इस सप्ताह शिवरात्रि
के अवसर पर—
समकालीन कहानियों के
अंतर्गत
यू.के.
से महावीर शर्मा
की कहानी वैलंटाइन दिवस
यह
क्या कह रही हो? वैलंटाइन डे के इस रोमांटिक अवसर पर सिनेमा, क्लब,
या फिर किसी फ़ाइव स्टार होटल में कैंडल लिट डिनर
की बात कीजिए, हुज़ूर!'' अभिनव ने भाविका की आँखों
में आँखें डाल कर मुस्कराते हुए कहा। भाविका ने अभिनव की आँखों
से अपनी आँखें हटाई नहीं। कहने लगी, 'अभिनव, मुझे इन
महफ़िलों, क्लब, सिनेमा और आबादी के शोर-शराबे से दूर किसी
जगह ले चलो जहाँ सारा दिन बस तुम हो, मैं हूँ,
चारों तरफ़ पत्थरों से टकराती हुई हवा का संगीत, स्वतंत्रता से उड़ते हुए पक्षियों
का चहचहाना। जब मैं तुम्हारे नाम को पुकारूँ तो पहाड़ियों
से टकराता हुआ वही नाम गूँजता हुआ हमारे पास लौट कर आ
जाए।'' अभिनव भी कुछ भावुक-सा हो गया।
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व्यंग्य
में
अनूप कुमार शुक्ल की कलम से
वनन में बागन में बगर्यो बसंत
. . . न न वैलेंटाइन है
नारद जी घाट-घाट का पानी पिया था। वे समझ गए कि विष्णुजी
'वैलेंटाइन डे' के किस्से
सुनना चाह रहे थे। लेकिन वे सारा काम थ्रू प्रापर चैनेल करना चाहते थे। लिहाज़ा वे
विष्णुजी को खुले खेत में ले गए जिसे वे प्रकृति की गोद भी कहा करते थे।
सरसों के खेत में तितलियाँ देश में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की तरह
मंडरा रहीं हैं। हर पौधा तितलियों को देखकर थरथरा रहा है। भौंरे भी
तितलियों के पीछे शोहदों की तरह मंडरा रहे हैं। आनंदातिरेक से लहराते
अलसी के फूलों को बासंती हवा दुलरा रही है। एक कोने में खिली गुलाब की
कली सबकी नज़र बचाकर पास के गबरू गेंदे के फूल पर पसर-सी गई है।
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घर परिवार में
पूर्णिमा वर्मन से जानें
वैलेंटाइन
दिवस- कुछ तथ्य कुछ आँकड़े
'कभी रोना
कभी हँसना, कभी हैरान हो रहना
मुहब्बत क्या भले चंगे को दीवाना बनाती है।'
- इस शेर को पढ़कर लगता है कि यह किसी ऐसे प्रेमी या प्रेमिका का चित्रण
है, जिसके पास 14 फरवरी की एक गुमनाम प्रेम उपहार आ पहुँचा है और वह उसके
भेजने वाले का पता नहीं लगा पा रहा है। लिखते समय शायर साहब के दिमाग़
में यह कल्पना भले ही न आई हो। अनाम प्रेम पत्र और प्रेम-उपहारों ने
अनोखे आँकड़े भी कायम किए हैं और भारत भी इसमें पीछे नहीं छूटा है। सबसे
महँगा प्रेम दिवस उपहार बड़ौदा के गायकवाड़ ने 14 फरवरी 1891 में अपनी
प्रेमिका को भेजा था जिसका मूल्य लगभग 47 हज़ार पौंड था।
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फुलवारी में बच्चों के लिए मौसम की जानकारी
वर्षा क्यों होती है
पानी के छोटे
छोटे कण आपस में मिलते हैं और इस तरह जब वे बड़े और भारी हो जाते हैं तो
वर्षा की बूँद बनकर धरती पर बरस जाते हैं। पानी
सदा गतिमान रहता है। यह समुद्र और नदियों से वाष्प बनकर ऊपर उठता है। इस
वाष्प से बादल बनते हैं। बादल से यह वर्षा के रूप में धरती पर गिर कर फिर से
नदी और समुद्र में मिल जाता है। एशिया में यूरोप की तरह बारहों महीने वर्षा
नहीं होती। मानसूनी हवाएँ वर्षा ऋतु लाती हैं और इसके बाद सर्दी और गर्मी की
ऋतुओं में वर्षा आमतौर पर बहुत ही कम होती है।
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रसोईघर में गृहलक्ष्मी प्रस्तुत कर रही हैं
दिलपसंद कुकीज़
घर
के बने मीठे बिस्कुटों का जवाब नहीं। स्वाद तो इनमें होता ही है घर
भी खुशबू से भर जाता है। लेकिन विशेष अवसरों पर बनाए जाने वाले
व्यंजनों में कुछ विशेष तो होता ही है। वैलेंटाइंस डे के अवसर पर
प्रस्तुत दिलपसंद कुकी में विशेष है इनका अवसर के अनुकूल आकर्षक
आकार, भुने हुए हैजलनट का अनूठा स्वाद, बादाम व वैनिला की खुशबू और
जैम के साथ बुरकी हुई चीनी की मन लुभा लेनेवाली अनोखी मिठास।
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-पिछले अंकों से-
कहानियों में
वैलेंटाइन दिवस-महावीर
शर्मा
क़सबे का
आदमी-कमलेश्वर
दिल्ली दूर है-किरन
अग्रवाल
अपूर्णा
- अलका सिन्हा
अंतरमन के रास्ते
-
शरद आलोक
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हास्य व्यंग्य में
वनन में बागन में-अनूप
कुमार शुक्ल
जनतंत्र-डॉ नरेंद्र कोहली
संभावनाएँ बहुत हैं...!-
गुरमीत बेदी
सेवा वंचित-डॉ नरेंद्र
कोहली
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दृष्टिकोण में
कमलेश्वर के पत्रकार स्वरूप
की झलक
प्रतिभा पलायन की
उलटी गंगा
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संस्मरण में
गंगा प्रसाद विमल
का आलेख
स्मृतिशेष कमलेश्वर
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श्रद्धांजलि में
भारत से महत्वपूर्ण व्यक्तियों
के
श्रद्धा-सुमन
कमलेश्वर के नाम
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मूल्यांकन में
कमलेश्वर
की
लेखन
यात्रा
पर
मैनेजर
पांडेय
लोक चेतना से संपन्न कथाकार
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विज्ञान वार्ता में
डॉ गुरुदयाल प्रदीप प्रस्तुत कर
रहे हैं
गरमा-गरम चाय की
प्याली
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प्रौद्योगिकी में
रवि शंकर श्रीवास्तव ढूँढ लाए हैं
मरफ़ी के नियम
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साहित्य समाचार में
*उन्नीसवाँ लघुकथा सम्मेलन पटना में *एस. आर. हरनोट को अकादमी पुरस्कार *नॉर्वे में विश्व हिंदी दिवस
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दृष्टिकोण
के अंतर्गत सिद्धेश्वर सिंह की उड़ान
गाँधीगिरी
के आश्चर्यलोक में
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साहित्यिक निबंध
में
दीप्ति गुप्ता द्वारा रेखाचित्र
गुलाब सिंह
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आज सिरहाने
महेश
मूलचंदानी का कविता संग्रह
कुत्ते की पूँछ
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