लेखकों
से |
पिछले
सप्ताह
° प्रकृति और
पर्यावरण में ° संस्मरण में °
मौसम के विषय में जानकारी की बातें जलवायु °
भारत से मनमोहन सरल की कहानी पानी सावित्री ने
ऐसे रो हाउस पहली बार इंग्लैंड में देखे थे। उसे एक बार
भाटिया साहब अपने साथ विदेश ले गए थे। लंदन के एक
दूरदराज के उपनगर सिटिंगबोर्न में विद्यार्थी जीवन का
उनका एक दोस्त रहता था। उसी के घर ठहरे थे वे दोनों। ऐसे
घर को रो हाउस कहते हैं, बताया था भाटिया साहब ने। पर
वे सभी घर बहुत साफ़ और खूबसूरत थे। लॉन की घास भी
खूब हरी थी और लॉन में पानी देने का एक फव्वारासा था
जिसे स्प्रिंकलर कहते थे वे लोग। जब पानी की टोंटी खोल
दी जाती तो वह फव्वारा नाचने लगता था और नाचनाच कर
लॉन की घास को सींचता था। सावित्री को वह बहुत अच्छा
लगता और वह जितनी देर भी वहां रही, खाली वक्त निकाल कर
उसे नाचते हुए देखती रही थी। |
इस
सप्ताह
वह ब़डा उदास था। थोड़ी देर पहले ही उसे तार मिला था, उसके भतीजे की मृत्यु हो गई थी। जवान भतीजा खूब तंदुरूस्त, अच्छा ऊंचा पूरा, नाक के नीचे स्याह रेखाएं बहुत स्पष्ट दिखने लगीं थीं, डूब कर मर गया। ऐसी कोई बात नहीं थी कि जान-बूझ कर या किसी मजबूरी की वजह से कुछ कर बैठा हो। बड़ी मस्त तबीयत का था। किसे मालूम था जाकर वापस नहीं लौटेगा! सहसा विश्वास नहीं हुआ कि हितेन मर गया है। अभी कुछ दिन पहले ही तो उसके पास आया था। एक हफ्ते साथ-साथ रहे थे दोनों। उम्र में भी तो कोई ख़ास अंतर नहीं था। घर में कोई उसके सबसे निकट था तो बस हितेन ही। भतीजे से अधिक दोस्त था वह उसका। °
हास्य व्यंग्य में ° महानगर
की कहानियों में ° पर्व परिचय में °
रसोईघर में
|
° पिछले अंकों से °
कहानियों में
हास्य व्यंग्य में ° प्रौद्योगिकी
में फिल्म
इल्म में साहित्य
समाचार में
साहित्यिक
निबंध में
ललित
निबंध में दृष्टिकोण
में |
आज सिरहाने।उपन्यास।उपहार।कहानियां।कला दीर्घा।कविताएं।गौरवगाथा।पुराने अंक।नगरनामा।रचना
प्रसंग।पर्व
पंचांग
|
||
|