प्रकृति
की गोद में बसी बूंदी अपने आप में एक
विशिष्ट नगरी है जो स्थापत्य के मानव
निर्मित सौंदर्य को प्रकृति के नैसर्गिक लावण्य
से सहेजे हुए है। जहां एक ओर अरावली की सुरम्य
पहाडियों के बीच घिरी झील और बावड़ियों का
प्राकृतिक सौंदर्य इसकी शान को बढ़ाता है वहीं
प्राचीन स्मारकों भव्य प्रासादों तारागढ़ों,
प्रभावशाली मध्ययुगीन किलों महलों
हवेलियों सुंदर पत्थर की मूर्तियों व
नक्काशीदार काम से युक्त छतरियों वाले मंदिरों
के स्थापत्य का सौंदर्य भी देखते ही बनता
है।
राजस्थान की लघु
काशी के नाम से विख्यात भगवान रंगनाथ जी की
यह कला नगरी बूंदी
को हाड़ौती की रानी के नाम से भी जाना जाता
है। बारीक नक्काशी व भित्ति चित्रों के लिये बूंदी
अत्यंत प्रसिद्ध हैं। यहां की लोक कला एवं संस्कृति
बहुत ही आकर्षक एवं पर्यटकों को लुभाने वाली
है। हाड़ौती की धरोहर यह लोक संस्कृति
आधुनिकीकरण से आज भी अछूती है यह देखकर पर्यटक
आश्चर्य चकित रह जाता है। यहां के कला वैभव को
विख्यात लेखक सर रूडियार्ड किपलिंग प्रख्यात
फोटोग्राफ़र वर्जिनिया फास विश्वकवि कवींद्र
रवींद्र, जानेमाने इतिहासविद कर्नल टॉड एवं
भारतीय फिल्मों के अंतर्राष्ट्रीय राजदूत सत्यजीत
राय ने भी अपनी रचनाओं में स्थान दिया है।
बूंदी शैली में चित्रित प्रसिद्ध प्राचीन
कालाकृतियों में से रागिनीभैरवी
बिलावल पटमंजरी भारत कलाभवन
वाराणसी में तथा राग दीपक म्यूनिसिपल
संग्रहालय इलाहाबाद में सुशोभित हैं।
बारहवीं शताब्दी में
राजा हाडा राव देव ने राजस्थान के दक्षिण पूर्वी
हिस्से पर विजय प्राप्त कर के हाड़ौती (हाड़ावती)
राज्य की स्थापना की और बूंदी को राजधानी
बनया। जयपुरजबलपुर
राष्ट्रीय राजमार्ग पर सुरम्य पहाड़ियों के बीच
बसी यह अद्वितीय नगरी हाडा शासकों की राजस्थली
महाकवि सूर्यमल्ल मिश्रण की कर्मस्थली और वीर
कुंभा की जन्म स्थली बनने का सौभाग्य प्राप्त कर
चुकी है।
शांत सौम्य बूंदी
की पर्वत श्रृंखलाएं वर्षा ऋतु में हरियाली की चादर
ओढ़ लेती हैं। विभिन्न रास्तों से होती हुई जल
धाराएं पगडंडिंयों को काटती हुई बह उठती हैं और
झरने के रूप में ऊचाइयों से नीचे गिरकर अद्भुत
निझर बनाती हैं। वर्षा की
निस्तब्ध रातों में
निर्झरों के ये कलकल स्वर प्रकृति में संगीत
का स्वर घोल देते हैं। निःसंदेह रेगिस्तानी
राज्य राजस्थान में जल व झरने मनुष्य को ही
नहीं अन्य प्राणी पक्षियों को भी कलरव करने हेतु
प्रोत्साहित करते हैं। वर्षा की फुहारों से घाटी
में बसा हुआ ये सुंदर शहर जैसे धुलकर सुंदर
बन जाता हैं और आंखो को शांति प्रदान करने
वाली हरियाली आंखों को तो मोहती ही है
स्वास्थ्य के लिए भी अति उतम है। बूंदी में
स्थित रामेश्वरम झरना भीमलत झरना बरधा
बांध की चादर गुढा बांध की चादर तलवास
की झील माला देवी का मंदिर जवाहर सागर
डेम पर गरारिया महादेव का रमणीक दृष्य जैत
सागर झील(चित्र
में रात
में जैत सागर झील में जगमगाता महल) चंबल नदी और इंद्राणी बांध
वर्षा के जल की आवक से सराबोर हो उठते है
जिसके कारण ये पर्यटन स्थल देखते ही बनते
हैं।
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