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अनुभूति

24. 12. 2005 

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पिछले सप्ताह

हास्य व्यंग्य में
महेश चंद्र द्विवेदी का आलेख
किलर इंस्टिंक्ट

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नगरनामा में
पराग कुमार मांदले का उज्जैन
करोगे याद तो . . . 

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संस्मरण में
नीरजा द्विवेदी की कलम से
वह कौन थी

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आज सिरहाने
डा सुरेश चंद्र शुक्ल द्वारा संपादित संकलन
प्रवासी कहानियां

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साहित्य संगम में
राजेन्द्रसिंह बेदी की उर्दू कहानी का रूपांतर
गर्म कोट

मैंने देखा है, मैराजुद्दीन टेलर मास्टर की दूकान पर बहुत–से उम्दा–उम्दा सूट लटके होते हैं। उन्हें देखकर अक्सर मेरे दिल में ख़याल पैदा होता है कि मेरा अपना गरम कोट बिल्कुल फट गया है और इस साल हाथ तंग होने के बावजूद मुझे एक नया गरम कोट ज़रूर सिलवा लेना चाहिए। टेलर मास्टर की दूकान के सामने से गुज़रने या अपने महकमे के तफ़रीह के क्लब में जाने से गुरेज़ करूं तो मुमकिन है मुझे गरम कोट का ख़याल भी न आए, क्योंकि क्लब में जब संता सिंह और यजदानी के कोटों के नफ़ीस वर्सटेड मेरे भावनाओं के घोड़े पर कोड़े लगाते हैं तो मैं अपने कोट की बोसीदगी को शदीद तौर पर महसूस करने लगता हूं। यानी वह पहले से कहीं ज़्यादा फट गया है।
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इस सप्ताह

कहानियों में
भारत से अलका प्रमोद की कहानी
पापा तुम कहां हो

बाहर जोरों की आंधी आई थी मानो टीन और छतों को सामना करने के लिए ललकार रही हो। खिड़की की झिर्री से प्रवेश करती वायु विचित्र सी सीटी के समान ध्वनि उत्पन्न कर रही थी, कि तभी आंधी के कारण बिजली चले जाने से वातावरण और भी रहस्यमय हो
उठा। इतने बड़े घर में एकाकी बैठे रामेश्वर जी का हृदय अज्ञात आशंका से कांप उठा वह सोचने लगे कि यदि इस भयावह रात में उन्हें कुछ हो जाय तो वह किसे पुकारेंगे? उनकी
हृदय गति रूक जाय तो पता नहीं वह कब तक यूं ही पड़े रहेंगे‚ संभवतः लोगों को पता भी तब चलेगा जब उनकी देह से दुगर्धं आने लगेगी। अपनी इस वीभत्स कल्पना मात्र से ही वह सिहर उठे और अपने विचारों को झटक कर मोमबत्ती ढूंढने का प्रयास करने लगे। 

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हास्य व्यंग्य में
राजर्षि अरूण की अभिलाषा
काश दिल घुटने में होता

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प्रौद्योगिकी में
रविशंकर श्रीवास्तव का आलेख
डिजिटल पेन

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विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप की सम्यक चेतावनी
गरमाती धरती और लापरवाह हम

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प्रकृति और पर्यावरण में
गुरमीत बेदी बता रहे हैं कि एकदिन
हवा हो जाएंगी चिड़ियां

सप्ताह का विचार
जो काम घड़ों जल से नहीं होता उसे दवा के दो घूंट कर देते हैं और जो काम तलवार से नहीं होता वह कांटा कर
देता है। —
सुदर्शन

 

अनुभूति में

कविताओं में 
डा इसाक अश्क व
सत्यनारायण, नयी हवा में अभिषेक प्रसाद और अतुल चतुर्वेदी, साथ ही नये हाइकु

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में
संदेसे आते हैं–सुषमा जगमोहन
रिश्ते–उषा वर्मा
बहाने से–संजय विद्रोही
मणिया–अमृता प्रीतम
दूसरी दुनिया–निर्मल वर्मा
उसकी दीवाली–पूर्णिमा वर्मन

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हास्य व्यंग्य में
कुते की आत्मा–विनय कुमार
शोषण के विरूद्ध–डा नरेन्द्र कोहली
सावधान बंदर सीख रहे हैं . . .–गुरमीत बेदी
थैंक्यू सॉरी और हाई बाई–रेखा व्यास

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मंच मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में
सन बयासी की उड़ान बया–सी
°

महानगर की कहानियों में
रामेश्वर दयाल कांबोज हिमांशु की रचना
एजेंडा
°

रसोईघर में
माइक्रोवेव अवन में तैयार करें
लहसुन पाव
°

साहित्यिक निबंध में
पद्मप्रिया का शोधपूर्ण आलेख
अनूदित साहित्य एवं पठनीयता
°

फुलवारी में
शिल्पकोना में बनाएं लिफाफे से
हिरन हथपुतली
साथ ही देश देशांतर में जाने
आस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड
के बारे में
°

पर्व परिचय में
राजेन्द्र तिवारी का आलेख
सिरमौर की बूढ़ी दिवाली

 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना   परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन 
 सहयोग : दीपिका जोशी
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