होने
इसका प्रचार किया। इन सब प्रयत्नों से ८ मई १९१४
को मई का दूसरा रविवार मातृ दिवस के नाम पर सरकारी
तौर से छुट्टी और उत्सव का दिन घोषित कर दिया गया।
इस आदेश पर राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने हस्ताक्षर
किए। सफेद कार्नेशन के फूलों को मदर्स डे का
आधिकारिक प्रतीक चुनने का प्रस्ताव भी एना जर्विस
का ही था। इसके बाद लंदन में
भी इसका प्रारूप बदल
गया और मदरिंग संडे अब मदर्स डे के नाम से ही
निर्धारित दिन मनाया जाने लगा है।
जल्दी ही इस दिन को संपूर्ण विश्व में लोकप्रियता
मिली और व्यापारिक विज्ञापनों के लिए मदर्स डे का
प्रयोग होने लगा। एना इससे खुश नहीं थीं। हालत
यहाँ तक पहुँची कि १९२३ में एना जार्विस ने
न्यायालय का दरवाज़ा खटखटा कर इसके विरुद्ध अपनी
अर्जी दाखिल की पर वे मुकदमा हार गईं। आजकल
शुभकामना और धन्यवाद के अभिनंदन पत्रों, मिठाइयों,
वस्त्रों,
आभूषणों यहाँ तक कि होटलों के डिनर तक में मदर्स
डे का ज़ोरदार व्यापारिक प्रयोग होता है।
वर्ष २००३ के सरकारी आँकड़े कहते हैं कि अमेरिका
में ५५ प्रतिशत महिलाएँ माँ हैं। २००३ के आँकड़ों
के अनुसार उस वर्ष मदर्स डे की शुभकामनाओं के लिए
२२,०२२ फूल बेचने वाली संस्थाओं में ११३,२७०
कर्मचारियों ने फूलों को सजाने, गुलदस्ते बनाने,
उनको बेचने और उन्हें माताओं तक पहुँचाने में
हिस्सा लिया। इस अवसर पर जिन फूलों का प्रयोग किया
गया उनमें से दो तिहाई फूल केवल कैलिफोर्निया
प्रांत से लाए गए थे। माँ को उपहार देने के लिए
जिन दूकानों पर इत्र और प्रसाधन ख़रीदे गए उनकी
संख्या १३,९३८ थी और जिन प्रतिष्ठानों से आभूषणों
की ख़रीद की गयी उनकी संख्या थी २८५२७। हॉलमार्क
के आँकड़ों का कहना है कि अभिनंदन पत्र प्रकाशित
करने वाले ११४ प्रतिष्ठानों के १४३१८ कर्मचारियों
ने इस अवसर पर मदर्स डे के कार्ड तैयार करने का
काम किया। इस अवसर पर केवल यू एस ए में १५०
मिलियन अभिनंदन पत्र
भेजे गए, जिससे पता लगता है कि यह पर्व कार्ड
भेजने की लोकप्रियता में तीसरे स्थान पर है।
पश्चिमी देशों में बच्चे माता -पिता के साथ नहीं
रहते इसिलिये मदर्स डे और फादरर्स डे मनाने का
महत्तव काफी ज़्यादा है। आज के परिवेश को देखते
हुए लगता है कि मदर्स डे मनाने की जो परंपरा चल
पड़ी है उससे चाहे एक दिन ही सही माँ को अपने
बच्चों का और बच्चों को अपनी माँ का इंतज़ार तो
रहता है। संयुक्त परिवार अब हमारे अपने देश में भी
बहुत कम हो गए हैं। ऐसे में कम से कम एक दिन माँ
के नाम होना ही चाहिए। मनुष्य एक संवेदनशील प्राणी
है यदि
संस्कारों के प्रति संवेदनशीलता खत्म हो गयी तो
फिर जीवन नीरस हो जाएगा।
माँ से शिशु का संबंध गर्भ से ही शुरू होता जाता
है जब माँ गर्भस्थ शिशु को अपने ही शरीर का एक अंग
बना लेती है। शिशु भी तभी से जननी को अपने सबसे
करीब मानने लगता है। माँ भी बालक के ईद गिर्द अपनी
दुनिया बना लेती है। बालक के रूदन में भी माँ ही
होती है, तो उसके विकास में भी माँ की ही झलक होती
है। बालक अपने अन्दर अपनी माँ का ही प्रतिबिम्ब
देखता है। माँ रिश्ते रूपी घर की छत की तरह होती
है। माँ बालक की प्रथम गुरू कहलाती है। सहज भाव से
माँ बालक को अपना आभास कराती है और माँ का वही
आभास बालक के जीवन को पोषित भी करता है। बालक के
कदम को आगे बढाने के लिये माँ ही पहली उंगली देती
है और जीवन पर्यन्त वह दिशा बोध भी कराती रहती है।
ऐसी होती है माँ जो कोमलता के साथ बालक के विकास
में सहायक होती है और ज़रूरत हो तो कठोर होकर समय
के थपेड़ों
से बालक को बचा भी लेती है।
माँ की प्रशस्ति में दुनिया की अनेकों भाषाओं में
कहावतों के भंडार हैं। विश्व साहित्य में माँ हर
जगह छाई हुई है। उसके प्रति प्रेम और सम्मान
प्रदर्शित करने के लिए अनेक कविताएँ लिखी गई हैं।
फिल्में बनी हैं और उपन्यासों की रचना हुई है। माँ
का आशीर्वाद जिसके सिर पर है वह सभी संकटो का
सामना कर सकता है। अपने हृदय में माँ के प्रति आदर
की छुपी भावना व्यक्त करने के लिए पश्चिमी देशों
में मदर्स डे की परंपरा शुरू हुई थी। हालांकि माँ
के लिये आदर और सम्मान को किसी शब्द या उपहार से
अभिव्यक्त नहीं किया जा सकता तथापि हम अपनी कोशिश
तो कर सकते हैं कि अपनी माँ के लिये कम से कम एक
दिन उत्सव के रूप में मना कर उसके प्रति कृतज्ञता
व्यक्त की जाए। मातृ दिवस पर मातृ शक्ति को कोटि
-कोटि प्रणाम है।
१६
मई २००६
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