पिछले सप्ताह
हास्य
व्यंग्य में
नरेन्द्र कोहली का व्यंग्य
टाई
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ललित
निबंध में
दुर्गा प्रसाद शुक्ला की कलम से
समय
बहता हुआ
°
सामयिकी
में
नव वर्ष के अवसर पर बृजेश का आलेख
नई
कविता में नया साल
° फुलवारी
में
आविष्कार की
नई कहानियां और
शिल्पकोना में नए साल का
शुभकामना पत्र
°°
कहानियों
में
यू एस ए से सुषम बेदी की कहानी
हवन
शेष
उस पहली जनवरी को
जितनी ज़ोरदार बर्फ़ गिरी थी, कोई सौ बरस से
वैसी बर्फ़ उस इलाके में न गिरी होगी। यूं
समाचारों में था कि बर्फ़ीला तूफ़ान आएगा। पर तूफ़ान
की सूरत इस क़दर हैरतनाक होगी, इसका अंदाज़ किसी को
न था। इसीसे जब हवन का न्यौता मिला तो किसी ने
यह सवाल भी नहीं उठाया कि कार्यक्रम में कुछ बदलाव
किया जाए। यूं भी आजकल बर्फ़ तो आए रोज़ गिरती ही
थी। आख़िर सर्दी का मौसम था। सुबह जब सब
अपने घर से चले तो आसमान भराभरा सा तो था,
लगता था कि कुछ होगा। पर इस तरह के भयंकर हालात का
अंदेशा सचमुच किसी को न हुआ था।
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इस
सप्ताह
कहानियों
में
यू एस ए से नीलम जैन की कहानी
अंतिम
यात्रा
आज का दिन बहुत ही व्यस्त
बीता था। शाम से ही नए साल की पार्टियों पर आने
जाने वाले उसे एक कोने से दूसरे कोने तक दौड़ाते
रहे थे। पार्टी के पश्चात अधिक पिये और बहके लोगों
को उनके घरों पर छोड़ते उसने अच्छाख़ासा कमा लिया
था। कुछ के साथ माथापच्ची भी करनी पड़ी थी। कुल
मिला कर वह इस नए साल की नई सुबह के खत्म होने की
इंतज़ार में था। उसे और यात्रियों की पड़ी नहीं थी।
टैक्सी कम्पनी के आफ़िस ने जब मोबाइल पर उससे
संपर्क किया तब वह इस आख़िरी यात्री को ले जाने की
हामी भर चुका था।
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संस्मरण
में
अमेरिका से खट्टे मीठे संस्मरणों की दौड़
बड़ी
सड़क
की
तेज़
गली
में
अतुल अरोरा की कलम से
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मंच
मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में
तालियों
के बीच पसरा सन्नाटा
°
प्रेरक
प्रसंग में
सारिका कल्याण की लघुकथा
निजी
बदलाव
°
रसोईघर
में
स्वाद और सुविधा से भरपूर
चटपटी
चटनियां
सप्ताह का विचार
किताबें
ऐसी शिक्षक हैं जो बिना कष्ट दिए, बिना आलोचना किए
और बिना परीक्षा लिए हमें शिक्षा देती हैं।
अज्ञात |
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अनुभूति
में
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गोपाल
कृष्ण सक्सेना 'पंकज', नलिन शारदा, रश्मि रेखा, सत्य प्रकाश ताम्रकार
सत्य, सुनील साहिल और सारिका कल्याण
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° पिछले अंकों
से °
कहानियों में
रूख़सानाउषा राजे
सक्सेना
खरोंचसुकेश
साहनी
आज
सोमवार हैपरशु प्रधान
काहे
को ब्याही विदेशउत्कर्ष राय
कैक्टसप्रत्यक्षा
काला
सागर
तेजेन्द्र
शर्मा
°
प्रकृति
और पर्यावरण में
प्रभात कुमार पर्यावरण
की कलम से
पर्यावरण
बनाम जनावरण
°
प्रौद्योगिकी
में
रविशंकर श्रीवास्तव का आलेख
विश्वजाल पर
हिन्दी समूह
°
विज्ञान
वार्ता में
डा
गुरूदयाल प्रदीप से जानकारी
सदुपयोग मकड़ी के जाले का
°
परिक्रमा
में
लंदन पाती के अंतर्गत
शैल
अग्रवाल
का
चिर परिचित अंदाज़
पहचान
°
हास्य
व्यंग्य में
प्रदीप मैथानी का व्यंग्य
हम
ऐसे क्यों हैं
°
पर्यटन
में
दीपिका जोशी के साथ दक्षिण अफ्रीका में रोमांचक जंगलों का
सफ़र
°
आज
सिरहाने में
विश्वनाथ त्रिपाठी
परिचित
करवा रहे हैं सांझी
कथा यात्रा
कहानी संग्रह से
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साक्षात्कार
में
लवलीन से मधुलता अरोरा की बातचीत
सवाल
आपकी सामर्थ्य का है
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