विश्वजाल पर समूहों की अपनी
दुनिया है। भाँति-भाँति के लोगों ने भाँति-भाँति के समूहों
का सृजन अलग-अलग जालघरों पर किया हुआ है। यहाँ किसी समूह
में आपको किसी क्लिष्ट विषय पर गहन चर्चा में रत लोग
मिलेंगे तो वहीं किसी अन्य समूह में हल्के-फुल्के
हास-परिहास की बातें चल रही होंगी। कहीं इतिहास पर शोध की
बातें हो रही होंगी तो कहीं तकनालॉजी पर बहसें हो रही
होंगी। और यह भी संभव है कि किन्हीं समूहों में स्तरहीन
विषयों पर स्तरहीन चर्चाएँ चल रही हों। फिर भी, जालघर के
समूह न केवल व्यक्ति के ज्ञान को परिमार्जित करने का
अच्छा-ख़ासा कार्य कर रहे हैं बल्कि विचारों के
आदान-प्रदान के लिए विश्व-स्तर पर मौलिक मंच प्रदान कर रहे
हैं।
जालघर के समूह दरअसल
वैश्विक गोष्ठी स्थल है जहाँ आप बेझिझक अपनी बात चार लोगों
के बीच कह सकते हैं और चार लोगों की बेबाक बातें भी जान
सकते हैं। अपनी बात कहने के लिए या अपने विचारों से मिलती-जुलती
बातों के बारे में जानने के लिए आप भी जुड़ सकते हैं जालघर
के किसी ऐसै समूह से जिसे आप समझते हैं आपकी रुचि का है।
और अगर आपको आपकी रुचि से मिलता-जुलता कोई समूह नहीं भी
मिलता है, तो भी कोई बात नहीं। आप स्वयं एक नया समूह बना
सकते हैं। ऐसे समूहों की सेवाएँ आमतौर पर मुफ़्त, निशुल्क
है। किसी मौजूदा समूह से जुड़ना या कोई नया समूह बनाना
बहुत आसान है। याहू, एमएसएन, गूगल तथा ऐसे ही कुछ अन्य
जालघर हैं जिनमें मौजूदा किसी समूह से जुड़ने तथा नया समूह
बनाने की सुविधाएँ हैं। याहू के समूह प्राय: अधिक लोकप्रिय
है चूँकि यह काफ़ी पुराना है इसमें ढ़ेर सारी अन्य
सुविधाएँ भी हैं।
हिंदी विषय से संबंधित कई
समूह जालघर में पहले से ही बने हुए हैं। विश्वजाल पर
ढूँढ़ने से पता चलता है कि हिंदी का उल्लेख करते हुए लगभग
१५६४ समूह अकेले याहू में ही
हैं। दर्जनों अन्य हिंदी समूह एमएसएन, गूगल, इंडियाटाइम्स
के तथा अन्य समूहों में भी हैं। इससे यह उम्मीद जगती है कि
हमें प्राय: हर कल्पनीय विषय पर जालघर पर कोई न कोई मौजूदा
समूह मिल सकता है। परंतु हज़ारों की संख्या में समूहों के
मौजूद होने के बावजूद कभी कभी हमें पता नहीं चलता कि
कौन-सा समूह हमारे अपने विषय तथा हमारी अपनी प्रकृति से
मेल खाता है तथा कहाँ उपलब्ध है। ऐसी स्थिति में विश्वजाल
पर शांति के साथ ढूँढने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
यहाँ हिंदी विषय से संबंधित ऐसे ही कुछ समूहों के बारे में
मूलभूत जानकारी एकत्र करने का प्रयास किया गया है जिनमें
चाहें तो आप भी जुड़कर हिंदी साहित्य चर्चा में भाग ले
सकते हैं तथा अपनी रचनात्मकता को नए आयाम दे सकते हैं।
१.
अनुभूति-हिंदी समूह : वैसे तो इस समूह का निर्माण
विश्वजाल पर हिंदी कविता पत्रिका 'अनुभूति'
के "नई हवा" स्तंभ में प्रकाशित कविताओं पर बहस के लिए
किया गया है, परंतु सदस्य इसमें अपनी कविताएँ भी प्रकाशित
कर सकते हैं। इनमें से कुछ चुनी कविताओं को 'अनुभूति' में
प्रकाशित किया जाता है। इस समूह में वर्तमान में १३७ सदस्य
हैं। इस समूह में यूनिकोड तथा रोमन लिपि में रचना तथा
टिप्पणियाँ प्रेषित की जा सकती है। अधिकतर सदस्य रोमन लिपि
का उपयोग करते हैं। यह समूह काफ़ी सक्रिय प्रतीत होता है
चूँकि माह सितंबर, अक्तूबर और नवंबर ०४ में क्रमश: १९०४,
१६८६ तथा १०५१ संदेश इस समूह को भेजे गए।
२.
हिंदी
समूह : यह समूह प्रमुखत: हिंदी को दूसरी भाषा के रूप
में सीखने वालों के ज्ञान को परिष्कृत करने के लिहाज़ से
तैयार किया गया है। अप्रैल १९९९ से चल रहे इस समूह के ७०२
मौजूदा सदस्य हैं। इस समूह में भी यूनिकोड या रोमन लिपि
में हिंदी में संदेश पोस्ट किए जा सकते हैं। यह समूह भी
काफ़ी सक्रिय है तथा इसको सितंबर, अक्तूबर और नवंबर ०४ में
क्रमश: २३१, २३० तथा ७६ संदेश प्राप्त हुए।
३.
