कथा
महोत्सव
२००२
प्रवासी हिन्दी लेखकों की कहानियों के
संकलन वतन
से दूर में प्रस्तुत है
यू के से गौतम सचदेव की कहानी
आकाश की बेटी
दस
वर्षों से साधना व्हील चेयर से बँधा जीवन व्यतीत कर रही है। इन दस
वर्षों में एक बार फिर तलाक हुआ और सम्पत्ति को लेकर भी तू–तू
मैं–मैं हुई। आखिर यह मकान साधना के हिस्से आया और जगदीश लाल
किरायेदार के स्थान पर साधना का सब कुछ हो गया। बैठे–बैठे साधना
सोच रही थी, मुझे मुसीबत समझकर आज अगर जगदीश लाल भी साथ छोड़ दे,
तो मेरा क्या होगा?
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कुवैत से दीपिका जोशी की कहानी
सदाफूली
दिन
के पंछी उड़ते देर तो लगती नहीं, दो महीने बीत गये . . .आज कल
तृष्णा ज्यादा नज़र नहीं आती थी। वासंती भी थोड़ी अलग– थलग रहने
लगी थी। राजन से इस का जिक्र तो नहीं किया लेकिन यह बात जुही को
खलती जरूर थी।
अगले अंक में यू एस ए से सुषम बेदी की कहानी अवसान
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क्षितिज पर उड़ती
स्कार्लेट आयबिस
त्रिनिडाड से प्रेम जनमेजय
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यों ही चलते हुए
यू ए ई से पूर्णिमा वर्मन
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रौनी
यू के उषा वर्मा की कहानी
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मंजिल के करीब
नार्वे से सुरेशचंद्र
शुक्ल 'शरद आलोक'
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जड़ों से कटने पर
यू ए ई से कृष्ण बिहारी
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वापसी
यू के से शैल अग्रवाल
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उपलब्धियाँ
यू एस ए से
सुरेन्द्रनाथ तिवारी
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अनजाना सफर
कनाडा से अश्विन गांधी1ा
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