अनुभूति

16. 5. 2005

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पिछले सप्ताह

मंच मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में 
सौ सवा सौ साल पहले

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रचना प्रसंग में
आर पी शर्मा 'महर्षि' के धारावाहिक 'ग़ज़ल लिखते समय' का चौथा भाग
छंद विचार–1

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बड़ी सड़क की तेज़ गली में
अतुल अरोरा के साथ
अटलांटा के अलबेले रंग

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रसोईघर में
पुलावों की सूची में एक नया व्यंजन
कश्मीरी पुलाव

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कहानियों में
भारत से अभिनव शुक्ल की कहानी
रोशनी का टुकड़ा

सूरज की किरणें आकाश में अपने पंख पसार चुकी थीं। एक किरण खिड़की पर पड़े टाट के परदे को छकाती हुई कमरे के भीतर आ गई और सामने की दीवार पर एक छोटे से सूरज की भांति चमकने लगी। लाल रंग की बदरंग दीवार अपने उखड़ते हुए प्लास्टर को संभालती हुई उस किरण का स्वागत कर रही थी। बिस्तर पर पड़े–पड़े अनिमेष नें अपनी आंखें खोल कर एक बार उस किरण की ओर देखा और फिर आंखें मूंद कर उस अधूरे सपने की कड़ियों को पूरा करने की उधेड़बुन में जुट गया जिसे वह पिछले काफ़ी समय से देख रहा था। पर सपना था कि अपनी पिछली कड़ियों से जुड़ ही नहीं पा रहा था।

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इस सप्ताह

कहानियों में
यू एस ए से सुदर्शन प्रियदर्शिनी की कहानी
संदर्भहीन

छाया सोचती है दिन भर . . .क्या वह अपने लिए जीती है? कभी घर के कल्याण के लिए मंत्र जाप करती है तो कभी पति को बस में करने के। कभी सरस्वती की साधना के, तो कभी सर्वे भवंतु सुखिनः और कभी संबंधों के संशय को दूर भगाने के लिए, तो यह सब वह क्यों नहीं करती है? किसलिए? जब सभी संबंध नकारे जा सकते हैं तो वही क्यों संबंधों को ढोए–ढोए चलती रहे? वही क्यों भावुक होती रहे? सचमुच संबंध नितांत खोखले हो चुके हैं। एक निरर्थकता – एक असमर्थता . . .मात्र रह गए हैं। पर आदमी जिए कैसे? स्वयं अपने को संतुष्ट करे कैसे? परिवेश के बिना वो कैसे विकसित हो?

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हास्य व्यंग्य में
डा नवीन चंद्र लोहनी का 
मुक्त मुक्त का दौर

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रचना प्रसंग में
आर पी शर्मा 'महर्षि' के धारावाहिक 'ग़ज़ल लिखते समय' का पांचवां भाग
छंद विचार–2

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साहित्यिक निबंध में
भारतेन्दु मिश्र का आलेख
दोहे की वापसी

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आज सिरहाने
कुसुम अंसल का उपन्यास
तापसी
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!सप्ताह का विचार!
वि
नय के बिना और अभिमान के साथ किया गया तप व्यर्थ ही होता है।
!— वेदव्यास!

 

अनुभूति में

प्रेम कविताएं
क्षणिकाएं, हाइकु व अन्य रचनाओं में 27 से अधिक नई कविताएं

कथा यू के सम्मान घोषित

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में
ओ रे चिरूंगन मेरे–मीना काकोडकर 
खाल–विनीता अग्रवाल
बहुरि अकेला –मालती जोशी
वापसी–सुरेशचंद्र शुक्ल
हीरो–सूर्यबाला
यादों की अनुभूतियां–कमला सरूप
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हास्य व्यंग्य में
फंदा–डा नरेन्द्र कोहली
कौन किसका बाप–महेशचंद्र द्विवेदी
ट्यूशन पुराण–रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
हमारी साहित्य गोष्ठियां–विजय ठाकुर
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रचना प्रसंग में
आर पी शर्मा 'महर्षि' के धारावाहिक 'ग़ज़ल लिखते समय' का तीसरा भाग
अंदाज़े बयां

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प्रकृति और पर्यावरण में
राजेंद्र प्रसाद सिंह का आलेख
भोजपुरी में नीम, आम और जामुन

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फुलवारी में
आविष्कारों की कहानी में : वायुयान
और शिल्पकोना में
मां के लिए सपनों का नगर

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प्रौद्योगिकी में
विजय प्रभाकर कुंबले द्वारा जानकारी
मशीनी अनुवाद

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विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप का नया लेख
रोबॉट्स और अंतरिक्ष की खोज

 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना   परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन 
 सहयोग : दीपिका जोशी
फ़ौंट सहयोग :प्रबुद्ध कालिया

 

 

 
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