समकालीन कहानियों में प्रस्तुत
है भारत से
अश्विन गांधी-की-कहानी-
लापता
२६ जनवरी। गणतंत्र दिवस।
स्पाइसजेट फ्लाइट ४४४। मुंबई से अमृतसर। सुबह १० बजे शुरू हो
कर, सीधी कहीं रुके बिना, १२ बजे अमृतसर पहुँचा देगी। अशोक,
आशा, और केतकी, तीन उल्लास भरे दिल प्लेन में बैठ गए। तीन
सहयात्री, तीन दोस्त, हिमाचल की यात्रा पे निकले थे। एक दिन
अमृतसर रुककर आगे गाड़ी से हिमाचल जाने का प्लान था। तीन महीने
पहले आशा ने कंप्यूटर से फ्लाइट की बुकिंग की थी। थोड़ी देर में
कैप्टन की आवाज़ सुनाई दी,'स्पाइसजेट फ्लाइट ४४४ में आप सब का
स्वागत है। मुझे अफसोस है कि हमारी फ्लाइट में थोड़ा सा
परिवर्तन हुआ है, हमें दिल्ली रुककर जाना होगा। आप सब आराम से
बैठे रहिये, बस थोड़ी देर में हमारी उड़ान शुरू होगी!' अशोक खुश
हो गया ,'आशा, तुमने क्या प्लान बनाया है! दिल्ली में गणतंत्र
दिवस की प्रख्यात परेड भी हम ऊपर से आकाश में बैठे बैठे देख
लेंगे! जबरदस्त!' 'इतना जल्दी बहुत खुश हो जाना अच्छी बात नहीं
है, अशोक!' आशा ने अशोक को जमीन पर ला पटका। कैप्टन की फिर से
आवाज़ आई ,'दिल्ली में परेड चल रही है, किसी को भी प्लेन को...आगे-
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रमेश राज का व्यंग्य
पुलिस बनाम लोकतंत्र
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शशि पाधा का संस्मरण
मेजर सुधीर वालिया
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अनुज हनुमत सत्यार्थी का आलेख
क्या आज भी
प्रासंगिक है संविधान
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पुनर्पाठ में गणतंत्र दिवस से संबंधित
विविध विधाओं में अनेक
रचनाएँ |