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१. ९. २००

 

पिछले सप्ताह

 

इस सप्ताह

 

अनुभूति में

 

हास्य व्यंग्य में
डा नरेन्द्र कोहली की रचना
नया साल मुबारक हो

°

दृष्टिकोण में
रामेश्वर दयाल कांबोज हिमांशु का आलेख
नये साल में संकल्प लें

°

पर्व परिचय में
दीपिका जोशी का आलेख
देश देश में नववर्ष

°

फुलवारी में
देश देशांतर के अंतर्गत यू के फ्रांस जर्मनी
और शिल्प कोना में
नये साल का कलेंडर

°

कहानियों में
यू के से तेजेन्द्र शर्मा की कहानी
पासपोर्ट के रंग

मजबूरी तो इंग्लैंड आना भी थी। लेकिन यह मजबूरी बिछड़ने की नहीं, मिलने की थी, साथ रहने की थी। पत्नी की मृत्यु के बाद का अकेलापन, किसी अपने के साथ रहने की चाह और इकलौता पुत्र। यही सब गोपालदास जी को लंदन ले आया था। बेटी विवाह के बाद अमरीका में है और बेटा इंग्लैंड – बेचारे गोपालदास जी अकेले फरीदाबाद में अपनी बड़ी सी कोठी में कमरे गिनते रहते। अधिकतर रिश्तेदार दिल्ली में। अब तो फरीदाबाद से दिल्ली जाने में भी शरीर नाराज़गी ज़ाहिर करने लगता था। ऐसे में ज़ाहिर सी बात है कि इंद्रेश ने अपने पिता की एक नहीं सुनी और उन्हें लंदन ले आया था।

कहानियों में
भारत से राजनारायण बोहरे की कहानी
बाज़ार बाज़ार

"सर कभी आपने सोचा कि एक सपना होगा आपका भी, कि आपके पास खूब सारा पैसा हो!  . . .बड़ा सा बंगला हो! . . .शानदार कार हो! भाभी के पास ढेर सारे जेवर हों! आपके बच्चे ऊंचे स्कूल में पढ़ने जाएँ! आप लोग भी फ़ॉरेन टूर पर जाएं! यानी कि आपके पास वे सारी सुख–सुविधाएं हों जो एक आदमी के जीवन को चैन से गुज़ारने के लिए ज़रूरी हैं। लेकिन आप लोग मन मसोस के रह जाते हैं, क्योंकि आपके सामने वैकल्पिक रूप में अपनी इतनी बड़ी इच्छाएं पूरी करने के लिए कोई साधन नहीं हैं। छोटी–मोटी एजेंसी या नौकरी से यह काम कभी पूरे नहीं होंगे– हैं न! एम आय राईट?"
°

सामयिकी में
सन २००६ के पर्वों की जानकारी के लिए
पर्व पंचांग
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हास्य व्यंग्य में
रामेश्वर दयाल कांबोज की रचना
शकुनी मामा
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मंच मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में
रेल में चलता है पर इतना
नहीं चलता

°

रसोईघर  में
माइक्रोवेव अवन में तैयार करें
भरवाँ टमाटर

सप्ताह का विचार
मनुष्य मन की शक्तियों के बादशाह हैं। संसार की समस्त शक्तियां उनके सामने नतमस्तक हैं। —अज्ञात


हाइकु महोत्सव में
तरह तरह के हाइकु, साथ में देश विदेश के ढेर से 
हिंदी हाइकुकारों
का वृहत मेला

–  पिछले अंकों से –

कहानियों में
पापा तुम कहाँ हो– अलका प्रमोद
गर्म कोट– राजेन्द्रसिंह बेदी
संदेसे आते हैं– सुषमा जगमोहन
रिश्ते– उषा वर्मा
बहाने से– संजय विद्रोही
मणिया– अमृता प्रीतम
°
हास्य व्यंग्य में
काश दिल घुटने में होता– राजर्षि अरूण
किलर इंस्टिंक्ट– महेश चंद्र द्विवेदी

कुते की आत्मा– विनय कुमार
शोषण के विरुद्ध– डा नरेन्द्र कोहली
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प्रौद्योगिकी में
रविशंकर श्रीवास्तव का आलेख
डिजिटल पेन
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विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप की सम्यक चेतावनी
गरमाती धरती और लापरवाह हम
°
प्रकृति और पर्यावरण में
गुरमीत बेदी बता रहे हैं कि एकदिन
हवा हो जाएंगी चिड़ियां
°
नगरनामा में
पराग कुमार मांदले का उज्जैन
करोगे याद तो . . . 
°
संस्मरण में
नीरजा द्विवेदी की कलम से
वह कौन थी
°
आज सिरहाने
डा सुरेश चंद्र शुक्ल द्वारा संपादित संकलन
प्रवासी कहानियाँ

आज सिरहानेउपन्यास उपहार कहानियाँ कला दीर्घा कविताएँ गौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा रचना प्रसंग पर्व पंचांग घर–परिवार दो पल
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प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन  सहयोग : दीपिका जोशी
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