अफ़ग़ानिस्तान
में नव वर्ष पहली जनवरी को न मानकर 'अमल' की पहली तारीख अर्थात
गेगरी कैलेंडर की २१ मार्च को मनाया जाता है। २० मार्च नई
दुनिया का प्रमुख दिन होता है। उस रात हरी सब्ज़ियों के
साथ-साथ कढ़ी-चावल भी बनते हैं। लोग नए कपड़े पहनते हैं। १२
बजे बत्तियाँ बुझा दी जाती हैं तथा रिकॉर्ड की धुन पर लोग
नृत्य करते हैं।
१२ बजे का ऐलान होते ही लोग
एक-दूसरे को नव वर्ष की शुभकामनाएँ देना शुरू कर देते हैं। यह
कार्यक्रम अधिकतर खुले आकाश के नीचे होता है। यहाँ के सात फलों
को मिलाकर एक पेय 'मेवाना नोबराज' अर्थात 'नव वर्ष का मेवा'
बनाया जाता है। दिन के समय सब मिलकर विशेष प्रकार का भोजन करते
हैं। फिर दो-तीन बजे के लगभग घर से बाहर कहीं जाना तथा घास पर
चलना ज़रूरी होता है। इसे 'सबजाला-हा-गाटकरदान' कहते हैं।
स्पेन
में इस दिन रात्रि के १२ बजे के बाद एक दर्जन ताज़े अंगूर खाने
की परंपरा है। इनकी मान्यता है कि ऐसा करने से वे साल भर
स्वस्थ रहते हैं। नव वर्ष
३१ दिसंबर की रात को मनाया जाता है।
सब लोग अपने-अपने अंगूरों के साथ बारह
बजने
की प्रतीक्षा करते हैं। जैसे ही बारह बजते हैं, घड़ी के घंटों
के साथ इस विशेष प्रथा का पालन होता है।
नियम यह है कि हर घंटे के साथ
एक अंगूर मुँह में रखा जाना चाहिए और बारह घंटे पूरे होते ही
बारह अंगूर ख़त्म हो जाने चाहिए। हालाँकि ऐसा होता नहीं है।
सबके मुँह अंगूरों से भरे होते हैं और वे एक दूसरे को देख कर
हँसने लगते हैं।
कहते हैं कि प्राचीन काल में
एक बार अंगूरों की बहुत अच्छी फसल हुई। इससे प्रसन्न होकर राजा
ने देश के हर नागरिक को साल के अंतिम दिन बारह अंगूर भेंट किए।
तभी से इस प्रथा का प्रारंभ हुआ।
कोरिया
में भी अनेक अन्य एशियाई देशों की
तरह नया साल सौर वर्ष और चंद्र वर्ष के अनुसार
दो बार मनाया जाता है। ज़्यादातर लोग सौर वर्ष को ही नया साल
मनाते हैं। इसे 'सोल-नल' कहा जाता है और यह पूरे परिवार के
इकट्ठा होने पर आपस में मिल कर मनोरंजन, प्रेम और हँसी-खुशी
बाँटने का दिन होता है। इससे एक दिन पहले, फूस से
बुनी हुई ख़ास तरह की छलनियाँ, जिन्हें 'बुक जोरी' कहते हैं,
दरवाज़ों पर टाँगी जाती हैं। ऐसा विश्वास है कि ये घर को बुरी
नज़र से बचाती हैं। पाँच रंगों से सजे नए कपड़े पहने जाते हैं
जिन्हें 'सोल-बिम' कहा जाता है।
नए साल की सुबह-सुबह सब लोग
परिवार के सबसे बड़े पुरुष सदस्य के घर एकत्र होते हैं। यहा
'चा-राय' नामक परंपरा को निभाया जाता है। इस परंपरा में अपने
पूर्वजों को याद किया जाता है और 'टोक-कुक' के प्याले परोसे
जाते हैं। यह एक प्रकार का पतला सूप होता है जिसमें चावल के
महीन टुकड़े और बीफ के शोरबे का प्रयोग किया जाता है। इसे
स्वास्थ्य वर्धक समझा जाता है। 'टोक-कुक' का अर्थ है आयु लाभ।
ऐसा मानना है कि एक कटोरा सूप से जीवन में एक साल आयु बढ़ जाती
है। इस प्रकार सभी अपनी उम्र इस दिन एक साल बढ़ा देते हैं।
सुबह के भारी भरकम नाश्ते के
बाद छोटे लोग बड़ों के सामने झुककर आशीर्वाद लेते है। इसको
'से-बे' या 'जोल' कहा जाता है। 'जोल' के लिए अपने दोनों हाथों
को आँखों के सामने रखना होता है। घुटने ज़मीन को छू जाएँ इस
तरह बैठना होता है और हाथों के साथ-साथ सिर को भी झुका कर
ज़मीन से छुआ देना होता है। छोटे बच्चे यह क्रिया आसानी से कर
सकते हैं। बड़ी उम्र के लोग दूसरों की सहायता ले लेते हैं।
बच्चे छोटे-छोटे सजावटी बटुए बनाते हैं जिन्हें 'बुक जु मो नी'
कहा जाता है। 'जोल' के बाद सब बड़े लोग छोटों को पैसे देते
हैं। बच्चे अपने पैसे नए बनाए गए 'बुक जु मो नी' में रखते हैं।
जोल के बाद लड़के घर से बाहर
आकर पतंग उड़ाते हैं और लट्टू नचाते हैं। लड़कियाँ सी-सॉ पर
खेलती हैं। घर के भीतर 'युत नो री' खेला जाता है। इसमें चार
सीकों और चौखानों का प्रयोग होता है। जबतक परिवार साथ रहता है
दादा से लेकर पोती तक सब लोग दिन भर खेल मनोरंजन और खाने पीने
का आनंद उठाते हैं।
दक्षिण
अमेरिका में नए साल के दिन लोबिया के
साबुत बीज (ब्लैक आइ पीज़) और शलगम की पत्तियाँ खाने की प्रथा
है। लोबिया के बीज पैसे के प्रतीक हैं और शलगम की पत्तियाँ
रुपये की। ऐसा माना जाता है कि एक लोबिया का एक
बीज एक डॉलर की समृद्धि देता है और एक शलगम का पत्ता १,०००
डॉलर की। ये दोनों चीज़ें पचनक्रिया में भी महत्वपूर्ण मानी
जाती हैं। इसलिए नए साल पर इनका सेवन स्वास्थ्य और समृद्धिदायक
समझा जाता है। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि साल में हर दिन की
समृद्धि के लिए नए साल के अवसर पर लोबिया के ३६५ दाने खाना
ज़रूरी है।
दक्षिण अमेरीका के अलग देशों
में नए साल की इस परंपरा में थोड़ा बहुत अंतर नज़र आता है।
टेक्सास और अलाबामा में लोबिया के साथ शलगम की जगह बंदगोभी खाई
जाती है। लोबिया को सौभाग्य और बंदगोभी को धन का प्रतीक माना
जाता है। बंदगोभी और शलगम को पका कर भी खाया जाता है और दूसरे
पत्तों या सब्ज़ी के साथ मिला कर भी। कुछ लोग शलगम का साग
बनाते हैं और बंदगोभी का कॉल्सलॉ।
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