भारतीय भाषाओं में
कंप्यूटर का विकास
यूनेस्को की व्याख्या के अनुसार सूचना प्रौद्योगिकी एक
शास्त्रीय, तकनीकी, प्रबंधकीय एवं अभियांत्रिकी शाखा है, जो सूचनाओं के तंत्र को
विकसित करके उसका प्रयोग कंप्यूटर के माध्यम से करते हुए मानव और मशीन के बीच
सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक परिवेश को सुदृढ़ और सबल बनाती है।
सूचना प्रौद्योगिकी एक सरल तंत्र हैं
जो तकनीकी उपकरणों के सहारे सूचनाओं का संकलन, प्रक्रिया एवं संप्रेषण करता है।
भारत एक बहु भाषिक देश है। भारतीय
संविधान में राजभाषा हिंदी सहित कुल १८ भाषाओं को स्थान प्राप्त हुआ है। भाषावार
प्रांत रचना के फलस्वरूप विभिन्न प्रातों में अलग-अलग भाषाओं का प्रचलन बढ़ गया है।
विभिन्न भारतीय भाषाओं के बीच हिंदी भाषा एक पुल हैं जिसके सहारे विभिन्न भारतीय
भाषाओं में समन्वय निर्माण किया गया है। देश के अधिकांश भागों में धर्म, व्यापार,
पर्यटन के क्षेत्र में हिंदी भाषा का समुचित प्रयोग किया जाता है।
औद्योगिक क्रांति में मशीनों के
सहारे उत्पादकता बढ़ी है और गुणवत्ता में एकरूपता आई है। १९४७ में ट्रांज़िस्टर,
१९७१ में माइक्रोप्रोसेसर के विकास से कंप्यूटर का आकार छोटा और गणना शक्ति विशाल
हो गई है। छोटे और अधिक शक्तिशाली कंप्यूटर के द्वारा व्यापार, शिक्षा, कार्यालय
आदि अनेक क्षेत्रों में तेज़ी से विकास हुआ है। कंप्यूटर में हिंदी प्रयोग की बढ़ती
संभावनाओं को ध्यान में रखकर इलेक्ट्रानिकी विभाग ने "भारतीय भाषाओं के लिए
टेक्नॉलॉजी विकास नामक परियोजना के अंतर्गत कई प्रोजेक्ट शुरू किए हैं। संघ की
राजभाषा नीति के अनुसार हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए सभी सरकारी अर्ध सरकारी,
सरकारी उद्यमों में हिंदी भाषा का प्रयोग अनिवार्य किया गया है।
किसी भी प्रजातंत्र में सरकारी अथवा
निजी संघठन में जन भाषा का सम्मान करना फलप्रद होता है। सरकारी कामकाज में
पारदर्शिता लाने के लिए सूचनाओं का माध्यम जनभाषा होना ज़रूरी है।
इंटर नेट प्रणाली के महाशक्तिशाली
तंत्र में भाषा का अपना एक विशिष्ट स्थान होता है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर
अंग्रेज़ी, मंडारिन, फ्रांसीसी, जापानी, अरबी, स्पेनिश आदि भाषाएँ कंप्यूटर क्षेत्र
में काफ़ी आगे बढ़ गई है साथ ही इनका प्रयोग भी। दुर्भाग्य से भारत में कंप्यूटर पर
भारतीय भाषाओं का प्रचार-प्रसार बहुत धीमी गति से हुआ है। आज हम दूरदर्शन पर जापानी
या चीनी शेअर बाज़ार का दृश्य देखते हैं तब यह मालूम होता है कि वहाँ के सभी बोर्ड,
सूचनाएँ जापानी या चीनी भाषा में प्रदर्शित होते हैं। हमारे देश में शेअर बाज़ार का
दृश्य कुछ अलग होता है। आम भारतीय निवेशक अपनी पूँजी भारतीय अथवा विदेशी कंपनियों
के शेअरों में केवल अंग्रेज़ी भाषा में उपलब्ध प्रपत्र में ही प्रस्तुत करने के लिए
विवश है। भाषाओं की इस असुविधा को हटाना ज़रूरी है। आर्थिक उदारीकरण के तहत भारत के
बाज़ार विदेशी कंपनियों के लिए खुले किए जा रहे हैं। विदेशी कंपनियाँ भारतीय
उपभोक्ताओं को आकर्षित करने हेतु भारतीय भाषाओं का बखूबी से प्रयोग कर रही हैं।
