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पिछले सप्ताह
प्रकृति
और पर्यावरण में
प्रभात कुमार का आलेख
आसमान में चित्रकारी °
आज
सिरहाने
संजय
ग्रोवर का ग़ज़ल संग्रह
खुदाओं
के शहर में आदमी °
हास्य
व्यंग्य में
भारतभूषण तिवारी का व्यंग्य
पहला विज़िटिंग कार्ड °
साहित्य
समाचार में
मुंबई से सूरज प्रकाश की रपट
रावी पार का
रचना संसार
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कहानियों
में
यू के से उषा राजे
सक्सेना की कहानी
उससे
मिलना
टेबल के पास पहुंच कर उसने कुर्सी को
हल्के से बाहर की ओर खींचा फिर दोनों हाथों से एला को सहेजते
हुए, किसी साम्राज्ञी की तरह उस पर बैठा कर, अपना कैशमेयर
टॉपकोट और स्कार्फ पास खड़े वेटर के हाथों में पकड़ाया, फिर कुर्सी
पर बैठते हुए रेस्तरां और बार का निरीक्षण किया। उसकी शरबती आंखों
में मनोरंजन भरा कौतूहल था। 'फनी प्लेस'। उसने मुस्कराते हुए
एला के समूचे अस्तित्व को आंखों में भरकर, संतुष्ट भाव से देखा। वही, वही, बिल्कुल वही, वह कहीं से
भी नहीं बदला था। शायद उसने, उसे ऐसी जगह पर बुला कर गलती
की। सच! वह ऐसी जगह जाने का बिल्कुल आदी नहीं है। एला को याद
आया, उसकी पसंद कभी भी सवाए, हिल्टन या डोरचेस्टर से कम नहीं
रही है। पर आखिर मैंने उसे बुलाया ही क्यों?
!°!
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इस
सप्ताह
कहानियों
में
भारत से नीलम शंकर की
कहानी
संकल्प
अम्मा का मूड जब अच्छा रहता तो अन्दर ही अन्दर उनके विदेशप्रेम पर
हंसतीं। नहीं तो पलट कर कहतीं,
"नासपीटे
अमेरिका जा अमेरिका, तुम्हारा गुजर बसर वहीं
होगा। जब हमारा बनाया कढी पनगोछवा याद आयेगा तब पछताना।
देशी आबोहवा में देशी तरीका ही शरीर को मजबूत बनाता है। पनैल
सब्जी और ब्रेड से कितने दिन चलेगा। तुम्हारी दीदी जब आती है तो
दाल, दमालू, कढी, कोफ्ता ही मांगती है।" बडबडाती अम्मा फिर रसोई में
कुछ बनाने भूनने चल देती। उनका कहना था कि चौका में आग नही
बुझनी चाहिये, बुझती है दरिद्रों के यहां पर।
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परिक्रमा में
लंदन पाती के अंतर्गत शैल
अग्रवाल
घर से घर तक
और
नार्वे निवेदन के अंतर्गत प्रभात कुमार
नार्वे में भारतीय तिरंगा
के साथ
°
विज्ञान
वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप की
कलम से
मंगल ग्रह का कुशलमंगल
°
आत्मकथा
में
इस पार से उस पार से का अगला भाग
यह
तो नहीं होना चाहिये था
° समाचार
में
हिन्दी की ओर एक और कदम
माइक्रोसॉफ्ट ने प्रस्तुत किया
विंडोज़ व ऑफिस
हिन्दी
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!सप्ताह का विचार!
कलाकार
प्रकृति का प्रेमी है अतः वह
उसका दास भी है और स्वामी भी।
रवीन्द्रनाथ ठाकुर |
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अनुभूति
में
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पांच
नये कवियों
की पन्द्रह से अधिक कविताएं
और
समस्यापूर्ति में पुरस्कार जीतने का अवसर
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पिछले अंकों से°
कहानियों
में
अमृतघटडा
मीनाक्षी स्वामी
रेशमी
लिहाफविनीता
अग्रवाल
विसर्जन
मीरा कांत
यह
जादू नहीं टूटना चाहियेसूरज
प्रकाश
सुबह
होती है शाम होती हैरजनी गुप्त
चेहरे के जंगल मेंतरूण भटनागर
°
साहित्यिक निबंध
में डा रति सक्सेना
की कलम से
वैदिक
देवताओं की
कहानियों के क्रम में
इंद्र
°
रसोईघर में सफल व्यंजन के अंतर्गत
वसंत
माधुरी
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सामयिकी
में
लोकप्रिय गायिका व अभिनेत्री
सुरैया के निधन पर भावभीनी श्रद्धांजलि
स्वर सम्राज्ञी सुरैया
°
उषा राजे सक्सेना की कलम से
प्रवासी भारतीय दिवस
महोत्सव
का एक और दृष्टिकोण
°
'मंच मचान' में
वाचिक परंपरा का महत्व :अगली कड़ी
अशोक चक्रधर की कलम से
मोह में भंग और भंग में मोह
°
धारावाहिक
में नव वर्ष की विभिन्न
परंपराओं
के विषय में दीपिका जोशी के
आलेख
देश देश में नववर्ष
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फुलवारी
में
जंगल के पशु लेखमाला में
बब्बर
शेर से परिचय, कविता शेर
और शेर का सुंदर चित्र
रंगने
के लिये
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परिक्रमा
में
दिल्ली दरबार के अंतर्गत
बृजेश शुक्ला की कलम से
माघमेले
में डूबा प्रयाग
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