सामयिकी में
सन २००६ के पर्वों की
जानकारी के लिए
पर्व पंचांग
°
हास्य व्यंग्य में
रामेश्वर दयाल कांबोज की रचना
शकुनी मामा
°
मंच मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में
रेल में चलता है पर इतना
नहीं चलता
°
रसोईघर में
माइक्रोवेव अवन में तैयार करें
भरवां टमाटरं
°
कहानियों में
भारत से राजनारायण बोहरे की कहानी
बाज़ार बाज़ार
"सर कभी आपने सोचा कि एक सपना होगा आपका भी, कि आपके पास खूब
सारा पैसा हो! . . .बड़ा सा बंगला हो! . . .शानदार कार हो!
भाभी के पास ढेर सारे जेवर हों! आपके बच्चे ऊंचे स्कूल में पढ़ने
जाएं! आप लोग भी फ़ॉरेन टूर पर जाएं! यानी कि आपके पास वे सारी
सुख–सुविधाएं हों जो एक आदमी के जीवन को चैन से गुज़ारने के लिए
ज़रूरी हैं। लेकिन आप लोग मन मसोस के रह जाते हैं, क्योंकि आपके
सामने वैकल्पिक रूप में अपनी इतनी बड़ी इच्छाएं पूरी करने के लिए
कोई साधन नहीं हैं। छोटी–मोटी एजेंसी या नौकरी से यह काम कभी पूरे
नहीं होंगे– हैं न! एम आय राईट?"
|
कहानियों में
भारत से ज्ञानप्रकाश विवेक की कहानी
बच्चा
वह बड़ी प्यारी–सी आवाज़ में बोला, "हम आ जाएँ?" जैसे घंटियाँ–सी
बज उठी हों। उसके इस छोटे–से प्रश्न में कशिश थी, संगीत था, आदाब
था। वह अंदर आने के लिए पूछ रहा था। आज्ञा ले रहा था। लेकिन उसने
आज्ञा की प्रतीक्षा नहीं की। शर्माता–लजाता, छोटे–छोटे कदम रखता
कमरे में चला आया था। उसकी आँखों में कुतूहल था। अजनबीयत का अहसास
और थोड़ा–सा भय। वह आहिस्ता से चलता हुआ आया– मुझे देखता–सा,
दीवारों को देखता–सा, शेल्फ घड़ी, दरवाज़े, किताबें सबको देखता–सा,
शायद इनमें किसी को भी न देखता–सा, सिर्फ़ अपनी दुनिया– अपने बचपन
की सतरंगी दुनिया के साथ चलता–सा।
हास्य व्यंग्य में
गुरमीत बेदी का चुटीला व्यंग्य
गधा विवाद में नहीं पड़ता
°
संस्कृति में
मीरा सिंह बता रही हैं कि कैसे उठती है
तुलसी की डोली
°
चिट्ठा–पत्री में
चिठ्ठा पंडित के नए पंचांग से
दिसंबरी चिट्ठे
°
साहित्यिक निबंध में
देवेन्द्रराज अंकुर का आलेख
गली
गली
में
नुक्कड़
नाटक
°
ं
सप्ताह का विचार
सबसे
उतम विजय प्रेम की है। जो सदैव के लिए विजेताओं का हृदय बाँध लेती
है।
— सम्राट अशोक
|
|
सुरेश ऋतुपर्ण,
संजय ग्रोवर, सुनील जोगी, महेशचंद्र द्विवेदी तथा
नीरज त्रिपाठी की
नयी रचनाएंा
|
– पिछले अंकों से –
कहानियों में
पासपोर्ट के रंग– तेजेन्द्र शर्मा
पापा तुम कहाँ
हो– अलका प्रमोद
गर्म कोट– राजेन्द्रसिंह
बेदी
संदेसे आते हैं– सुषमा
जगमोहन
रिश्ते– उषा
वर्मा
बहाने से– संजय
विद्रोही
°
हास्य व्यंग्य में
नया साल मुबारक हो–डा नरेन्द्र कोहली
काश दिल घुटने में होता–राजर्षि
अरूण
किलर इंस्टिंक्ट–महेश चंद्र
द्विवेदी
कुते की आत्मा–विनय कुमार
°
दृष्टिकोण में
रामेश्वर दयाल कांबोज हिमांशु का आलेख
नये साल में
संकल्प लें
°
पर्व परिचय में
दीपिका जोशी का आलेख
देश देश में नववर्ष
°
फुलवारी में
देश देशांतर के अंतर्गत
यू के फ्रांस जर्मनी और शिल्प कोना में
नए साल का कलेंडर
°
प्रौद्योगिकी में
रविशंकर श्रीवास्तव का आलेख
डिजिटल पेन
°
विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप की सम्यक चेतावनी
गरमाती
धरती और लापरवाह हम
°
प्रकृति और पर्यावरण में
गुरमीत बेदी बता रहे हैं कि एकदिन
हवा हो जाएँगी चिड़ियाँ |