बात
उन दिनों की है जब मैं छोटा ही था। स्कूल में मुझे पहली
बार पता चला कि क्रिसमस के दिन सेंटाक्लॉस नाम का व्यक्ति
आता है और सबको उपहार देकर जाता है। मेरे मित्रों ने बताया
कि सेंटाक्लॉस लोगों के मोजे में उपहार डालता है। तो इस
बार मैंने भी सेंटाक्लॉस से उपहार लेने की ठान ली।
क्रिसमस के दिन सुबह उठकर मैं सबसे पहले अपने मोजे को धोने
लगा । मैं नहीं चाहता था कि सेंटाक्लॉस मेरे गंदे मोजे में
उपहार डालकर जाए। शाम के समय मैंने अपने मोजों को बिस्तर
के किनारे टाँग दिया। मै मन ही मन सोच रहा था की इतने छोटे
से मोजे में सेंटाक्लॉस क्या डालेगा, यही सोचते-सोचते मै
सो गया और सुबह उठकर मैंने सबसे पहेले अपने मोजे की तरफ
नज़र डाली परन्तु मेरा मोजा जगह पर नहीं था। मैं परेशान हो
गया और जैसे ही उठकर बाहर आया मेरा मोजा बाहर की रस्सी पर
सूख रहा था। मेरी माँ ने उस धुले हुए मोजे को फिर धोकर
रस्सी पर टाँग दिया था और मैं माँ के ऊपर नाराज होकर जोर
जोर से रोने लगा। माँ ने मुझे डांट लगाकर नहाने भेज दिया।
मैंने इस घटना के बाद एक साल तक क्रिसमस का इंतज़ार किया और
फिर से क्रिसमस का दिन आ गया, इस बार मैंने अपने पिताजी का
नया मोजा लिया क्योंकि मुझे लगा कि बड़े और नए मोजे में
सेंटाक्लॉस कुछ बड़ा ही डालेगा। मैंने मोजा ऐसी जगह रखा
जहाँ सेंटाक्लॉस के अलावा कोई नहीं पहुँच पाए। मैं दिन भर
खेल रहा था तो रात में जल्दी सो गया। सुबह उठकर मैं झटपट
मोजे को उतारने के लिए चला गया लेकिन जैसे ही मैंने मोजे
को खोला तो वो खाली था मुझे इस बात का दुःख हुआ कि मैंने
मोजा ऐसी जगह क्यों टाँगा जहाँ किसी की नजर न जाए, मुझे
लगा शायद सेंटाक्लॉस को भी मोजा ढूँढने में परेशानी हुई
इसलिए वो बिना उपहार डाले ही चला गया।
कुछ सालों के बाद मुझे पता चला कि क्रिसमस के दिन बच्चों
के माता पिता ही उनके लिए उपहार लाते हैं और सेंटाक्लॉस
सिर्फ एक दन्त कथा है। मेरे माता पिता इस बात से अनभिज्ञ
थे। हमारे घर में क्रिसमस का कोई रिवाज नहीं था। मैं हमेशा
अपनी क्रिसमस की इस कहानी को सोच कर मुस्कराता हूँ और मन
ही मन सोचता हूँ कि किसी दिन मुझे क्रिसमस उपहार मिलेगा
परन्तु अब मैंने मोजा लटकाना छोड़ दिया है।
१५ दिसंबर २०१६ |