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पिछले सप्ताह
संस्मरण में
डा प्रभाकर श्रोत्रिय की कलम से
कोलकाता की शाम
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कलादीर्घा
में
भारत की लोक कलाओं के अंतर्गत
बाटिक
के विषय में
रोचक जानकारी
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साक्षात्कार
में
उस्ताद अब्दुल हलीम जाफर खां से
विजयशंकर मिश्र की तथ्यपूर्ण बातचीत
सितार का अनूठा
अंदाज
जाफरखानी बाज
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फुलवारी
में
अरूणा घवाना की कहानी
चिंटू
और चीनी
और 'जंगलकेपशु'
लेखमाला
के
अंतर्गत जानकारी
भालू
°
कहानियों
में
भारत से तरूण भटनागर की कहानी
खिड़की वाला संसार
डॉक्टर पिताजी को सिगार
पीने के लिए मना करते थे। सिगार उन्हें भीतर से गला रहा था, पर
वे नहीं माने। वे सिगार पीते रहे। कभीकभी जीतन काका उन्हें
सख्ती से रोक देते थे। पर वे नहीं मानते थे। वे सिगार पीने का
जस्टीफिकेशन देने लगते। सिगार ही उनकी मौत का कारण बनी। पिताजी
बहुत धीमी मौत मरे थे। कई बार पिताजी उन्हें अपनी गोद में बिठा
लेते। फिर कुछ सोचते से शून्य में ताकने लगते। वे कहते 'तू तो
पराया धन है। लड़कियों को एक दिन घर छोड़कर जाना पड़ता है।
कभीकभी ऐसा कहते हुए पिताजी की आंखों में एक पारदर्शी मोती सा
उभर आता था।
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इस
सप्ताह
कहानियों
में
भारत से वीना विज 'उदित' की कहानी
युगावतार
कार के एक्सीलेटर पर
पॉव रखते ही मयंक भूल जाता था कि वो जमीन पर है। उसके
ख्याल आसमानी रंग भरने लगते थे। वो उन रंगों में खो
जाता था। यही सब तो चाहा था उसने। अपने पास एक बढ़िया कार
हो और पॉव के नीचे अमेरिका की जमीन हो। हाई वे पर स्पीडिंग
मना थी, पर वो कई बार बेपरवाह हो जाता था। वह भविष्य के सपने नहीं बुनता था, वो तो अतीत में
गोते मारने लगता था।
स्वयं को गर्वित सिंहासन पर बैठाकर, स्वंय ही प्रशंसक बन जाता
था। माटी से उठकर स्वंय के बलबूते पर महल निर्मित किया था
उसने।
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साहित्यिक निबंध
में
मारिशस में हिन्दी कविता के
विकास की कहानी
सुनील विक्रम सिंह की ज़बानी
मारिशस
में हिन्दी की
सौ साल पुरानी परंपरा °
हास्य व्यंग्य में
प्रमोद राय का व्यंग्य
बॉस मेहरबान तो गधा
पहलवान
°
आज सिरहाने में
रजनी गुप्त के उपन्यास से एक
परिचय
कहीं कुछ और
°
पर्यटन में
दीपिका जोशी का
यात्राविवरण
पतझड़ के बदलते रंगों
में डूबा अमेरिका
°
!सप्ताह का विचार!
अनुराग,
यौवन, रूप या धन से उत्पन्न नहीं होता। अनुराग,
अनुराग
से उत्पन्न होता है।
!
प्रेमचंद! |
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पिछले अंकों से°
कहानियों
में
अढ़ाई
घंटेहरिकृष्ण कौल
दंशअलका प्रमोद
संगीत
पार्टीसुषम बेदी
फ़र्क़विनोद विप्लव
पाषाण पिंडविनीता अग्रवाल
°
धारावाहिक
में
सागर के इस पार से उस
पार से का
अगला भाग कृष्ण बिहारी की कलम से
शील साब भी क्या
आदमी थे
°
रसोईघर
में
स्वास्थ्यवर्धक सफल व्यंजन
फलराज
°
प्रेरक
प्रसंग में
रजनीकांत शुक्ल की कलम से
नागरी की
शक्ति
°
विज्ञान
वार्ता में
गुरूदयाल प्रदीप का आलेख
आधी
दुनिया के पक्ष में
° प्रौद्योगिकी
में
विजय प्रभाकर कांबले का आलेख
भारतीय
भाषाओं में कंप्यूटर
और विश्वजाल का विकास
° उपहार
में
जन्मदिन के लिये उपयुक्त
नयी
कविता जावा आलेख के साथ
चाय
हो जाए
°
परिक्रमा
में
दिल्ली दरबार के अंतर्गत
बृजेशकुमार शुक्ला का आलेख
नये
चुनाव नये परिणाम
लंदन
पाती के अंतर्गत
शैल अग्रवाल का आलेख
मानदंड
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