| सड़क से देखने पर लगता है कि 
अँधियारी रात में दूर कहीं आसमान से थोड़ा नीचे एक ऊँची-सी चीज़ के बदन पर एक जुगनू 
चिपक कर टिमटिमा रहा है। गौ़र से देखने पर मालूम पड़ा कि एक बहुमंज़िला इमारत की 
ऊपरी मंज़िल के किसी फ़्लैट की किसी खिड़की से रोशनी की कुछ बदहवास लकीरें बेवजह 
बाहर ताँक-झाँक कर रही हैं। सारा अँधेरा जिससे तिलमिलाया हुआ है। मानो वो अँधेरे की 
सत्ता को चुनौती दे रहा हो।  अँधेरी बिल्डिंग में एक सुनहरा 
रोशनदान-सा खुल गया जान पड़ता है। नज़दीक जा कर देखें तो बिल्डिंग पर लिखा पाएँगे 
'चित्रलेखा अपार्टमेंट'। बड़ी सुंदर बिल्डिंग है, विशाल और शानदार। गेट पर कोई 
गार्ड भी नहीं है ना ही कोई रोकने-टोकने वाला। इस वक्त तक तो सब सो-सा जाते हैं। बेधड़क इमारत में घुसिए। लिफ्ट को 
ट्राई करें? बंद पड़ी है ना? इस लिफ्ट का सदा ये ही हाल रहता है। चलो, सीढ़ियाँ 
पकड़ते हैं। चले आओ। चढ़ते जाओ। मंज़िल दर मंज़िल एक सूनापन चुपचाप, बिना किसी हलचल 
के सारी मंज़िलों पर पसरा पड़ा है। सूई गिरने जितनी आवाज़ भी जिसको बर्दाश्त नहीं 
है। ज़रा-सी आहट होते ही खामोश सन्नाटा ज़ोर से चीख पड़ता है। सूई भी गिरती है तो 
बेचारी गिरते ही सहम जाती है और देर तक उसकी डरी हुई साँसों का आरोह-अवरोह माहौल 
में सुनाई देता रहता है।  |