सूचना प्रौद्योगिकी के तहत मशीनी
अनुवाद एवं लिप्यंतरण सहज एवं सरल हो गया है। सी-डैक पुणे ने सरकारी कार्यालयों के
लिए अंग्रेज़ी-हिंदी में पारस्पारिक कार्यालयीन सामग्री का अनुवाद (निविदा सूचना,
स्थानांतरण आदेश, गज़ट परिपत्र आदि) करने हेतु मशीन असिस्टेड ट्रांसलेशन "मंत्रा"
पॅकेज विकसित किया है। हिंदी भाषा में वैबपेज विकसित करने हेतु "प्लग इन" ( Plug in
) पॅकेज तैयार किया है जिससे कोई भी
व्यक्ति/संस्था अपना वैबपेज हिंदी में प्रकाशित कर सकता है।
अब वर्तमान स्थिति में वैबसाइट पर
हिंदी इलेक्ट्रॉनिक शब्दकोष उपलब्ध है। इसी तरह अंग्रेज़ी तथा भारतीय भाषाओं में
पारस्पारिक अनुवाद प्राप्त करने की सुविधा भी उपलब्ध है। कन्नड हिंदी के बीच
"अनुसारक" सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है। हिंदी और दक्षिण भारतीय भाषाओं के बीच
अनुवाद सॉफ्टवेयर का विकास आई.आई.टी. कानपुर तथा हैदराबाद विश्वविद्यालय में किया
जा रहा है। अंग्रेज़ी हिंदी अनुवाद हेतु एम.सी.एस.टी. में समाचारपत्रों एवं
कहानियों के लिए तथा सी-डैक पुणे में प्रशासनिक सामग्री के लिए विशेष सॉफ्टवेयर
विकसित किए गए हैं। सी-डैक पुणे द्वारा निर्मित लीप-ऑफ़िस सॉफ्टवेयर में अंग्रेज़ी
हिंदी शब्दकोष, अनुवाद, समानार्थी शब्दकोष, हिंदी में ई-मेल आदि अंग्रेज़ी भाषा के
समकक्ष सभी सुविधाओं को प्रस्तुत किया गया है।
कंप्यूटर एवं इंटरनेट के सहारे
शिक्षा का प्रसार तीव्र गति से होने की संभावना बढ़ गई हैं। सुदूर ग्रामीण
क्षेत्रों में यातायात की सुविधा के अभाव स्वरूप कई बच्चे स्कूल नहीं जा सकते। हर
गाँव में पाठशाला का प्रबंध सरकार द्वारा किया जाता है लेकिन प्रशिक्षित शिक्षक एवं
साधन सामग्री के अभाव फलस्वरूप शिक्षा का प्रसार बहुत धीमी गति से हो रहा है। आने
वाले दिनों में हर स्कूल, महाविद्यालय में कंप्यूटर एवं इंटरनेट सेवा अनिवार्य हो
जाएगी। एन.आय.सी पुणे ने वारणानगर गोकुल दूध डेअरी परिसर हेतु कंप्यूटर पर मराठी
भाषा को स्थापित किया है। इसके द्वारा ग्रामीण किसान व छात्र अपनी भाषा में
कंप्यूटर के सहारे दैनंदिन कामकाज करने में सक्षम हो गए हैं। सूचना प्रौद्योगिकी
में हिंदी भाषा का प्रचलन धीरे-धीरे बढ़ रहा है। माइक्रोसॉफ्ट, याहू, रेडिफ आदि
विदेशी कंपनियों ने अपनी वैबसाइट पर हिंदी भाषा को स्थान दिया है। बी.बी.सी. ने भी
पंजाबी, बंगाली के साथ-साथ हिंदी में वैबसाइट विकसित की है। सूचना प्रौद्योगिकी में
ई-कॉमर्स, ई-गवर्नस क्षेत्र में हिंदी का विकास धीरे-धीरे हो रहा है। भारत सरकार के
नेशनल सेंटर फार सॉफ्टवेअर टेक्नॉलॉजी (
NCST) ने सभी
भारतीय भाषाओं की लिपि को कंप्यूटर पर स्थापित करने हेतु विशेष अभियान चलाया है।
अमेरिकन माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने एन.सी.एस.टी के साथ एक संयुक्त योजना के तहत विश्व
प्रसिद्ध विंडोज़ प्रणाली पर भारतीय भाषाओं को विकसित करने का कार्य शुरू किया है।
एम.एस.ऑफ़िस सॉफ्टवेअर-२००० के दक्षिण एशियाई संस्करण में अब तमिल और देवनागरी लिपि
