इस सप्ताह गणतंत्र दिवस के
अवसर पर—
समकालीन कहानियों में
भारत से किरन अग्रवाल की कहानी
दिल्ली दूर है
सिंगापुर
छोड़ते समय पंद्रह अगस्त को उस ने अपने सैनिकों से कहा- ''दिल्ली पहुँचने
के अनेक रास्ते हैं और दिल्ली अभी भी हमारा अंतिम लक्ष्य है।'' उस के बाद
ही वह सेगौन जाने वाले विमान पर सवार हो गया था। सेगौन में उसे
महत्वपूर्ण कार्य निबटाने थे, कुछ ऐतिहासिक निर्णय लेने थे। वहाँ पर ही
एक ख़ुफ़िया योजना के तहत वह एक लड़ाकू विमान में जा बैठा था, जिस की
मंज़िल अज्ञात थी। दूसरे दिन हवा में एक ही ख़बर थी और अख़बार की
सुर्खियों में वह लड़ाकू विमान पहाड़ियों के बीच कहीं दुघर्टनाग्रस्त हो
गया। उस में सवार यात्रियों में से कोई भी बचा होगा, इस की संभावना नगण्य
थी। तब उस का दूसरा जन्म हुआ- 'रमाकांत देशबंधु'।
*
हास्य व्यंग्य में
डॉ नरेंद्र
कोहली का
जनतंत्र—
भोलाराम
बहुत जल्दी में था। वह हाथ में डंडा और झंडा लिए भागा जा रहा था।
''कहाँ जा रहे हो भोलाराम?'' मैं ने पूछा।
''स्टेशन।''
''गाड़ी पकड़नी है?''
''नहीं रेलगाड़ी में आग लगाने जा रहा हूँ।''
''क्यों?'' मैं ने पूछा, ''बेचारी रेलगाड़ी ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है?
वैसे भी वह देश की संपत्ति है।''
''तो देश ने बिहार में हमारे दल की सरकार क्यों नहीं बनाई?'' वह बिगड़ कर
बोला, ''हमारी सरकार नहीं बनेगी तो हम देश में आग लगा देंगे।''
*
विज्ञान वार्ता में
डॉ गुरुदयाल प्रदीप प्रस्तुत कर
रहे हैं
गरमा-गरम चाय की
प्याली: आप के स्वास्थ्य के नाम
जी हाँ,
गरमा-गरम चाय की एक प्याली वह भी आज कल सर्दियों के मौसम में. . .
क्या कहना! सर्दियों में ही क्यों? यह तो शाश्वत पेय है, साल
के बारहों महीने कभी भी पीजिए, उसका मज़ा एक जैसा रहता है। मज़े की
छोड़िए, चाय का हमारे स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं पर भी तात्कालिक
एवं दूरगामी प्रभाव पड़ता है, वह भी अधिकतर अच्छे रूप में। यह हम
नहीं, वैज्ञानिक शोध कहते हैं। यही कारण है कि विज्ञान वार्ता के इस
अंक में चाय पर चर्चा की जा रही है। आख़िर, जब सवाल आप के स्वास्थ्य
का हो तो हम पीछे कैसे रह सकते हैं? स्वास्थ्य तो विज्ञान का
महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।
*
प्रौद्योगिकी में
रवि शंकर श्रीवास्तव ढूँढ लाए हैं
मरफ़ी के नियम
ये
मरफ़ी महोदय कौन हैं? और इन के
नियम इतने विचित्र किंतु सत्य क्यों हैं? मरफ़ी का सब से पहला नियम
है - "यदि कुछ ग़लत हो सकता है, तो वह होगा ही"। कुछ का कयास है कि
यह नियम एडवर्ड एयरफ़ोर्स के नॉर्थ बेस में सन 1949 में अस्तित्व में
आया। यह नियम वहाँ पदस्थ कैप्टन एडवर्ड ए मरफ़ी के नाम पर
प्रसिद्ध हुआ। दरअसल, कैप्टन इंजीनियर मरफ़ी महोदय ने एयर फ़ोर्स में
एक परियोजना के तहत जाँच प्रणाली में पाया कि एक ट्रांसड्यूसर की
वायरिंग ग़लत तरीके से की गई थी। उसे देखते ही मरफ़ी महोदय के मुँह
से बेसाख़्ता निकला - "यदि किसी काम को ग़लत करने के तरीके होते हैं,
तो लोग उसे ढूंढ ही लेते हैं।"
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साहित्य समाचार में
विश्व के
हर कोने से इस माह के
नए साहित्य समाचार
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कविताओं में अनिल
जनविजय, गीतों में जगदीश श्रीवास्तव, क्षणिकाओं में सजीवन मयंक और नई
हवा में अमित कुमार सिंह |
ताज़ा हिंदी चिट्ठों के सारांश
नारद से |
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कहानियों में
अपूर्णा
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अंतरमन के रास्ते
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में बंद तोते-विपिन
जैन
सही पते पर- सूरज
प्रकाश
इच्छामृत्यु- नरेन्द्र मौर्य
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हास्य व्यंग्य में
संभावनाएँ बहुत हैं...!-
गुरमीत बेदी
सेवा वंचित-डॉ नरेंद्र
कोहली
नया साल मुबारक-
अमृत राय
नेता जी की नरक यात्रा-
गिरीश पंकज
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दृष्टिकोण
के अंतर्गत सिद्धेश्वर सिंह की उड़ान
गाँधीगिरी
के आश्चर्यलोक में
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साहित्यिक निबंध
में
दीप्ति गुप्ता द्वारा रेखाचित्र
गुलाब सिंह
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आज सिरहाने
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मूलचंदानी का कविता संग्रह
कुत्ते की पूँछ
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घर परिवार में
भावना कुँअर का आलेख
सर्दियों में सर्दी
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फुलवारी में
बच्चों के लिए मौसम की जानकारी
बादल कैसे बनते हैं
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साहित्यिक निबंध में
डा जगदीश व्योम की पड़ताल
हिंदी कविता में नया साल
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धारावाहिक में
डॉ
अशोक चक्रधर के विदेश
यात्रा-संस्मरण
ये शब्द मुँह
से मत निकालिए!
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पर्व परिचय में
सरोज मित्तल से मजेदार जानकारी
देश विदेश में क्रिसमस
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