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16. 2. 2007

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हास्य व्यंग्य

इस सप्ताह शिवरात्रि के अवसर पर—

समकालीन कहानियों के अंतर्गत
भारत से लोकबाबू की कहानी शिवः माम् मर्षयतु

पंडित गंगाराम शास्त्री कोई साधारण ज्योतिषचार्य नहीं थे। आसपास के पच्चीस गाँवों में उनके नाम की तूती बोलती थी। शास्त्री ने जो कह दिया, सो कह दिया। वह हो कर रहेगा। न थोड़ा इधर न थोड़ा उधर। लोगों का भूत, भविष्य और वर्तमान जैसे शास्त्री जी के शास्त्र में बंद हों। शास्त्री जी जिस गाँव से निकल जाएँ, लोग झुक-झुक कर उनके पाँव छूते। आशीर्वाद लेते। गाँवों का कोई भी धार्मिक कार्यक्रम बिना शास्त्री जी के संपन्न न होता। जिस घर में शास्त्री जी का पदार्पण हो जाए, उस घर का सौभाग्य। शास्त्री जी की सेवा-जतन में कोई कमी न आने दी जाती। लोग उनके कृतज्ञ होते। अपना सिर उनके कदमों में रख देते। शास्त्री जी के हृदय में सुख की एक ठंडी सिहरन दौड़ जाती। वे आँखें बंद कर लेते।

*

व्यंग्य में शास्त्री नित्यगोपाल कटारे की कलम से
भोलेनाथ की सरकार व्याख्या
सरकार की तलाश में भटकता हुआ थका हारा विपन्न बुद्धि हिमालय पर्वत पर भोलेनाथ शिवशंकर की शरण में जा पहुँचा और बोला,
''हे भोलेबाबा! आप भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों कालों की बातें जानते हैं, आप सर्वज्ञ हैं। कृपया मेरी जिज्ञासा शांत करने की कृपा करें। हमारे देश में सरकार नाम की कोई वस्तु है अथवा नहीं? यदि है तो वह कहाँ रहती है? उसका स्वरूप क्या है? वह कैसे चलती है? कैसे काम करती है? क्या खाती है? कैसे सूँघती है? कैसे बोलती है?. . .कृपा करके विस्तार पूर्वक बताने का कष्ट करें।'' भोलेनाथ ने अपनी आँखें बंद कीं और गंभीर स्वर में बोले, ''वत्स! तुमने हमें संकट में डाल दिया।

*

पर्व परिचय में मनोहर पुरी का संदेश
सच्चिदानंद का साक्षात्कार ही है महाशिवरात्रि
ईशान संहिता के अनुसार महाशिवरात्रि को ही ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव हुआ। शिव पुराण में ब्रह्मा जी ने कहा है कि संपूर्ण जगत के स्वामी सर्वज्ञ महेश्वर के कान से गुण श्रवण, वाणी से कीर्तन, मन से मनन करना महान साधना माना गया है। इसी लिए महाशिवरात्रि के दिन उपवास, ध्यान, जप, स्नान, दान, कथा श्रवण, प्रसाद एवं अन्य धार्मिक कृत्य करना महाफलदायक होता है। वास्तव में शिव की महिमा अपरंपार है। जिनके कोष में भभूत के अतिरिक्त कुछ नहीं है परंतु वह निरंतर तीनों लोकों का भरण पोषण करने वाले हैं। परम दरिद्र शमशानवासी होकर भी वह समस्त संपदाओं के उद्गम हैं और त्रिलोकी के नाथ हैं।

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पर्यटन में पंचकेदार की तीर्थ-यात्रा
डॉ अजय शेखर के साथ हिमालये तु केदार
असीम प्राकृतिक सौंदर्य को अपने गर्भ में छिपाए, गढ़वाल हिमालय की पर्वत शृंखलाओं के मध्य, सनातन संस्कृति का शाश्वत संदेश देनेवाले, अडिग विश्वास के प्रतीक केदारनाथ और अन्य चार पीठों सहित, इसे पंचकेदार के नाम से जाना जाता है। श्रद्धालु तीर्थयात्री, सदियों से इन पावन स्थलों के दर्शन कर, कृतकृत्य और सफल मनोरथ होते रहे हैं। जनश्रुति है कि पांडवों ने कुरुक्षेत्र युद्ध से विजयश्री प्राप्त करने के पश्चात अपने ही संबंधियों की हत्या करने की आत्मग्लानि से पीड़ित होकर, शिव आशीर्वाद की कामना की, किंतु शिव इस हेतु इच्छुक न थे। शिव ने पांडवों से पीछा छुड़ाने हेतु केदारनाथ में शरण ली, जहाँ कि पांडवों के पहुँचने का आभास होते ही, उन्होंने बैल रूप में प्राण त्याग दिए।

