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पिछले
सप्ताह
सामयिकी में
हिन्दी दिवस के अवसर पर उषा राजे
सक्सेना का आलेख
यू के में हिन्दी भाग1 और कोलंबो
से श्री शरणगुप्त वीरसिंह
का आलेख
श्रीलंका हिंदी निकेतन की हिंदीयात्रा साथ
ही विजय कुमार
मल्होत्रा का आलेख
ऑफ़िस हिंदीःमाइक्रोसॉफ्ट की नई
सौगात
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आज सिरहाने में
डा सतीश दुबे परिचय करवा रहे
हैं
'वाकिंग पार्टनर' से
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कहानियों में
यू एस ए से सीमा खुराना की कहानी
बूढ़ा
शेर
अपना
चालीसवां जन्मदिन मनाते समय मुझे अपनी बढ़ती
हुई उम्र का इतना एहसास नहीं हुआ था जितना जन्मदिन
के कुछ महीनों बाद पापा को चुपचाप बैठे देखकर हुआ
था। उस दिन दिनेश पापा और मम्मी से बात कर रहा था।
दिनेश मेरा छोटा भाई, हम सब का लाड़ला, यहां तक
मेरा भी लाड़ला। मुझसे चौदह साल छोटा होने के
कारण वह मुझे हमेशा अपना भाई कम और बेटा जैसा
ज्यादा लगता है। दिनेश उस दिन अपनी शादी की बात कर
रहा था मौनिका के साथ। मम्मी उससे सवाल
जवाब कर रही थी। भैया भी बैठे थे और पापा भी। पर
मेरा ध्यान नहीं गया तब तक, दिनेश ने झुंझला कर
यह नहीं कहा, "पापा अगर आप को मेरे जिंदगी में
कोई दिलचस्पी है, तो यह अखबार छोड़ दो . . ."
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इस
सप्ताह
कहानियों में
भारत से अनामिका रिछारिया की कहानी
अंतराल
दोपहर की नींद से जागा तो
देखा, शिखा तैयार हो रही है। शाम के साढ़े चार बज
रहे हैं। जब तक मैं बिस्तर छोडूंगा, शिखा और अंकित का
छुपाछुपी का खेल चारछह बार खेला जा चुका होगा।
शिखा भी अंकित के साथ बिल्कुल बच्चा बन जाती है।
कितनी ख्याल रखती है उसकी पसंद और नापसंद का। अंकित के
कारण अपने व्यक्तिगत कार्य
भी स्थगित कर देती हैं। अंकित भी कितना खुला है अपनी
मां से। दोनों में मांबेटे का कम दोस्त का रिश्ता
ज्यादा है। मेरे कम बोलने को लेकर दोनों ही मुझे
उलाहना देते रहते हैं। मैं सिर्फ मुस्कराकर रह जाता हूं
क्योंकि मैं इसका कारण जानता हूं। कितना फर्क है अंकित
और मेरे बचपन में।
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हास्य
व्यंग्य में
एस आर हरनोट का व्यंग्य
रोबो
°
प्रकृति
और पर्यावरण में
प्रभात कुमार की कलम से
पर्यावरण, प्रदूषण
एवं
आकस्मिक संकट
°
विज्ञान
वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप के शब्दों में
कथा
डी
एन
ए
की
खोज
की
(दूसरा भाग)
° ब्रिटेन
में हिन्दी
के अंतर्गत उषाराजे सक्सेना के आलेख
का दूसरा भाग
विकास
में लगी संस्थाएं
°
सप्ताह का विचार
नाव जल में रहे लेकिन
जल नाव में
नहीं रहना चाहिये, इसी प्रकार साधक
जग में रहे लेकिन जग साधक के मन
में नहीं रहना चाहिये।
रामकृष्ण परमहंस |
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अनुभूति
में
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मीना
छेडा,
अंजल प्रकाश
और
सुभाष खरे
की
19 नई कविताएं
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° पिछले अंकों से°
कहानियों में
पानी
का रंगकुसुम अंसल
मातमपुरसीसूरज प्रकाश
चिड़ियाअमरेन्द्र कुमार
झूमरभीष्म
साहनी
मौखिकीदेवेन्द्र सिंह
कोसी
का घटवारशेखर जोशी
°
साहित्यिक निबंध
में
डा हजारी प्रसाद द्विवेदी का लेख
अशोक के फूल
°
हमारी संस्कृति में
मानोशी चैटर्जी का आलेख
भारतीय शास्त्रीय
संगीत
°
दृष्टिकोण
में
डा रति सक्सेना का आलेख
संस्कृति की आड़ में
°
रसोईघर
में
पुलावों की श्रृंखला में दक्षिण
भारत से हेमा द्वारा भेजा गया व्यंजन
बिसिबेले भात
°
नगरनामा
में
स्वदेश राणा का आलेख
न्यूयार्क
का नगरनामा
तआरूफ़ अपना बकलम ख़ुद
°
पर्यटन में
सैरसपाटे को निकलते हैं
माया
नगरी
मुंबई
विभा प्रकाश श्रीवास्तव के साथ
°
मंचमचान
में
अशोक चक्रधर का अगला संस्मरण
क्या
होती है थेथरई मलाई
°
फुलवारी में
जानकारी के लिए
आविष्कारों की कहानी
और शिल्प कोना में कुछ करने के लिए
आओ
मिलें गले
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