पिछले
सप्ताह
हास्य
व्यंग्य में
डा नवीन चंद्र लोहनी का
मुक्त
मुक्त का दौर
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रचना
प्रसंग में
आर पी शर्मा 'महर्षि' के धारावाहिक 'ग़ज़ल लिखते समय' का
पांचवां भाग
छंद
विचार2
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साहित्यिक
निबंध में
भारतेन्दु मिश्र का आलेख
दोहे
की वापसी
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आज
सिरहाने
कुसुम अंसल का उपन्यास
तापसी
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कहानियों में
भारत से सुदर्शन प्रियदर्शिनी की कहानी
संदर्भहीन
छाया सोचती है दिन भर . .
.क्या वह अपने लिए जीती है? कभी घर के कल्याण के लिए
मंत्र जाप करती है तो कभी पति को बस में करने के। कभी
सरस्वती की साधना के, तो कभी सर्वे भवंतु सुखिनः
और कभी संबंधों के संशय को दूर भगाने के लिए,
तो यह सब वह क्यों नहीं करती है? किसलिए? जब
सभी संबंध नकारे जा सकते हैं तो वही क्यों
संबंधों को ढोएढोए चलती रहे? वही क्यों भावुक
होती रहे? सचमुच संबंध नितांत खोखले हो चुके
हैं। एक निरर्थकता एक असमर्थता . . .मात्र रह गए हैं।
पर आदमी जिए कैसे? स्वयं अपने को संतुष्ट करे कैसे?
परिवेश के बिना वो कैसे विकसित हो?
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इस
सप्ताह
कहानियों में
ऑस्ट्रिया से राकेश त्यागी की कहानी
लॉटरी
अगले दिन
अख़बार में छपा महिलाओं ने लॉटरी के ख़िलाफ़ जलूस निकाला, जिलाधिकारी का घेराव किया
और जबतक जिलाधिकारी
ने ज़िले से लॉटरी ख़त्म करने का आश्वासन नहीं दे
दिया, घेराव समाप्त नहीं किया गया।
विशाल को पढ़कर शांति मिली। उसने सोचा जनता ऐसे ही जागरूक होकर सामाजिक कुरीतियों के
ख़िलाफ़ खड़ी हो जाए तो काफ़ी सुधार हो जाएं।
एक बात और उसके दिमाग़ में आई चाहे लॉटरी हो या
शराबबंदी पहाड़ में हमेशा महिलाओं को ही
मोर्चा संभालना पड़ता है, वनों को बचाने के लिए चिपकोआंदोलन भी महिलाओं
ने ही शुरू किया था। ऐसा क्यों?
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सामयिकी में
डा जगदीश व्योम का संस्मरण
स्मृतिशेष
डा उर्मिलेश
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रचना
प्रसंग में
आर पी शर्मा 'महर्षि' के धारावाहिक 'ग़ज़ल लिखते समय' का
छठा भाग
छंद
विचार3
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हास्य
व्यंग्य में
अगस्त्य कोहली का आलेख
सांस्कृतिक
विरासत
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प्रौद्योगिकी
में
रविशंकर श्रीवास्तव का
स्नेहपूर्ण निमंत्रण
चलो
चिट्टा लिखें
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सप्ताह का विचार
जैसे सूर्योदय के होते
ही अंधकार दूर हो जाता है वैसे ही मन की प्रसन्नता से
सारी बाधाएं शांत हो जाती हैं।
अमृतलाल नागर
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अनुभूति
में
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अंजुमन, पाठकनामा और कविताओं में 20 नयी काव्य
रचनाएं
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° पिछले अंकों
से °
कहानियों में
रोशनी
का टुकड़ाअभिनव शुक्ल
ओ
रे चिरूंगन मेरेमीना काकोडकर
खालविनीता अग्रवाल
बहुरि अकेला मालती जोशी
वापसीसुरेशचंद्र शुक्ल
हीरोसूर्यबाला
°
हास्य
व्यंग्य में
फंदाडा नरेन्द्र कोहली
कौन
किसका बापमहेशचंद्र द्विवेदी
ट्यूशन
पुराणरामेश्वर काम्बोज
'हिमांशु'
हमारी साहित्य गोष्ठियांविजय ठाकुर
°
मंच
मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में
सौ सवा सौ
साल पहले
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रचना
प्रसंग में
आर पी शर्मा 'महर्षि' के धारावाहिक 'ग़ज़ल लिखते समय' का
चौथा भाग
छंद
विचार1
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बड़ी
सड़क की तेज़ गली में
अतुल अरोरा के साथ
अटलांटा के
अलबेले रंग
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रसोईघर
में
पुलावों की सूची में एक नया
व्यंजन
कश्मीरी
पुलाव
°
प्रकृति और
पर्यावरण में
राजेंद्र प्रसाद सिंह का आलेख
भोजपुरी
में नीम, आम और जामुन
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फुलवारी
में
आविष्कारों
की कहानी में : वायुयान
और शिल्पकोना में
मां
के लिए सपनों का नगर
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