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उपन्यास में
स्वदेश राणा के नये अप्रकाशित उपन्यास
कोठेवाली
का दूसरा
भाग
मोगरे के फूलों का गुंथा हुआ गजरा
वह चाहे कहीं भी लपेटे, उसकी महक कई दिनों तक बदरीलाल की बीवी
के बदन से उठती रहती। एकादशी के कम से कम हफ्ता बाद तक वह इतराई सी
फिरती। पंजों के भार खड़ी होकर कभी अपनी उचकी एड़ियों पर लगी
मेहंदी को देखती। इधर उधर नज़र डालकर कभी गर्दन के नीचे सिर झुकाती
और अपनी कमीज़ के उभारों को सहारा देती। अधपके बालों की किसी लट
को बल देकर माथे पर गिरा देती और किसी को संवार कर कान के पीछे
सरका देती। वक्त बेवक्त कुछ गुनगुनाती।
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पिछले
सप्ताह
परिक्रमा में
लंदन पाती के अंतर्गत शैल
अग्रवाल
की कलम से
मां और
मांसी दो बहनें
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विज्ञान
वार्ता में
'भूल
गया कुछ कुछ याद नहीं सब कुछ'
डा गुरूदयाल प्रदीप की
कलम से
स्मृति
विस्मृति का तानाबाना
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प्रौद्योगिकी
में
डा विजय मल्होत्रा का
आलेख
कंप्यूटर
नेटवर्क के क्षेत्र में क्रांतिइंटरनेट
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आत्मकथा
में
कृष्ण बिहारी की आत्मकथा
का अगला भाग
विश्वजाल
पर पदार्पण
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कहानियों
में
भारत से डा कुसुम अंसल की कहानी
आते
समय
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इस
सप्ताह
कहानियों
में
भारत से उदय प्रकाश की कहानी
टेपचू
गांव
के बाहर, कस्बे की ओर जाने वाली सड़क के किनारे सरकारी नर्सरी
थी। वहां पर प्लांटेशन का काम चल रहा था। बिड़ला के पेपर मिल
के लिए बांस, सागौन और यूक्लिप्टस के पेड़ लगाए गए थे। उसी
नर्सरी में, काफी भीतर ताड़ के भी पेड़ थे। गांव में ताड़ी पीने
वालों की अच्छीखासी तादाद थी। ज्यादातर आदिवासी मजदूर, जो
पीडब्ल्यूडी में सड़क बनाने तथा राखड़ गिट्टी बिछाने का
काम करते थे, दिनभर की थकान के बाद रात में ताड़ी पीकर धुत
हो जाते थे। पहले वे लोग सांझ का झुटपुटा होते ही मटका ले
जाकर पेड़ में बांध देते थे। ताड़ का पेड़ बिल्कुल सीधा होता है।
उस पर चढ़ने की हिम्मत या तो छिपकली कर सकती है या फिर मजदूर।
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पर्व
परिचय में
कैलाश जैन का आलेख
पहली अप्रैल की कहानी
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मंच
मचान में
अशोक चक्रधर की कलम से
पहले बा से
पहले खा तक
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फुलवारी
में
बच्चों के लिए जानकारी के अंतर्गत
जंगल के पशु श्रृंखला में
गैंडा
गैंडे का एक सुंदर
चित्र
रंगने
के लिये
और कविता
बड़ा सा गैंडा
° साहित्यिक
निबंध में
सुषम बेदी का आलेख
पीढ़ियों की सीढ़ियां
!
!सप्ताह का विचार!
बिना
कारण कलह कर बैठना मूर्ख का लक्षण हैं। इसलिए बुद्धिमत्ता
इसी में है कि अपनी हानि सह ले
लेकिन विवाद न करे।
हितोपदेश |
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अनुभूति
में
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पहली
अप्रैल के अवसर पर विशेष कविताएं
साथ ही
इस माह के कवि में
शशि रंजन कुमार
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पिछले अंकों से°
कहानियों
में
आते
समयडा कुसुम अंसल
सारांशशुभांगी
भड़भड़े
अलग
अलग तीलियांप्रभु जोशी
होली
मंगलमय होओम
प्रकाश अवस्थी
संकल्पनीलम शंकर
उससे
मिलनाउषा राजे
सक्सेना
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संस्मरण में
सुप्रसिद्ध लेखिका शिवानी की पुण्य
तिथि 21 मार्च के अवसर पर श्रद्धांजलि
एक कथा अर्धशती को नमन
महेश दर्पण द्वारा
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प्रकृति
और पर्यावरण में
प्रभात कुमार का
आलेख
मानसून
ः
प्रकृति का जीवन संगीत
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आज
सिरहाने
में
सूर्यबाला के
कहानी संग्रह
इक्कीस कहानियां
का
परिचय सुमित्रा
अग्रवाल द्वारा
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हास्य
व्यंग्य में
डा
प्रेम जनमेजय की व्यंग्य रचना
पुरस्कारम
देहि
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ललित
निबंध में
महेश कटरपंच का
आलेख
बृज
में होली का त्योहार
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वैदिक
कहानियों में
डा रति सक्सेना
की कलम से
इंद्र
भाग 2
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समाचार
में
यू के व नार्वे के हिन्दी लेखकों
की नयी हिन्दी पुस्तकों का विवरण
तीन
लोकार्पण समारोह
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कलादीर्घा
में
आधुनिक और पारंपरिक
कलाकृतियों से
सुसज्जित दीर्घा
कलाकृतियों में
होली
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