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पिछले सप्ताह
सामयिकी
में
14 नवंबर बाल दिवस के अवसर
पर
हेमंत शुक्ला का आलेख
बाल फिल्मों के प्रेरणास्रोत
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ललित
निबंध में
गोविंद कुमार गुंजन का आलेख
एक
फूल खिलना चाहता है
° हास्य
व्यंग्य में
महेश चंद्र द्विवेदी का
व्यंग्य लेख
मुफ्त
को चंदन
घिस मेरे नंदन ° आज
सिरहाने में
अमरीक सिंह दीप के विचार
मैत्रेयी पुष्पा के उन्यास
कस्तूरी कुण्डल बसै
के विषय में °
कहानियों
में
यू एस ए से सुषम बेदी की
कहानी
संगीत
पार्टी
अचला को खुद गाने का
बहुत शौक था। कभी उसने सिनेतारिका बनने के सपने देखे थे अब
सिनेमा के गानों से ही दिल बहला लेती थी। यूं गाती तो वह
बहुत मामूली थी। बल्कि लगभग बेसुरा ही गाती पर इस महफिल
में फिर भी उसे सुनने वाले मिल जाते जो यह भी कह देते कि
"आज तो आपने पहले से बहुत अच्छा गाया है" और अचला
को तसल्ली हो जाती कि वह अब बेहतर गाने लगी है और अगली
पार्टी के लिये वह किसी न किसी नये गाने का खूब रियाज़ करती।
उसने एक बिजली का बाज़ा खरीद रखा था जिसमें लगभग उन सभी
पुराने फिल्मी गीतों की धुनें उसने भरवा रखी थी जिनको वह
गाना जानती थी।
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इस
सप्ताह
कहानियों
में
भारत से अलका प्रमोद की
कहानी
दंश
जब पहुंची तो ऋतिका श्री वर्मा की
बाहों में अधलेटी सी सांस लेने का कठिन प्रयास कर रही थी। उसकी
विवश आंखों में मुझे देख कर याचना उभर आई मानो कह रही हो
कि 'डॉक्टर मुझे बचा लो, मैं जीना चाहती हूं' वर्मा जी भी
मुझे देख कर आशान्वित हो उठे। मैं उन्हें क्या बताती कि स्थिति मेरे
वश से बाहर हो चुकी है, परिणाम जानते हुए भी प्रयास तो करना
ही था, मन में कहीं एक झूठी सी आस थी कि क्या पता कोई चमत्कार
ही हो जाए। कैसी विडम्बना थी कि अभी सप्ताह भर पूर्व ही जिस ऋतिका
की उत्साह से पूर्ण वाणी इस घर में विवाह की शहनाई से एकमय हो
कर गूंज रही थी वह आज निष्प्राण सी पड़ी जीवन से जूझ रही थी।
मैं अपने विचारों को झटक कर कर्तव्य पूर्ति में व्यस्त हो गई।
° परिक्रमा
में
लंदन
पाती के अंतर्गत
शैल अग्रवाल का आलेख
मानदंड
° विज्ञान
वार्ता में
गुरूदयाल प्रदीप का आलेख
आधी
दुनिया के पक्ष में ° प्रौद्योगिकी
में
विजय प्रभाकर कांबले का आलेख
भारतीय
भाषाओं में कंप्यूटर
और विश्वजाल का विकास ° उपहार
में
जन्मदिन के लिये उपयुक्त एक नयी
कविता जावा आलेख के साथ
चाय
हो जाए °
सप्ताह का विचार
विद्या,
शूरवीरता, दक्षता, बल और
धैर्य ये पांच मनुष्य के स्वाभाविक
मित्र हैं। बुद्धिमान लोग सदा
इनके सहवास में रहते हैं।
वेदव्यास |
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अनुभूति
में
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भारत और
यू एस ए से
तीन विशिष्ट हिन्दी कवियों की
16 नयी कविताएं
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पिछले अंकों से°
कहानियों
में
फ़र्क़विनोद विप्लव
पाषाण पिंडविनीता अग्रवाल
कांसे
का गिलाससुधा अरोड़ा
चयनराम गुप्ता
दिये की लौशैल अग्रवाल
°
संस्मरण में
सुप्रसिद्ध लेखिका मन्नू भंडारी की
डायरी से
दो चेहरे
°
कलादीर्घा
में
कला और कलाकार के अंतर्गत
रसिक
रावल से परिचय
उनके चित्रों के साथ
°
साक्षात्कार
में
दिल्ली की जानी मानी फोटोग्राफर
सर्वेश
के साथ बातचीत
तस्वीरें
बोलती हैं
°
फुलवारी
में
पूर्णिमा वर्मन की कहानी
लाल
गुब्बारा
और 'जंगलकेपशु'
लेखमाला के
अंतर्गत जानकारी बाघ
°
धारावाहिक
में
कृष्ण
बिहारी की आत्मकथा का
अगला भाग
असुरक्षा
बोध बहुत
ख़तरनाक होता है
°
परिक्रमा
में
दिल्ली दरबार के अंतर्गत
बृजेशकुमार शुक्ला का आलेख
प्रिंसेज़
डायना की प्रतिकृति
और
मेलबर्न की महक के अंतर्गत
आस्ट्रेलिया की हिन्दी गतिविधियों को अभिव्यक्ति पर प्रस्तुत कर रहे
हैं
हरिहर झा
साहित्य
संध्या में
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