को स्थापित किया गया है। भारत की आम जनता भारतीय भाषाओं में तथा दृश्य चित्र और
स्पर्श के सहारे कंप्यूटर का प्रयोग सभी क्षेत्रों में कर सकेगी।
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत
सरकार ने खार घर (नई मुंबई) स्थित छ: एकड़ भूमि में पच्चीस करोड़ राशि की लागत से
भारतीय भाषाओं के सॉफ्टवेअर विकसित करने हेतु कार्य शुरू किया है। सी-डैक ने
इंडबाज़ार डॉट कॉम (
Indbazaar.com)
के सहयोग से हिंदी भाषा सीखने हेतु "लीला" नामक वैबसाइट उपलब्ध करवाई है। इस
वैबसाइट के सहारे भारतीय भाषाओं की पढ़ाई ऑनलाइन मुफ़्त प्रदान की जा रही है।
संस्कृत भाषा का धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व ध्यान में रखते हुए सी-डैक ने चारों
वेद एवं अन्य पौराणिक ग्रंथों को व्यास नामक वैबसाइट पर प्रकाशित किया है। रेडिफ,
भारत मेल, जिस्ट मेल, अपना मेल, वी.एस.एन.एल., वैब दुनिया, जागरण आदि अनेक भारतीय
एवं विदेशी साईट पर भी ई-मेल में हिंदी की सुविधा बहाल की गई है। सूचना
प्रौद्योगिकी के आधुनिक उपकरणों का प्रसार आम जनता तक पहुँचाने हेतु सिम कंप्यूटर
जैसे सस्ते उपकरण उपलब्ध करवाने हेतु सरकार प्रयत्नशील है।
विज्ञान का अंतिम लक्ष्य साधारण
ग़रीब व्यक्ति के आर्थिक सामाजिक विकास में सहायता करना है। सूचना प्रौद्योगिकी के
क्षेत्र में भारतीय युवकों ने अपनी प्रतिभा एवं अंग्रेज़ी भाषा पर प्रभुत्व के कारण
अमेरिका के सिलीकॉन वैली में कार्यरत माइक्रोसॉफ्ट, पैंटियम, इंटेल आदि कंप्यूटर
क्षेत्र में ५० प्रतिशत भागीदारी दर्ज़ है। विदेशी कंपनियों के सीमित लक्ष को ध्यान
में रखते हुए भारतीय युवक कुछ कालावधि के लिए अनुबंध करके विदेश में चले जाते हैं।
लेकिन बदली आर्थिक स्थिति में विदेशी कंपनियाँ भारतीय युवकों को अनुबंध भंग करके
लौटा रहे हैं। विदेश में प्रशिक्षित कंप्यूटर इंजीनियर को आकर्षित करके भारतीय
भाषाओं को सूचना प्रौद्योगिकी में विकसित करना चाहिए।
भारत में नव-निर्मित सूचना
प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने यह जान लिया है कि देश में डिजिटल विभाजन बढ़ गया है।
इंटरनेट का प्रयोग कुछ सीमित अंग्रेज़ी जानने वाले अमीर लोगों तक सीमित है। ग्रामीण
क्षेत्र में दूरसंचार नेटवर्क विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। इंटरनेट विकास
हेतु दूरसंचार क्षेत्र को आधार बनाया गया है। नेशनल इंटरनेट बैकबोन (राष्ट्रीय
इंटरनेट ढाँचा) विकसित करने में दूरसंचार की अहम भूमिका होगी। विदेश की तुलना में
भारत में दूरसंचार घनता प्रति व्यक्ति दो या तीन है जबकि चीनी, जापान आदि एशियन
देशों में यह प्रतिशत १५-२० तक है।
भारत सरकार की नीति के अनुसार
ग्रामीण क्षेत्र का राजस्व रिकार्ड भारतीय भाषा में विकसित किया जा रहा है। लैंड
रिकार्ड नामक महत्वाकांक्षी योजना में हिंदी भाषा का प्रयोग बढ़ने की संभावना है।
आने वाले दिनों में उत्तर भारत का साधारण पटवारी लैंड रिकार्ड हिंदी में कंप्यूटर
पर तुरंत प्रस्तुत करेगा।
कंप्यूटर की सहायता से
विश्वविद्यालय, स्कूल में शिक्षा का प्रसार बढ़ाया जा सकता है। आज अमेरिका में
