इस पखवारे- |
अनुभूति
में-1
अनिलकुमार वर्मा, बसंत शर्मा, वंदना ग्रोवर, अमन चाँदपुरी और विश्वनाथ तिवारी
की रचनाएँ। |
- घर परिवार में |
रसोईघर में- सर्दियों के स्वास्थ्यवर्धक व्यंजनों की
शृंखला में, हमारी रसोई-संपादक शुचि द्वारा प्रस्तुत है-
नानखताई।
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फेंगशुई
में-
२४ नियम जो घर में सुख समृद्धि लाकर
जीवन को सुखमय बना सकते हैं-
२-
ताजी हवा और प्राकृतिक प्रकाश हर जगह हो।
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बागबानी-
के अंतर्गत लटकने वाले बगीचों को लिये कुछ उपयोगी सुझावो में पढ़ें-
२- बगीचा जिसे लोग मुड़-मुड़कर देखें। |
सुंदर घर-
शयनकक्ष को सजाने के कुछ उपयोगी सुझाव जो इसके रूप रंग को
आकर्षक बनाने में काम आएँगे-
२-
भारतीय हथकरघे का
जवाब नहीं |
- रचना व मनोरंजन में |
क्या
आप
जानते
हैं- आज के दिन (१५ जनवरी को) बाबा साहेब भोंसले,
चुन्नी गोस्वामी, अन्ना हजारे, मायावती, भानुप्रिया और नील मुकेश...
विस्तार से
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नवगीत संग्रह- में प्रस्तुत है-
संजीव वर्मा सलिल की कलम से रामकिशोर दाहिया के नवगीत संग्रह-
''अल्लाखोह
मची'' का परिचय। |
वर्ग पहेली- २६०
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल
और
रश्मि-आशीष के सहयोग से
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हास परिहास
में पाठकों द्वारा भेजे गए चुटकुले |
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साहित्य एवं
संस्कृति में- |
समकालीन कहानियों में प्रस्तुत
है भारत से
शरद उपाध्याय की कहानी
प्रतीक्षा
आज उनकी नींद जल्दी ही खुल गई
थी। सर्दी के दिन थे। दिन अभी नहीं निकला था। आसमान लालिमा
लिये सूरज की प्रतीक्षा कर रहा था। पत्नी हमेशा की तरह उठ गई
थी। नहाकर अपने पूजा के बर्तन माँज रही थी। तभी उन्हें उठा देख
उनके लिए पानी ले आई और चाय बनाने चली गई। वे बाहर अखबार लेने
आ गए। मोहल्ला धीरे-धीरे जाग रहा
था। पड़ोस की छत पर शर्माजी अपनी पत्नी के साथ चाय पी रहे थे।
सड़क पर आवा-जाही शुरू हो गई थी। लोग-बाग घूमने के लिए निकल रहे
थे। उन्हें देखकर एक गाय तेजी से आकर दरवाजे पर खड़ी हो गई।
उन्होंने जमीन पर पड़ा अखबार उठाया और अंदर आ गए। पत्नी ने चाय
बनाकर टेबल पर रख दी।
"क्या बात है, आज जल्दी उठ गए?"
"हाँ, बस ऐसे ही नींद खुल गई। मैंने सोचा, उठ ही जाऊँ।"
कहकर वे अखबार पढ़ने लगे। पत्नी कुछ क्षण खड़ी रही, पर कोई
प्रतिक्रिया न पाकर पुनः अंदर जाकर अपना काम करने लगी।...
आगे-
*
गोपाल चतुर्वेदी का व्यंग्य
देश का विकास जारी है
*
संजीव वर्मा सलिल का आलेख
नवगीत और देश
*
शशि पाधा का संस्मरण
संत सिपाही
*
सुनीता सिंह गर्ग की कलम से
झंडा ऊँचा रहे हमारा |
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नरेन्द्र कोहली का व्यंग्य
नया साल मुबारक
*
गुणशेखर की चीन डायरी
मन, मधु और मधुकरी
का मादक आतिथ्य
*
उषा
वधवा का ललित निबंध
स्नेह पगी
पाती
*
नव वर्ष के अवसर पर
विशेष लेख- देश देश
में नव वर्ष
*
समकालीन कहानियों में प्रस्तुत
है स्पेन से
पूजा अनिल की कहानी
ब्रोचेता
एस्पान्या
¨सिगरेट मुक्त तुम्हारी उँगलियाँ
देखना मुझे ज्यादा अच्छा लगेगा लड़की... उस शांत दोपहर सोफिया
को ऐसा कहने से रोक न पाई खुद को। जी! धूम्रपान छोड़ने का पूरा
प्रयास है मेरा। मेरी माँ और मैं, हम दोनों ही अक्टूबर में
धूम्रपान छोड़ देंगी। सोफिया ने पूरे आत्मविश्वास से जवाब दिया।
ब्रोचेता एस्पान्या में समय बिताना अपने घर सा सुखद रहा है।
मधुर संगीत से गुंजित और जिंदादिल वातावरण वाला वह रेस्त्राँ
मद्रिद के चहल पहल वाले एक इलाके में है। उनके बहुत से ग्राहक
भारतीय हैं, जिनमें से कुछ हमारे मित्र भी हैं। रेस्तराँ की
मालकिन मारिया और उसकी बेटी सोफिया अक्सर वहाँ मिल जाती हैं।
दोपहर की सुस्ती काटने के लिये उससे अच्छी कोई जगह नहीं।
स्वादिष्ट कफे सोलो और कफे कोरतादो वहाँ की विशेषता है। उस रोज
लोग कम थे। मैं उसे गौर से देख रही थी। मैंने देखा कि कुछ कुछ
मिनटों के अंतराल पर वह २२ साला लड़की, बाहर जाकर एक सिगेरट के
हडबडाहट में और...
आगे- |
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