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पिछले
सप्ताह
मातृ दिवस
विशेषांक के अवसर पर
सामयिकी
में
रोचक तथ्यों के साथ अर्बुदा ओहरी का
एक
दिन मां के लिए
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संस्मरण
में
प्रख्यात लेखिका चंद्रकांता की स्मृतियां
देखना,
जानना और होना
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महानगर
की कहानियों में
राजेन्द्र मोहन त्रिवेदी
'बंधु' की लघुकथा
मां
! मां
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कला
दीर्घा में
भारतीय कलाकारों की
तूलिका से
मां के विभिन्न रूप
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कहानियों में
भारत से गिरिराज किशोर की कहानी
मां
आकाश है
उस
आवाज़ ने न उसे रूलाया और न डराया पर सहमा ज़रूर दिया। मां को अपना ठिकाना खोजना पड़ा।
बेटी बीचोंबीच अकेली थी। बाप पास था। लेकिन
बच्चे के लिए पिता कितना भी बड़ा हो कितना भी
शक्तिशाली हो मां के मुकाबले तब तक नगण्य रहता है
जब तक इतर कारणों से वह पिता की विशिष्टता को
स्वीकार करने लायक नहीं होता। बच्चा कहता था मुझे
मां चाहिए। पिता कहता था मां बीमार है। उसकी समझ
में नहीं आता था कौन बीमार है। धीरेधीरे बच्चे
ने अपने अंदर दो घर बना लिए। अंदर वाला मां को दे
दिया। बाहर वाला पिता के लिए रख लिया। जब पिता आते
तो बच्चा पूछता, "पापा, क्या मां कभी नहीं आएगी?"
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इस
सप्ताह
कहानियों में
भारत से ऋषि कुमार शर्मा की कहानी
ठूंठ
हमेशा की तरह आज भी शर्मा जी के घर से
उनके टेप रिकार्डर पर बज रही गायत्री मंत्र की मधुर धुन तथा ऊंचे
स्वरों में हरे कृष्ण का जाप शर्मा जी द्वारा बदस्तूर जारी था। यह
परिचायक था कि भोर का आगमन हो चुका है। शर्मा जी भी पूरी तरह
लैस होकर हाथ में छ़डी ले तैयार थे सुबह की सैर के लिए। नन्हा
राहुल भी अपने चिरपरिचित अंदाज़ में अपने बाबा के साथ तैयार
था। यद्यपि सुबह की सैर से उसका कोई लेना-देना नहीं था, वह
तो जाता था, दाऊ जी हलवाई की गरमा-गरम कचौ़डी के लिए। आगे-आगे
राहुल और पीछे उसके बाबा। आज फिर शर्मा जी उस ठूंठ के सामने
जाकर रूके और अपनी छड़ी को उसके साथ टिकाकर व्यायाम करने
लगे।
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हास्य
व्यंग्य में
अभिरंजन
कुमार का आलेख
जब मैने आदमी नाम का कुता पाला
°
विज्ञान
वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप की पड़ताल
लड़कियां
लड़कों
सी
नहीं
होतीं
°
प्रौद्योगिकी
में
रविशंकर श्रीवास्तव के साथ
अंतरजाल पर
हिंदी
के बढ़ते कदम
°
साहित्य
समाचार में
असगर वजाहत एवं गोविंद शर्मा को
कथा
यू.के. सम्मान 2006
सप्ताह का
विचार
पुरूष
है कुतूहल व प्रश्न और स्त्री है विश्लेषण, उतर और सब
बातों का समाधान। जयशंकर प्रसाद
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कविताओं,
शिशुगीतों, नयी
हवा
और
क्षणिकाओं में
पांच नये कवि ढेर सी नयी रचनाओं के साथ
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° पिछले अंकों
से °
कहानियों में
बुधवार का
दिनगुरमीत बेदी
धूप के मुसाफ़िर
मुशर्रफ़ आलम ज़ौक़ी
सेल
इला प्रसाद
अब
कहां जाओगे ए असफल
जेबकतरे
भूपेन्द्र कुमार
दवे
टेढ़ी उंगली और
घी
जयनंदन
°
हास्य
व्यंग्य में
तोहफ़ा
टमाटरों कामनोहर पुरी
फैशन
शो में . . .शास्त्री नित्यगोपाल कटार
हमारे पतलू
भाईनीरज त्रिपाठी
इतने पदक
कैसेƖगुरमीत बेदी
°
मंच
मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में
खेल
एलपीएमसीपीएम का
°
नाटक
में
मिलिंद तिखे के नाटक का
अंतिम भाग
फिर
दीप जलेगा
°
चिठ्ठापत्री
में
चिठ्ठापंडित की पैनी नज़र
अप्रैल
महीने के चिठ्ठों पर
°
प्रकृति
में
गुरमीत बेदी दिखा रहे हैं
कांटों में खिलता सौंदर्य
°
नाटक
में
दो किस्तों में मिलिन्द तिखे
का नाटक
फिर
दीप जलेगा
°
फुलवारी
में
ललित
कुमार से जानकारी की बातें
अमेरिका,
कैनेडा, मेक्सिको
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