हिंदी-फोरम : यह समूह हिंदी-उर्दू यानी हिंदुस्तानी
भाषा में साहित्यिक रुचि रखने वालों के आपसी विचार विमर्श
तथा ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए बनाया गया है। इसमें उठने
वाले बहस के विषयों को किसी लीक पर बाँधा नहीं गया है, वरन
कहीं से भी शुरुआत की जा सकती है, बस वह हिंदी से जुड़ी
होनी चाहिए। यह समूह मार्च ०४ से क्रियाशील है और वर्तमान
में इसके २९१ सदस्य हैं। इस समूह की सक्रियता साधारण है।
अक्तूबर तथा नवंबर ०४ में क्रमश: १४० तथा १०० संदेश इस
समूह को प्राप्त हुए। संदेश रोमन लिपि या यूनिकोड में
प्रेषित किए जा सकते हैं।
४.
हिंदी कविता संग्रह : जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता
है, विश्वजाल का यह याहू समूह हिंदी कविताओं के लिए ही
बनाया गया है जहाँ आप अपनी कविताओं को समूह सदस्यों के बीच
प्रकाशित कर सकते हैं तथा उस पर चर्चा कर सकते हैं।
हालाँकि इस समूह के ६२ सदस्य हैं, परंतु इस समूह की
सक्रियता नगण्य प्रतीत होती है। संदेशों को यूनिकोड तथा
रोमन लिपि में भेजा जा सकता है।
५.
फोरम-इन-हिंदी : याहू का यह हिंदी समूह विदेशों में
बसे हिंदी भाषियों के लिए बनाया गया है ताकि वे अपनी भाषा
में अपने मित्रों के बीच जुड़ सकें। वर्तमान में इस समूह
के ५९ सदस्य हैं तथा इसकी सक्रियता समयानुसार घटती-बढ़ती
रहती है। इस समूह को मार्च ०४ में सर्वाधिक ११६ संदेश
प्राप्त हुए।
६.
ई-बज़्म
: इंडियाटाइम्स क़ॉम में समूहों को क्लब के नाम से जाना
जाता है। ई-बज़्म इंडियाटाइम्स क़ॉम का हिंदी-उर्दू (देवनागरी)
भाषा का क्लब है जहाँ पर सदस्य अपने हिंदी-उर्दू के ग़ज़ल,
नज़्म, शेर, कविता, छंद, दोहे इत्यादि पोस्ट कर सकते हैं।
ई-बज़्म की मौजूदा सदस्य संख्या २३१ है तथा इसके सदस्य
ख़ासे सक्रिय हैं। पोस्टिंग रोमन तथा यूनिकोड हिंदी में की
जा सकती है।
७.
गाथा
: यह इंडियाटाइम्स का एक और सक्रिय हिंदी समूह है जिसके
वर्तमान में ४८ सदस्य है। सितम्बर २००१ से प्रारंभ इस क्लब
की सक्रियता मिली-जुली है। यह समूह नवोदित लेखकों, कवियों
के लिए ख़ासतौर पर बनाया गया है जहाँ वे अपनी रचनाओं को
पोस्ट कर उस पर बहसें कर सकते हैं।
८.
चिठ्ठाकार : गूगल का यह हिंदी समूह हिंदी भाषा में
ब्लॉग लिखने वालों के लिए बनाया गया है ताकि वे अपने
ब्लॉगों को और बेहतर बना सकें। हालाँकि इस समूह में हिंदी
में रुचि रखने वाले या अपना हिंदी ब्लॉग शुरू करने वाले भी
जुड़ सकते हैं। इस समूह में पोस्टिंग रोमन लिपि या यूनिकोड
हिंदी में किया जा सकता है। वैसे प्राय: इसके सभी सदस्य
यूनिकोड हिंदी में संदेश प्रेषित करते हैं। यह समूह
अति-सक्रिय तो नहीं है, परंतु ब्लॉग जगत के लोगों के लिए
यह समूह अनिवार्य-सा है।
९.
हिंदी
: याहू समूहों की लोकप्रियता को देखकर गूगल ने भी अपने
पोर्टल में समूहों का बीटा संस्करण प्रारंभ किया है, जो
वर्तमान में शैशवावस्था में हैं। परंतु कालांतर में गूगल
समूह सदस्यों को मिलने वाली सुविधाओं के मामले में श्रेष्ठ
होंगे। गूगल का यह हिंदी समूह हिंदी पाठकों, लेखकों,
कवियों सभी के लिए एक खुला मंच के रूप में बनाया गया है।
अभी इसके १९ सदस्य हैं और यह कुछ कुछ सक्रिय हैं।
अब अगर इन सूचियों में
आपके विचार के अनुसार कोई समूह नज़र नहीं आता है जिसमें आप
जुड़ सके, तो या तो
याहू, गूगल
या
इंडियाटाइम्स के विभिन्न समूहों में जाकर १५०० हिंदी
समूहों में से अपने लिए कोई उचित हिंदी समूह तलाश करें और
फिर भी न मिले तो फिर एक नया हिंदी समूह ही तैयार कर लें।
बस फिर आप अपने आप को नए मित्रों के बीच पाएँगे।
२४ दिसंबर
२००४
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