1
  पुरालेख तिथि-अनुसार पुरालेख विषयानुसार
           अभिव्यक्ति-समूह : फेसबुक पर

 हमारे लेखक // तुक कोश // शब्दकोश // पता-

लेखकों से
१. ५. २०२०

इस माह-

अनुभूति में-
बबूल के वृक्ष को समर्पित विविध विधाओं में विभिन्न रचनाकारों की अनेक रचनाएँ।

-- घर परिवार में

रसोईघर में- गरमी के मौसम में तरावट भरने के लिये हमारी रसोई संपादक शुचि प्रस्तुत कर रही हैं- शीतल तरबूजिया।

स्वास्थ्य के अंतर्गत- दिल की आवाज सुनो- बारह उपाय जो रखें आपके दिल की सेहत को दुरुस्त- ५- रात की नींद पर ध्यान दें।

बागबानी- आयुर्वेद की दृष्टि से उपयोगी बारह पौधे जो हर घर में उगाए जा सकते हैं। इस अंक में प्रस्तुत है- ५- पुदीने का पौधा

बचपन की आहट- शिशु-विकास के अध्ययन में संलग्न इला गौतम की डायरी के पन्नों से- नवजात शिशु- सत्रह से बीस सप्ताह तक

- रचना व मनोरंजन में

क्या आप जानते हैं- इस माह (मई) की विभिन्न तिथियों में) कितने गौरवशाली भारतीय नागरिकों ने जन्म लिया? ...विस्तार से

संग्रह और संकलन- में प्रस्तुत है- शिव कुमार अर्चन की  कलम  से  सीमा  हरि  शर्मा  के  नवगीत संग्रह- गीत अँजुरी का परिचय। 

वर्ग पहेली- ३२५
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और
रश्मि-आशीष के सहयोग से


हास परिहास
में पाठकों द्वारा भेजे गए चुटकुले

साहित्य एवं संस्कृति के अंतर्गत- बबूल विशेषांक में

साहित्य संगम में लोचन बख्शी की
पंजाबी कहानी का रूपांतर धूल तेरे चरणों की
रूपांतरकार हैं महीप सिंह

मिले ताँ मस्तक लाइए, धूल तेरे चरणाँ दी।'
साधु-संगत पढ़ रही थी और पाकिस्तान-स्पेशल यात्रियों के इस जत्थे को लिए हुए छकाछक उड़ी जा रही थी। बाहर दूर तक रेगिस्तान फैला हुआ था। कभी-कभी बाजरे के खेत दिखाई दे जाते या फिर कहीं-कहीं पीले फूलों से लदे हुए बबूल के काँटेदार पेड़ दीख पड़ते। इनसे हटकर सारा दृश्य हरियाली से शून्य, वीरान और सुनसान था। पालासिंह खिड़की के बाहर देख रहा था। उसकी खुली हुई दाढ़ी धूल से अटी हुई थी। रेतीले मैदान से एक बगूला उठा और हवा के कन्धों पर सवार गाड़ी के अन्दर आ गया।
''खिड़की बन्द कर दो,'' जत्थेदार जी बोले।
पालासिंह मुस्करा दिया-''यही तो हमारे देश का मेवा है, बादशाहो, तुम इसे रेत कहते हो, इस रेते के लिए तो मेरी आँखें तरस गयीं।'' आज चौदह साल के लम्बे अरसे के बाद पालासिंह देश जा रहा था। रावलपिंडी के पश्चिमी रेतीले इलाके में उसका गाँव था, घर-घाट था, जमीन थी, एक दुनिया थी। आगे...
*

त्रिलोचना की लघुकथा
मन्नत के धागे
*

प्रकृति और पर्यावरण में
जानकारी- पेड़ बबूल का
*

रामदरश मिश्र की कलम से
ललित निबंध- बबूल और कैक्टस
*

पूर्णिमा वर्मन का आलेख
डाकटिककटों पर बबूल के चित्र

सुषम बेदी की स्मृति में---

विगत १९ मार्च अभिव्यक्ति के साथ सहयोग करने वाले सबसे पहले रचनाकारों में से एक सुषम बेदी हमारे बीच नहीं रहीं। उनकी सहयोगी सविता बाला नायक के एक अंतरंग संस्मरण के साथ हमारी भावभीवी श्रद्धांजलि- बहुमुखी प्रतिभा की धनी- सुषम बेदी। साथ ही प्रस्तुत हैं उनकी कुछ रचनाएँ जो हमारे पाठकों के लिये अमूल्य धरोहर हैं-
कहानियाँ-
bullet

अवसान

bullet

अज़ेलिया के रंगीन फूल

bullet

काला लिबास

bullet

कितने कितने अतीत

bullet

गुनहगार

bullet

गुरुमाई

bullet

चेरी फूलों वाले दिन

bullet

तीसरी दुनिया का मसीहा

bullet

पार्क में

bullet

वे दोनों 

bullet

संगीत पार्टी

bullet

सड़क की लय

bullet

हवनशेष उर्फ़ किरदारों के अवतार

उपन्यास अंश-

bullet

लौटना

निबंध-

bullet

अमेरिका में हिंदी एक सिंहावलोकन

bullet

प्रवासी भारतीयों का साहित्यिक उपनिवेशवाद

bullet

प्रवासियों में हिन्दी- दशा और दिशा

bullet

पीढ़ियों की सीढ़ियाँ

bullet

जापान का हिंदी संसार

अनुभूति में कविताएँ

आज सिरहाने उपन्यास उपहार कहानियाँ कला दीर्घा कविताएँ गौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा रचना प्रसंग घर–परिवार दो पल नाटक
परिक्रमा पर्व–परिचय प्रकृति पर्यटन प्रेरक प्रसंग प्रौद्योगिकी फुलवारी रसोई लेखक विज्ञान वार्ता विशेषांक हिंदी लिंक साहित्य संगम संस्मरण
चुटकुलेडाक-टिकट संग्रहअंतरजाल पर लेखन साहित्य समाचार साहित्यिक निबंध स्वाद और स्वास्थ्य हास्य व्यंग्यडाउनलोड परिसररेडियो सबरंग

© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।


प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

 
सहयोग : कल्पना रामानी
 

Loading