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लेखकों से
 १५. १. २०१७

इस पखवारे-

अनुभूति-में-
मकर संक्रांति के अवसर पर विभिन्न विधाओं में अनेक रचनाकारों की मनभावन रचनाएँ।

- घर परिवार में

रसोईघर में- मकर संक्रांति के पावन अवसर पर हमारी रसोई संपादक शुचि प्रस्तुत कर रही हैं- तिल के रोल्स

स्वास्थ्य में- मस्तिष्क को सदा स्वस्थ, सक्रिय और स्फूर्तिदायक बनाए रखने के २४ उपाय- २- समाचारों का अनुसरण करें

बागबानी- के अंतर्गत घर की सुख स्वास्थ्य और समृद्धि के लिये शुभ पौधों की शृंखला में इस पखवारे प्रस्तुत है- २- एरिका पाम

भारत के सर्वश्रेष्ठ गाँव- जो हम सबके लिये प्रेरणादायक हैं- २- पुंसरी- स्मार्ट सिटी से भी दौड़ में दो कदम आगे स्मार्ट गाँव।

- रचना व मनोरंजन में

क्या आप जानते हैं- इस माह (जनवरी में) कितने गौरवशाली भारतीय नागरिकों ने जन्म लिया? ... विस्तार से

संग्रह और संकलन- में प्रस्तुत है- संजय शुक्ल की कलम से जगदीश पंकज के नवगीत संग्रह- ''निषिद्धों की गली का नागरिक'' का परिचय।

वर्ग पहेली- २८३
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और
रश्मि-आशीष के सहयोग से


हास परिहास
में पाठकों द्वारा भेजे गए चुटकुले

साहित्य एवं संस्कृति में- 

समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है भारत से
अश्विन गांधी-की-कहानी- लापता

२६ जनवरी। गणतंत्र दिवस। स्पाइसजेट फ्लाइट ४४४। मुंबई से अमृतसर। सुबह १० बजे शुरू हो कर, सीधी कहीं रुके बिना, १२ बजे अमृतसर पहुँचा देगी। अशोक, आशा, और केतकी, तीन उल्लास भरे दिल प्लेन में बैठ गए। तीन सहयात्री, तीन दोस्त, हिमाचल की यात्रा पे निकले थे। एक दिन अमृतसर रुककर आगे गाड़ी से हिमाचल जाने का प्लान था। तीन महीने पहले आशा ने कंप्यूटर से फ्लाइट की बुकिंग की थी। थोड़ी देर में कैप्टन की आवाज़ सुनाई दी,'स्पाइसजेट फ्लाइट ४४४ में आप सब का स्वागत है। मुझे अफसोस है कि हमारी फ्लाइट में थोड़ा सा परिवर्तन हुआ है, हमें दिल्ली रुककर जाना होगा। आप सब आराम से बैठे रहिये, बस थोड़ी देर में हमारी उड़ान शुरू होगी!' अशोक खुश हो गया ,'आशा, तुमने क्या प्लान बनाया है! दिल्ली में गणतंत्र दिवस की प्रख्यात परेड भी हम ऊपर से आकाश में बैठे बैठे देख लेंगे! जबरदस्त!' 'इतना जल्दी बहुत खुश हो जाना अच्छी बात नहीं है, अशोक!' आशा ने अशोक को जमीन पर ला पटका। कैप्टन की फिर से आवाज़ आई ,'दिल्ली में परेड चल रही है, किसी को भी प्लेन को...आगे-
*

रमेश राज का व्यंग्य
पुलिस बनाम लोकतंत्र
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शशि पाधा का संस्मरण
मेजर सुधीर वालिया
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अनुज हनुमत सत्यार्थी का आलेख
क्या आज भी प्रासंगिक है संविधान

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पुनर्पाठ में गणतंत्र दिवस से संबंधित
विविध विधाओं में अनेक रचनाएँ

पिछले पखवारे-

पुरानी बस्ती की लघुकथा-
क्रिसमस का उपहार
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चीन से गुणशेखर की पाती
क्रिसमस के कलंदर
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सतीश जायसवाल का संस्मरण
क्रिसमस की रात में शोक-गीत

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पुनर्पाठ में अतुल अरोरा के संस्मरण
''बड़ी सड़क की तेज गली में'' का छठा भाग

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समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है यू.के. से
नीना पॉल की कहानी- सिगरेट बुझ गई

घर के चारों ओर पुलिस ने पीले रंग की टेप का घेरा डाल दिया।
सामने से निकलने वाला प्रत्येक राहगीर कुछ पल के लिए खड़ा होकर सोचने लगता कि इस घर मे क्या हुआ है? इस घर में किसी की मृत्यु हुई है जिसकी सूचना डाकिये से मिली है। जब डाकिया लैटर बॉक्स में चिट्ठी डाल रहा था तो उसे अंदर से एक अजीब प्रकार की महक आई। उसने दरवाजे पर दस्तक दी तो अंदर कोई हलचल न हुई। डाकिये को किसी अनहोनी की शंका होने लगी। उसने जेब से मोबाइल निकाल कर ९९९ पुलिस का नम्बर घुमा दिया। पुलिस का नम्बर क्या घुमाया कि शोर मचाती हुई दो पुलिस गाड़ियाँ व एक एंबुलेंस कुछ ही पलों में वहाँ पहुँच गईं। अपने चेहरे पर मास्क पहन कर पुलिस ऑफ़िसर ने दरवाजे को ज़ोर से धकेला परंतु वह अंदर से बंद था। पहले पुलिस ने मास्टर की सहायता से ताला खोलना चाहा। कई डबल गलेज ताले मास्टर की से भी नहीं खुलते। अंत में हार कर वे दरवाजे का ताला तोड़कर अंदर घुसे। अंदर घुसते ही उन्हें बहुत ज़ोर की महक आई।...आगे-

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यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।


प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

 
सहयोग : कल्पना रामानी
 

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