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कलादीर्घा में
शिव - विभिन्न कलाकारों की तूलिका से
शिव ईश्वर का रूप हैं। पार्वती इनकी पत्नी है। इनके पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं। गृहस्थ होते हुए भी वे वैरागी हैं और निर्लिप्त होते हुए भी उनकी भभूत में दुनिया की सारी संपदा है। कभी वे जग के उत्पत्तिकर्ता हैं तो कभी संहारक, कभी नर हैं तो कभी अर्धनारीश्वर। ऐसे परस्पर विरोधी व्यक्तित्व वाले शिव पारंपरिक चित्रकारों के प्रिय तो हैं ही आधुनिक चित्रकारों ने भी उन्हें अपनी कलाकृतियों का विषय बनाया है। इस बार की कलादीर्घा में प्रस्तुत हैं पारंपरिक और आधुनिक चित्रकारों द्वारा बनाए गए शिव विषयक चित्रों के संकलन में शिव के अनेक रूप।

 

डा. राजेंद्र गौतम, गुरमीत बेदी, इला प्रसाद, श्यामल सुमन, उर्मिला कौल और
पं. जयदेव वशिष्ठ की नई रचनाएँ

ताज़ा हिंदी चिट्ठों के सारांश
नारद से

-पिछले अंकों से-
कहानियों में
वैलेंटाइन दिवस-महावीर शर्मा
क़सबे का आदमी-
कमलेश्वर
दिल्ली दूर है-किरन अग्रवाल
अपूर्णा - अलका सिन्हा
अंतरमन के रास्ते - शरद आलोक
शिमला क्लब. . . -राजकुमार राकेश

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हास्य व्यंग्य में
वनन में बागन में- अनूप कुमार शुक्ल
जनतंत्र-डॉ नरेंद्र कोहली

संभावनाएँ बहुत हैं...!- गुरमीत बेदी
सेवा वंचित-
डॉ नरेंद्र कोहली

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घर परिवार में
पूर्णिमा वर्मन से जानें

 वैलेंटाइन दिवस-तथ्य और आँकड़े

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फुलवारी में
बच्चों के लिए मौसम की जानकारी
वर्षा क्यों होती है

*
रसोईघर में
गृहलक्ष्मी प्रस्तुत कर रही हैं
दिलपसंद कुकीज़

*
दृष्टिकोण में
कमलेश्वर के पत्रकार स्वरूप की झलक प्रतिभा पलायन की उलटी गंगा

*
संस्मरण में
गंगा प्रसाद विमल का आलेख स्मृतिशेष कमलेश्वर

*
श्रद्धांजलि में
भारत से महत्वपूर्ण व्यक्तियों के
श्रद्धा-सुमन
कमलेश्वर के नाम
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मूल्यांकन में
कमलेश्वर की लेखन यात्रा पर मैनेजर पांडेय
लोक चेतना से संपन्न कथाकार

*
विज्ञान वार्ता में
डॉ गुरुदयाल प्रदीप प्रस्तुत कर रहे हैं
गरमा-गरम चाय की प्याली
*
प्रौद्योगिकी में
रवि शंकर श्रीवास्तव ढूँढ लाए हैं
 मरफ़ी के नियम

*
साहित्य समाचार में
*उन्नीसवाँ लघुकथा सम्मेलन पटना में *एस. आर. हरनोट को अकादमी पुरस्कार *नॉर्वे में विश्व हिंदी दिवस
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सप्ताह का विचार
'शि' का अर्थ है पापों का नाश करने वाला और 'व' कहते हैं मुक्ति देने वाले को। भोलेनाथ में ये दोनों गुण हैं इसलिए वे शिव कहलाते हैं। -ब्रह्मवैवर्त पुराण

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©  सर्वाधिका सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : दीपिका जोशी

 

 

 
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