एम.आई.टी. संस्था ने अपने सभी पाठ्यक्रम इंटरनेट पर मुफ़्त प्रस्तुत किए हैं।
डिप्लोमा से लेकर पी-एच.डी, डी-लिट तक सभी पाठ्यक्रम विश्व के किसी भी कोने में
बैठकर इंटरनेट द्वारा हासिल किए जा सकते हैं।
स्कूली स्तर पर हिंदी भाषा का
पाठ्यक्रम प्रयोजन मूलक बनवाकर विज्ञान, गणित, वाणिज्य आदि विषयों के साथ तालमेल
बैठाया जाए तथा यह सामग्री इंटरनेट पर जोड़ी जाए जिससे छात्र हिंदी पाठों को रुचि
से पढ़े तथा हिंदी को व्यवहार में लाए। आंतरिक प्रतिभा का विकास करने हेतु विचार
अभिव्यक्ति का माध्यम मातृभाषा में होना ज़रूरी है।
इंजीनियरिंग, मेडिकल और प्रबंधन में
स्नातक स्तर पर हिंदी भाषा में जनसंपर्क प्रोजेक्ट अनिवार्य हो जिससे वे लोकभाषा
हिंदी में सूचना संग्रह कर सकें।
समाजोपयोगी कार्यक्रमों को आम लोगों
को समझाने में समर्थ हो सकें। विचारणीय है कि यदि हमारे इंजीनियर, डॉक्टर, प्रबंधक
उपयुक्त टेक्नॉलॉजी और तकनीक को जनसामान्य को जितने प्रभावी ढंग और आसानी से समझा
सकेंगे देश की उन्नति तेज़ हो जाएगी। देश की प्रगति और लोकभाषा में संप्रेषण समता
के बीच सीधा संबंध है।
भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी
मंत्रालय के नीति निर्धारण में हिंदी भाषा को समुचित स्थान प्राप्त होना चाहिए।
भारत सरकार के कई मंत्रालयों एवं विभागों की साईट पर डायनैमिक हिंदी फॉन्टस् के
अभाव स्वरूप साईट पढ़ने में दिक्कतें आ जाती है। हर बार अलग-अलग फांट डाउन लोड करना
और उसे पढ़ना असुविधा जनक महसूस होता है। सभी सरकारी वैबसाइट द्विभाषी
(हिंदी-अंग्रेज़ी) होनी चाहिए लेकिन इस दिशा में बहुत कम प्रयास किए जा रहे हैं।
अंग्रेज़ी वैबसाइट की तुलना में संबंधित हिंदी वैबसाइट बहुत संक्षिप्त एवं अनाकर्षक
होती है। राजभाषा नियम के अनुसार सभी बैबसाइट हिंदी में तैयार करना अनिवार्य है।
इंटरनेट सेवा के अंतर्गत ई-मेल,
चॅटिंग, वाइस मेल, ई-ग्रीटिंग आदि बहुपयोगी क्षेत्र में हिंदी भाषा का विकास एवं
संप्रेषण की संभावनाएँ अधिक है। स्पीच रिकग्नीशन (
Speech Recognition)
यह एक ध्वनि आधारित कंप्यूटर सॉफ्टवेअर है। वर्तमान स्थिति में यह
पैकेज अंग्रेज़ी भाषा में उपलब्ध है। सी-डैक यह सुविधा हिंदी में उपलब्ध करवाने
हेतु अनुसंधान कर रही है। स्पीच रिकग्नीशन के सहारे अनपढ़ व्यक्ति भी कंप्यूटर के
सामने बैठकर अपने विचार, शिकायत, सुझाव आदि बोलकर अपनी भाषा में संबंधित कंप्यूटर
पर लिपिबद्ध कर सकता है। कंप्यूटर पर हिंदी भाषा ध्वनि, चित्र, एनीमिशन के सहारे
विकसित की जा रही है।
विश्वजाल पर में हिंदी और
भारतीय भाषाओं का प्रसार
सूचना प्राद्यौगिकी के बदलते परिवेश
में हिंदी भाषा ने अपना स्थान धीरे-धीरे प्राप्त कर लिया है। आज हमारी मानसिकता में
बदलाव लाने की ज़रूरत है। आधुनिकीकरण के दौर में भाषा भी अपना स्थान ग्रहण कर लेती
है। हिंदी की उपादेयता पर कोई भी प्रश्न चिह्न लगा नहीं सकता। लेकिन संकुचित
स्वार्थ के कारण भारतीय भाषाओं को नकारना हमारी मानसिक गुलामी की निशानी है।
आज भले ही चीन, जापान, रूस, जर्मनी, अरब आदि अंग्रेज़ीतर देशों ने अपनी भाषा में
