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घर-परिवार जीवन शैली - भारत के श्रेष्ठ गाँव


भारत के सर्वश्रेष्ठ गाँव
जो हम सबके लिये प्रेरणादायक हैं


२- पुंसरी- स्मार्ट सिटी से भी दौड़ में दो कदम आगे

२०११ में श्रेष्ठ गाँव का पुरस्कार पाने वाला गुजरात के साबरकांठा जिले का गाँव पुंसरी देश के करीब छह लाख गाँवों का रोल मॉडल है। ६००० की आबादी वाले इस गाँव में २००६ तक कुछ नहीं था। लेकिन आज पूरा पुंसरी गाँव वाई-फाई से लैस है। यानी इस गाँव के ग्रामीण इंटरनेट की सुविधा का लाभ उठाते हैं। पुंसरी ग्राम पंचायत भी पूरी तरह से कंप्यूटराइज्ड है। गाँव के युवा समय के साथ कदम मिला सकें, इसके लिए नाममात्र का धन खर्च कर पंजीकरण करवाकर युवा इंटरनेट की सुविधा ले सकते हैं। गाँव में जगह-जगह वाटरप्रूफ स्पीकर और सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, पाँच स्कूल हैं, जहाँ सभी कक्षाओं में एअर कंडीशनर हैं, साथ ही सीसीटीवी कैमरे भी लगे हैं।

पूरे गाँव में पीने के लिए स्वच्छ पानी की व्यवस्था करने के लिए आरओ प्लांट लगाया गया है। इस प्लांट से गाँव के हर परिवार को सिर्फ ४ रुपये में २० लीटर मिनरल वॉटर की सुविधा मिलती है। घर-घर पानी पहुँचाने के लिए गाड़ियों की व्यवस्था की गई है। ग्राम पंचायत ने एक ऐसी गाड़ी की व्यवस्था की है, जिसमें सिर्फ किताबें होती है। यानी की चलता-फिरता पुस्तकालय। सैकड़ों पुस्तकों को लिए यह वाहन गाँव में निश्चित समय में जगह-जगह पहुँचता है। पूरे गाँव में एलईडी लाइट लगाई गयी हैं, इसके साथ ही स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया गया है। पंचायत के कर्मी घर-घर जाकर कचरा एकत्र करते हैं और फिर जमा हुए कचरे को गाँव की सीमा के निकट उचित व्यवस्था की गई है। वहीं, पुसंरी गाँव के ग्रामीण भी जगह-जगह कचरा नहीं फैलाते हैं और स्वच्छता के प्रति जागरूक हैं।

गाँव को इतनी सुविधाएँ देने का काम किया है इस गाँव के युवा सरपंच हिमांशु पटेल ने। एक तरफ जहाँ केंद्र सरकार, वहीं राज्य सरकार भी योजनाओं के जरिये गाँव के विकास के लिए ग्राम पंचायत को तीन से पाँच करोड़ रुपये मिलते हैं। मगर कई ग्राम पंचायते ऐसी हैं, जो इन योजनाओं के धन का सही उपयोग नहीं कर पाते हैं। मगर युवा सरपंच हिमांशु पटेल ने सरकार की सभी योजनाओं का लाभ ग्रामीणों तक पहुँचाया।

 १५ जनवरी २०१७

(अगले अंक में एक और गाँव)  पृष्ठ- . .

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