समकालीन कहानियों में प्रस्तुत
है भारत से
नवीन कुमार-की-कहानी-
गंगा स्नान
"अजी
सुनती हो फेनी की माँ गजब हो गया।"
“ऐसा कौन पहाड़ टूट पड़ा जो इतना तेज़ चीख रहे हो?"
धनदेवी ने प्रतिक्रिया दी।
“अरे ये जो पड़ोस के मुहल्ले में शर्मा जी रहते थे ना..."
“कौन शर्मा जी...?"
“अरे चीनी मिल वाले..."
“अच्छा-अच्छा, जिनकी लड़की का रिश्ता अपने गाँव के कोटेदार के
लड़के से हुआ है?"
“हाँ-हाँ, वे ही शर्मा जी।"
“हाँ, तो क्या हुआ उनको...?"
“अरे, उनके यहाँ चोरी हुई है, अख़बार में निकला है।"
“हे भगवान, क्या-क्या उठा ले गए..."
“अरे, छोड़ा ही कुछ नहीं, घर खाली कर गए।"
खबर खत्म होते ही सेठ रईसचन्द के चारों लडकों में से तीन वहाँ
आ धमके और क्या हुआ, क्या हुआ के नारे लगाने लगे..
और सेठ रईसचन्द बची-खुची खबर को और जोर-जोर से पढ़ने लगे- “मूल
रूप से अल्हागंज के निवासी रघुवीर शर्मा के यहाँ कल रात अज्ञात
व्यक्तियों के द्वारा नकब लगाकर चोरी की वारदात...आगे-
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प्रेरणा गुप्ता की लघुकथा
अँजुरी भर पानी
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सुरेश गाँधी से पर्व परिचय
गंगावतरण का पर्व गंगा दशहरा
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शंभुनाथ शुक्ल का यात्रा प्रसंग
गंगोत्री की ओर
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पुनर्पाठ में नीरजा माधव का
ललित निबंध- रुकोगी
नहीं भागीरथी |