विकास किया हो, लेकिन भारत में अगर राजभाषा, संपर्क भाषा, लोकभाषा को हम विकसित
नहीं कर पाए तो यह हमारी हार होगी। जिस देश के नवयुवकों ने कंप्यूटर सॉफ्टवेयर
प्रणाली को विकसित किया है, उसी देश की जनता को विदेश की और मुँह ताकना पड़ता है।
इस स्थिति में बदलाव लाने की ज़रूरत है। भाषा का संबंध जिस तरह मन, बुद्धि से होता
है, उसी तरह उसका संबंध हर व्यक्ति के रोजी रोटी तथा पारिवारिक विकास से भी जुड़ा
होता है। इसलिए सूचना प्रौद्योगिकी के नए तंत्र को समझ लेना चाहिए। विश्वस्तर के कई
सॉफ्टवेयरों में अभी तक हिंदी का समावेश नहीं किया गया है।
निम्नलिखित इंटरनेट साइट पर
हिंदी सहित प्रमुख भारतीय भाषाओं के लिए उपयुक्त संपर्क सूत्र, ई-मेल, सॉफ्टवेयर
आदि जानकारी उपलब्ध है।
१.
www.rajbhasha.nic.in
राजभाषा विभाग, गृहमंत्रालय, भारत सरकार
की इस साइट पर राजभाषा
हिंदी संबंधित नियम, अधिनियम, वार्षिक कार्यक्रम, तिमाही, अर्धवार्षिक, वार्षिक,
विवरण हिंदी सीखने के लिए लिला-प्रबोध, प्रवीण, प्राज्ञ पॅकेज आदि महत्वपूर्ण
जानकारी उपलब्ध है। इस साइट पर उपलब्ध जानकारी सभी सरकारी कार्यालयों, उपक्रमों,
उद्यमों के लिए उपयुक्त हैं।
२•
www.rajabhasha.com
इस साइट पर राजभाषा हिंदी संबंधित नियम,
साहित्य, व्याकरण, शब्दकोश, पत्रकारिता, तकनिकी सेवा, हिंदी संसार, पूजा-अर्चना,
हिंदी सीखें आदि संपर्क सूत्र उपलब्ध है।
३•
www.indianlanguages.com
इस साइट पर हिंदी सहित सभी प्रमुख
भारतीय भाषाओं के लिए
साहित्य, समाचार-पत्र, ई-मेल, सर्च-इंजन आदि महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध है।
४•
www.tdil.mit.gov.in
सूचना पौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार ने
भारतीय भाषाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास (Technology
Devalopment For Indian Languages) नामक इस
साइट पर राजभाषा हिंदी विकास संबंधित तकनीकी जानकारी, साफ्टवेयर अनुसंधान रत
संघटनों की जानकारी, भारत सरकार की योजना-भाषा-२०१० आदि उपलब्ध है। इस साइट की
इलेक्ट्रॉनिक पत्रिका 'विश्व भारत' अत्यंत उपयोगी है। इस साइट पर ऑनलाईन
अनुवाद सेवा "आंग्ल भारती" जो आई.आई.टी. कानपुर ने प्रदान की है। भारतीय भाषाओं के
लिए उपयुक्त तकनीकी जानकारी उपलब्ध है।
५•
www.cdacindia.com
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत
सरकार ने भारतीय भाषाओं के लिए इस साइट पर सॉफ्टवेयर, तकनीकी विकास संबंधित
महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है। हिंदी, मराठी, संस्कृत और कोकणी भाषाओं के
लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है।
६•
www.dictionary.com
इस साइट पर विश्व की प्रमुख भाषाओं
के शब्दकोश, अनुवाद, समानार्थी शब्दकोश, वैब डिरेक्टरी, वायरलेस मोबाइल शब्दकोश तथा
व्याकरण संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध है।
७. भारतीय वैब सर्च इंजन :
www. searchindia.com
www.jadoo.com
www. khoj.com
www.iloveindia.com
www. १२३india.com
www.samilan.com
www.samachar.com
www.search.asiaco.com
www.rekha.com
www.sholay.com
