नया करिश्मा
अजीबो
गरीब करिश्मों की भूमि भारत में इस बार एक और नया
करिश्मा देखने में आया। उत्तर प्रदेश की आधी से ज्यादा
आबादी पर मुँहनोचवा का आतंक इस कदर हावी रहा कि लोगो
के दिन का चैन और रात की नींद उड़ गयी। भीषण गर्मी में
बिजली की कटौती के बावजूद भी लोगो ने रात में
खुली छत पर लेटना बन्द कर दिया और कमरे की खिडकी
दरवाजा बन्द करके ही सोने को मजबूर हो गए।
आतंक का पर्याय बन
रहस्यमय हमलावर ने जिन लोगो का मुँहनोचा है या फिर
पैने ब्लेडों से घायल किया है, उसे किसी चौकोर डिब्बे
जैसी वस्तु बताया जाता है जिसकी लाल हरी जलती बुझती
बत्तियां, सनसाहट के साथ बचाओ बचाओ की निकलती आवाज तथा
छू जाने या पकडने पर तीव्र बिजली का झटका महसूस होता
है। वह हमला मुँह पर ही करे ऐसा भी नही है। शरीर के
किसी भी खुले हिस्से पर कर देता है चाहे वह पैर हो या
हाथ या गर्दन।
काबिले गौर है कि
मुँहनोचवा के आकार प्रकार और गतिविधियों के बारे में
हर जिले के भुक्त भोगियों का बयान कमोवेश एक समान है।
मुँहनोचवे से मिर्जापुर, जौनपुर, वाराणसी रायबरेली तथा
सीतापुर में अनेको लोगो की मौत हो गयी है। हालांकि
प्रशासन इन मौतो का कारण मुँहनोचवा को अभी भी नही मान
रहा, पर जिन परिवारों पर यह आपदा आयी उन्होने तो
मुँहनोचवा को ही जिम्मेदार बताया है ।
मिर्जापुर के जिलाधिकारी का कहना था कि उन्होने भी इस
रहस्यमय हमलावर को देखा है। उनकी रिपोर्ट पर ही शासन
ने आई आई टी कानपुर के वैज्ञानिको की एक टीम को इस
रहस्यमय आतंक के रहस्य का खुलासा करने के लिये तैनात
किया, इन वैज्ञानिको ने इसे यन्त्र कहे जाने की बात
खारिज करते हुये इसे 'बाल लाइटिंग' का प्रभाव माना है।
मिर्जापुर की पुलिस
प्रशासन बाकायदा इस रहस्यमय हमलावर की वीडियो
फोटोग्राफी करायी जिसमे आंखो को चुधिया देने वाली तेज
रोशनी छोटे बडे आकार मे दिखती है। बहुत से घायलों का न
केवल मुँह नोचा गया अपितु तेज आग से जलने के निशान भी
उनके शरीर पर देखे गये। गांव में लोग समूह बनाकर रात
भर पहरेदारी करते हैं।
सडकों, गलियों व
चौराहों पर मुँहनोचवा की ही चर्चा फैली हुयी है। उसका
इतना शोर बढ गया कि अमेरिका के तकनीकी विशेषज्ञों की
एक टीम इस रहस्य को बेपर्दा करने मिर्जापुर के अंचल
में पहुँच गयी। मुँहनोचवा की बढती हुयी दहशत से
प्रशासन और पुलिस अधिकारियों को सतर्कता बरतने के
कहा गया है।
वैज्ञानिको की टीम इस
रहस्यमय आपदा की गुत्थी सुलझाने में उलझी हुयी है वह
इसे आवेशित धूल मानते है इसका न तो कोई सबूत है न ही
यह लोगो के गले उतरता है। उनका मत है कि तापमान बढने
और नमी खत्म होने से उर्जा के कण गर्म हो गये हैं
इसलिये उनके सम्पर्क में आने वाले लोग जल जाते हैं।
अज्ञानवश लोगो ने इन कणो को मुँहनोचवा का नाम दिया है।
किन्तु जबतक कोई आधार
पूर्ण तथ्य खुलकर सामने नही आता तब तक ' जितने मुँह
उतनी बाते'।
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आखिरकार
राष्ट्रीय जनता गठबंधन (राजग) सरकार ने
राजनीतिक बिसात में बिछी हुयी गोटियों को अपने मन
माफिक सजाने में आशातीत सफलता प्राप्त कर ली।
उपराष्ट्रपति के प्रत्याशी भैरोसिंह शेखावत ने
संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार सुशील कुमार शिन्दे
को अनुमान से भी ज्यादा मतों से पराजित कर
उपराष्ट्रपति की कुर्सी पर काबिज हुये।
भैरोसिंह शेखावत
अत्यन्त संतुलित व्यक्तित्व के स्वामी है पिछले
पचास वर्षो के राजनीतिक जीवन मे ज्यादातर समय
राजसभा, विधान सभा में बिताया है। तीन बार
राजस्थान के मुख्यमन्त्री रह चुके उपराष्ट्रपति
बनने से पूर्व राजस्थान मे नेता प्रतिपक्ष की
भूमिका का निर्वहन कर रहे थे। राजग सरकार के सबसे
बड़े घटक भाजपा द्वारा अपने एक कार्यकर्ता को
उपराष्ट्रपति की कुर्सी पर आसीन कराना निश्चित रूप
से बहुत बडी उपलब्धि है।
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पटना की सड़को को हेमामालिनी के गाल की तरह चिकना
बनाने की बात करने वाले राजद नेता लालू १९९० से अब
तक अपना राजनीतिक साम्राज्य सब कुछ मजाक में ही
बिताया। अपनी इसी ठेठ गंवई शैली से वोट का पहाड
खडा कर पाना उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि रही पर इसी
शैली ने इन्हे राजनीतिक विदूषक के रूप में
प्रतिस्थापित भी किया।
लेकिन वे बदनामी
में भी नाम वाली किस्मत के मालिक रहे। अब जब
“रामखेलावन सी एम एन फैमिली” टीवी सीरियल इनकी
इन्ही अदाओं को परिवार के संग दिखाना शुरू किया तो
लालू प्रसाद खासे नाराज हैं। असल में अब
जाकर उनकी मसखरी का ढीकरा उन्हीं के सिर फूटा है।
हांलाकि न्यायपालिका ने उनके मर्मस्थल में उपजे
दर्द को समझा एवं उनकी अपील पर इस सीरियल के
प्रर्दशन पर फिलहाल रोक लगा दी है।
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कश्मीर में
होने वाले आगामी विधान सभा के चुनाव को लेकर
पाकिस्तान की नींद हराम हो गयी है,वहीं कश्मीरी
आवाम चुनाव को लेकर काफी उत्साहित है।आतंकी संगीनो
के साये से दहसतजदा कश्मीर में ‘बुलेटस पर
भारी पडती बैलेटस की दस्तक’ बखूबी सुनायी देने लगी
है।
लखनऊ
निवासी ‘मैगसे अवार्ड विजेता संदीप पान्डे अपनी
अमेरिका विरोधी नीतियों के कारण आलोचनाओं के
केन्द्र में आ गये तथा मनीला से प्रकाशित समाचार
पत्र की दी गयी चुनौती को स्वीकार करते हुये
५०,००० डालर की इनामी राशि को वापस करके
अपने सिद्धांत पर अडिग रहे।
— बृजेश कुमार शुक्ल
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