चित्र सूची
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न कोई महँगा
कैमरा, ना कोई फोटोग्राफी का बड़ा अभ्यास, फिर भी निकल पड़ा
सफर को, कुदरत निहारने और हो सके तो फिल्म पर उतारने।
पिछली साल जब मुम्बई गया, स्नेहीजनों के बहुत फोटो खींचे थे।
वैसे तो लोग अपनी फोटो देखकर खुश होते हैं, अगर अच्छी आयी तो।
कभी कभी फ्रेम में लगा देते हैं, कभी कभी अलबम बन जाता है। मगर
इस जालिम जमाने की रफ्तार में, फोटो की हालत होती है- कोई यहाँ
गिरा, कोई वहाँ गिरा।
सोचा इस बार कि मैं कुदरत से ज्यादा स्नेह कर लूँ। सोचा इस बार
कि मैं कम्प्यूटर से ज्यादा प्यार कर लूँ। फोटो खींचू कुदरत के
और जीवन की रफ्तार के और लगा दूँ कम्प्यूटर पर। जो भी जब जहाँ
से भी चाहे, निहार लेगा।
मुम्बई और कुदरत? दरिया के किनारे बसा हुआ मुम्बई। इतना बड़ा
शहर जहाँ से अनगिनत आदमी जिंदगी की दौड़ में, जहाँ धुआँ ही
धुआँ ज़मी से उठा हुआ, इन्सान के फेंफड़ों से घुलता हुआ, आकाश
को छूता हुआ।
क्या कुदरत यहाँ अपना रंग दिखायेगी?
आसानी से तो नहीं। सुबह चार बजे अँधेरे में उठो, दरिया के
किनारे या घने जंगल में या पहाड़ी की ऊँचाई पर पहुँच जाओ, शायद
कुदरत से मिलाप हो जाए।
यही रही मेरी कोशिश...
शायद कुछ न कुछ किसी न किसी को छू ले। |