www.locateindia.com
www.mapsofindia.com
www.webdunia.com
www.netjal.com
www.indiatimes.com
८•
www.rosettastone.co
इस साइट पर हिंदी सहित विश्व की सभी भाषाओं को सीखने
के लिए इलेक्ट्रानिक सुविधाएँ उपलब्ध है। विश्व की ८० भाषाओं का व्यावहारिक ज्ञान
प्राप्त करने हेतु पर्यटकों के लिए Gold
Partner V६
नामक उपलब्ध है।
९•
www.wordanywhere.com
इस साइट पर किसी भी अंग्रेज़ी शब्द का हिंदी
समानार्थी शब्द तथा किसी हिंदी शब्द का अंग्रेज़ी समानार्थी शब्द प्राप्त किया जा
सकता है।
१०. हिंदी में ई-मेल की सुविधाएं :
www.epatr.com
www.mailjol.com
www.langoo.com
www.cdacindia.com
www.bharatmail.com
www.rediffmail.com
www.webdunia.com
www.danikragran.com
www.rajbhasha.nic.in
११•
www.bharatdarshan.co.nz
न्यूजीलैंड में बसे मूल भारतीय लोगों ने इस
साइट पर हिंदी साहित्य, कविताएँ, लघुकथाएँ, व्याकरण आदि सामग्री प्रस्तुत की है।
१२•
www.boloji.org
पारिवारिक रंगारंग पत्रिका जिसमें हिंदी
साहित्य, कला, संस्कृति आदि संबंधित संकलन उपलब्ध है।
१३•
www.unl.ias.unu.edu
टोकिया विश्व विद्यालय द्वारा विकसित इस साइट
पर हिंदी सहित विश्व की १५ भाषाओं के विकास के लिए अनुसंधान कार्य जारी है। इस
योजना का नाम Universal Net Working Languages
रखा है, जिसमें सभी शब्दकोश तथा अनुवाद कार्य
के सहारे विश्व शांति एवं एकता स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। विश्व की
प्रमुख १५ भाषाओं में हिंदी को कंप्यूटर में विकसित किया जा रहा है।
१४•
www.hindinet.com
इस साइट पर हिंदी भाषा संबंधित महत्वपूर्ण
जानकारी, संपर्क सूत्र उपलब्ध है। हिंदी पाठकों, भाषा शास्त्री तथा छात्रों के लिए
अत्यंत उपयुक्त साईट।
१५•
www.microsoft.com/india/hindi२०००
विश्व प्रसिद्ध माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने हिंदी
भाषा के लिए एम एस ऑफ़िस-२००० पॅकेज विकसित किया है। माइक्रोसॉफ्ट के अन्य
उत्पादों में हिंदी को शामिल किया गया है।
१६•
www.cstt.nic.in
वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग,
भारत सरकार द्वारा विकसित इस साइट पर प्रशासनिक शब्दकोश सहित अनेक विषयों के तकनीकी
शब्दकोश प्रस्तुत किए गए हैं। हिंदी,अंग्रेज़ी के लिए उपलब्धि शब्द-कोश कार्यालयों
के लिए काफ़ी उपयोगी है।
१७•
www.ciil.org
केंद्रिय भारतीय भाषा संस्थान, भारत सरकार ने
सभी भारतीय भाषाओं के विकास के लिए इस साइट का निर्माण किया है। सभी भारतीय भाषाओं
में पारस्पारिक आदान-प्रदान के लिए यह संस्थान विशेष कार्य कर रहा है।
१८•
www.gadnet.com
इस साइट पर हिंदी भाषा का इतिहास, हिंदी की
कविताएँ, गीत आदि साहित्य उपलब्ध है।
१९•
www.nidatrans.com
इस साइट पर हिंदी, अंग्रेज़ी, तमिल, तेलुगु
भाषाओं के लिए अनुवाद, डीटीपी आदि सेवा उपलब्ध है।
२०•
www.shamema.com
इस साइट पर हिंदी, अंग्रेज़ी, उर्दू, पख्तु,
पाश्तो भाषाओं के लिए समानार्थी शब्द प्राप्त किया जा सकते हैं।
२१•
www.hindibhasha.com
इस साइट पर हिंदी भाषा के लिए उपयुक्त जानकारी
उपलब्ध है।
|