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१५. १२. २०१४

इस सप्ताह-

अनुभूति में- 11
अनिल मिश्रा, संदीप पांडे, महेश द्विवेदी, कर्ण बहादुर, और राजेश श्रीवास्तव की रचनाएँ।

- घर परिवार में

रसोईघर में- सर्दियों की शुरुआत हो रही है और हमारी रसोई-संपादक शुचि लाई हैं हर मौसम और हर अवसर पर सदा बहार- बेसन के लड्डू

गपशप के अंतर्गत--छुट्टियाँ आने ही वाली हैं बहुत से लोग यात्रा करेंगे। आइये जानें कुछ उपयोगी सुझाव सुरेश श्रीमाली से- फेंगशुई के स्वर्णिम सूत्र

जीवन शैली में- १५ आसान सुझाव जो हमारे जीवन को स्वस्थ, सुखद और संतुष्ट बना सकते हैं - १२. अपने जीवन का एक लक्ष्य निर्धारित करें

सप्ताह का विचार- कष्ट ही तो वह प्रेरक शक्ति है जो मनुष्य को कसौटी पर परखती है और आगे बढ़ाती है।
- सावरकर 

- रचना व मनोरंजन में

क्या-आप-जानते-हैं- आज के दिन (१५ दिसंबर को) स्वामी रंगनाथनानंद, क्रिकेट खिलाड़ी रुस्तम कूपर, तेलुगु सिने-कलाकार बापू... विस्तार से

लोकप्रिय लघुकथाओं के अंतर्गत- अभिव्यक्ति के पुराने अंकों से- २४ जुलाई २००४ को प्रकाशित डॉ. सुरेशचंद्र शुक्ल शरद आलोक की लघुकथा- दोहरा दान

वर्ग पहेली-२१५
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और रश्मि-आशीष
के सहयोग से


हास परिहास
में पाठकों द्वारा भेजे गए चुटकुले

साहित्य एवं संस्कृति में-

समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है संयुक्त अरब इमारात से पूर्णिमा वर्मन की कहानी- नमस्ते कौर्निश

सुबह के छह बजे होंगे... योगिनी महाजन ने विला के मुख्यद्वार को बंद कर के एक बार चेक किया और रिमोट से कार का ताला खोला। हवा के हल्के से झोंके से विला के बाहर लगे गुलमोहर की डाल से बिछुड़ कर एक फूल विंडस्क्रीन से लुढ़कता हुआ बोनेट पर आ रुका। जाने क्या सोचकर योगिनी ने फूल को उठाया और कार का दरवाजा खोलकर डैशबोर्ड पर रख दिया। पर्स को पीछे की सीट पर रखा और सीट बेल्ट लगाकर कार स्टार्ट की। कार को गियर में डालने से पहले फूल को हाथ में लिया और एक एककर पंखुड़ियाँ अलग कीं-
हशमत अंकल मिलेगें
हशमत अंकल नहीं मिलेंगे
हशमत अंकल मिलेंगे
हशमत अंकल नहीं मिलेंगे
हशमत अंकल मिलेंगे....
पाँच ही तो पंखुरियाँ होती हैं गुलमोहर में... जिस पंखुड़ी से बात शुरु होगी उसी बात पर समाप्त होगी। यह खेल गुलाब के लिये ठीक है जिसकी पंखुड़ियों के बारे में हम नहीं जानते है कि ... आगे-
*

डॉ. सरोजिनी प्रीतम का व्यंग्य
सखि सुन कहाँ गए मेरे मतवाले
*

मीरा झा का आलेख
मंदिरों का गाँव मलूटी
*

डॉ. उदय प्रताप सिंह का
नगरनामा- बात बनारस की

*

पुनर्पाठ में चित्रा मुद्गल के
उपन्यास- आवाँ से परिचय

पिछले सप्ताह-

रत्ना ठाकुर की लघुकथा
सुंदरता
*

स्वाद और स्वास्थ्य में जानें
अमृतफल अमरूद के विषय में
*

राधेश्याम  का आलेख
विश्व का पहला प्रामाणिक सामाजिक उपन्यास ‘गेंजी’

*

पुनर्पाठ में डॉ. इंद्रजित सिंह
का संस्मरण- गीतों का जादूगर शैलेन्द्र

*

समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है यू.के. से
 कादंबरी मेहरा की कहानी- टैटू

लन्दन की सुप्रसिद्ध हार्ले स्ट्रीट का एक लेज़र क्लीनिक। त्वचा के दाग धब्बे मिटाने का केंद्र। स्त्रियों के लिए वरदान। इसी के मालिक विख्यात डॉक्टर अनिल गर्ग। पाँच फुट सात इंच कद। सात्विक सही आहार के परिणाम से बेहद सूती हुई काया। गोरा गुलाबीपन लिए हुआ रंग। आँखों पर मोटा चश्मा और गंजा सिर। भाषा सुथरी अंग्रेजी, मीठा स्वर और शाश्वत मुस्कान। पर इन सबसे ज्यादा उनकी कर्मठता के कारण उन्हीं की माँग रहती मरीजों को।
उनकी सेक्रेटरी शीला हो या उनकी अनुभवी नर्स जॉयस, वर्षों से उनको छोड़कर कहीं नहीं जातीं।
एक सुबह की बात शीला ज़रा घबराई हुई अंदर आई।
''डॉ-गर्ग-एक-फनी-सा आदमी आपसे मिलना चाहता है।''
''फनी माने क्या? ''
''गुंडा-या-पागल-भी-हो-सकता-है।-बहुत-बड़ा-तगड़ा-सा-है।''
''भेज दो। उसकी कद काठी से डरो मत। ''
आगंतुक सचमुच साढ़े छह फुट ऊँचा और... आगे-

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।


प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

 
सहयोग : कल्पना रामानी -|- मीनाक्षी धन्वंतरि
 

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