पिछले
सप्ताह
हास्य
व्यंग्य में
विनय कुमार का आलेख
कुते की आत्मा
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मंच
मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में
सन
बयासी की उड़ान
बयासी
°
महानगर
की कहानियों में
रामेश्वर दयाल कांबोज हिमांशु की रचना
एजेंडा
°
रसोईघर
में
माइक्रोवेव अवन में तैयार करें
लहसुन
पाव
°
उपन्यास अंश में
सुषमा जगमोहन के उपन्यास
'ज़िंदग़ी ईमेल' से एक अंश
संदेसे
आते हैं
तनु ने मेल में क्या लिखा था, उसे कुछ समझ ही
नहीं आया। नौकरी वाले किस्से के सिवा। उसके लिए
वही अंतिम सत्य हो गया था। पापा और बाबा से
डिस्कस करने की कहती है। बाबा और करण तो कभी चाहते
ही नहीं थे कि वे लोग विदेश जाएं। उनके जाने से
वह ही क्यों, बाबा और करण भी तो अकेले हो गए
हैं। तनु के मांबाप भी इस बात के खिलाफ़ थे। चार
बेटेबेटियों में एक तनु ही तो दिल्ली में थी।
इकलौते साले साहब चेन्नई में बिज़नेस कर रहे
हैं। दिल्ली आते हैं तो हवाई दौरे पर, दोचार दिन
के लिए ही, वह भी ज़्यादातर बिज़नेस के सिलसिले
में। वह कई बार कह चुके मांबाप से कि चेन्नई
साथ चलें लेकिन पहले ससुर जी की नौकरी का हीलाहवाला
था, अब वहां मन नहीं लगता।
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इस
सप्ताह
साहित्य संगम में
राजेन्द्रसिंह बेदी की उर्दू कहानी का रूपांतर
गर्म
कोट
मैंने
देखा है, मैराजुद्दीन टेलर मास्टर की दूकान पर
बहुतसे उम्दाउम्दा सूट लटके होते हैं। उन्हें देखकर
अक्सर मेरे दिल में ख़याल पैदा होता है कि मेरा अपना
गरम कोट बिल्कुल फट गया है और इस साल हाथ तंग
होने के बावजूद मुझे एक नया गरम कोट ज़रूर
सिलवा लेना चाहिए। टेलर मास्टर की दूकान के सामने
से गुज़रने या अपने महकमे के तफ़रीह के क्लब में
जाने से गुरेज़ करूं तो मुमकिन है मुझे गरम कोट
का ख़याल भी न आए, क्योंकि क्लब में जब संता
सिंह और यजदानी के कोटों के नफ़ीस वर्सटेड मेरे
भावनाओं के घोड़े पर कोड़े लगाते हैं तो मैं
अपने कोट की बोसीदगी को शदीद तौर पर महसूस करने
लगता हूं। यानी वह पहले से कहीं ज्यादा फट गया है।
°
हास्य
व्यंग्य में
महेश चंद्र द्विवेदी का आलेख
किलर इंस्टिंक्ट
°
नगरनामा
में
पराग कुमार मांदले का उज्जैन
करोगे
याद तो
. . .
°
संस्मरण
में
नीरजा द्विवेदी की कलम से
वह
कौन थी
°
आज
सिरहाने
डा सुरेश चंद्र शुक्ल द्वारा संपादित संकलन
प्रवासी
कहानियां°
°ंं
सप्ताह का
विचारं
ज्ञानी जन
विवेक से सीखते हैं,
साधारण मनुष्य अनुभव
से, अज्ञानी
पुरूष आवश्यकता से और पशु स्वभाव से।
कौटिल्यं
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अनुभूति
में
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अभिरंजन कुमार,
वीना विज, रवींद्र बत्रा, सुदर्शन प्रियदर्शिनी और अंजना
संधीर की कविताओं के साथ जारी है
हाइकु महोत्सव
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° पिछले अंकों
से °
कहानियों में
रिश्तेउषा
वर्मा
बहाने
सेसंजय विद्रोही
मणियाअमृता प्रीतम
दूसरी
दुनियानिर्मल वर्मा
उसकी
दीवालीपूर्णिमा वर्मन
समुद्र
में रेगिस्तानसुधा अरोड़ा
°
हास्य
व्यंग्य में
शोषण
के विरूद्धडा नरेन्द्र कोहली
सावधान बंदर सीख रहे हैं
. . .गुरमीत बेदी
थैंक्यू
सॉरी और हाई बाईरेखा व्यास
दीपक
से साक्षात्कारअनूप कुमार शुक्ल
°
साहित्यिक
निबंध में
पद्मप्रिया का शोधपूर्ण आलेख
अनूदित साहित्य एवं पठनीयता
°
फुलवारी
में
शिल्पकोना में
बनाएं लिफाफे से
हिरन हथपुतली
साथ ही देश देशांतर में जाने
आस्ट्रेलिया
और न्यूज़ीलैंड
के बारे में
°
पर्व परिचय में
राजेन्द्र तिवारी का आलेख
सिरमौर की बूढ़ी दिवाली
°
प्रौद्योगिकी
में
रविशंकर श्रीवास्तव ने खोजा
माउस
में छिपा कलाकार
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विज्ञान
वार्ता में
डा
गुरूदयाल प्रदीप का नया लेख
हेलिकोबैक्टर पाइलोरी और नोबेल प्राइज़
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आज
सिरहाने
अभिव्यक्ति में प्रकाशित
बारह कहानियों का नेपाली अनुवाद
'ज़िन्दग़ी एक फ़ोटोफ्रेम'
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