अनुभूति

 1. 9. 2004

आज सिरहानेआभारउपन्यासउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा
घर–परिवारदो पलपरिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगफुलवारीरसोईलेखकलेखकों सेविज्ञान वार्ता
विशेषांकशिक्षा–सूत्रसाहित्य संगमसंस्मरणसाहित्य समाचारसाहित्यिक निबंधस्वास्थ्यसंदर्भसंपर्कहास्य व्यंग्य

 

पिछले सप्ताह

प्रौद्योगिकी में
रविशंकर श्रीवास्तव का आलेख
अब कंप्यूटर
पूरी तरह हिन्दी में

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प्रकृति में
विश्वनाथ सचदेव की कलम से
बिन चिड़िया का जंगल

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विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप सुना रहे हैं
कथा डी एन ए की खोज की

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साक्षात्कार में
रंगकर्मी माला हाशमी से
मनोज कुमार कैन की बातचीत
नुक्कड़ नाटकों की दुनिया

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कहानियों में
यू एस ए से अमरेन्द्र कुमार की कहानी
चिड़िया

अमेरिका में हर ऋतु एक पहचान लिए आती है। हवा, आकाश, धूप और पत्तों का रंग बता देता है कि कौन सा मौसम है। दिल्ली में ऐसा कभी लगता नहीं था। एक मौसम दूसरे मौसम पर लदा हुआ सा आता था जैसे कि उसके अपने हाथ पैर ही न हो। और, जब तक कि आप उसे पहचान पाएं मौसम बदल जाता था। धुंध भरी सर्दी एक उदास चेहरे की तरह होती थी। उसमें पता भी न चल पाता था कि कब वसंत चुपके से आकर किधर निकल गया।

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इस सप्ताह

कहानियों में
भारत से सूरज प्रकाश की कहानी
मातमपुर्सी

इस शहर को हमेशा के लिए छोडने के बाद अब यहां से मेरा नाता सिर्फ़ इतना ही रहा है कि साल छः महीने में हफ्ते दस दिन की छुट्टी पर मेहमानों की तरह आता हूं और अपने खास खास दोस्तों से मिल कर या फिर मां बाप के साथ भरपूर वक्त गुज़ार कर लौट जाता हूं। रिश्तेदारों के यहां जाना कभी कभार ही हो पाता है। हर बार यही सोच कर आता हूं कि इस बार सबसे मिलूंगा‚ सब की नाराज़गी दूर करूंगा‚ लेकिन यह कभी भी संभव नहीं हो पाया है। 

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नगरनामा में
स्वदेश राणा का आलेख
न्यूयार्क का नगरनामा 
तआरूफ़ अपना बकलम ख़ुद

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पर्यटन में
सैर–सपाटे को निकलते हैं
माया नगरी मुंबई
विभा प्रकाश श्रीवास्तव के साथ

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मंचमचान में
अशोक चक्रधर का अगला संस्मरण
क्या होती है थेथरई मलाई

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फुलवारी में
जानकारी के लिए
आविष्कारों का
कहानी
और शिल्प कोना में कुछ करने के लिए
आओ मिलें गले
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सप्ताह का विचार
य से ही दुख आते हैं, भय से ही मृत्यु होती है और भय से ही बुराइयां उत्पन्न होती हैं। —विवेकानंद

 

अनुभूति में

भारत से शरद तैलंग
पंकज कोहली
एहतेशाम अख्तर
कैनेडा से मानोशी चैटर्जी व कोरिया से मैट रीक की नई कविताएं

–° पिछले अंकों से°–

कहानियों में
झूमर–भीष्म साहनी
मौखिकी–देवेन्द्र सिंह
कोसी का घटवारशेखर जोशी
अनोखी रात–विद्याभूषण धर
एक और कुआनो –संतोष गोयल
सलाखों वाली खिड़कीविनीता अग्रवाल

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सामयिकी में
मधुलता अरोरा का आलेख

डाकटिकटों में बखानी तिरंगे की कहानी

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हास्य व्यंग्य में  
महेशचंद्र द्विवेदी की रचना
लॉ एण्ड आर्डर

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आज सिरहाने में एस आर हरनोट के
नये उपन्यास
हिडिम्ब का परिचय
दीपिका जोशी द्वारा

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डा सी पी त्रिवेदी की कलम से
सांस्कृतिक विरासत का अंग
अशोक स्तंभ

तथा सुनील मिश्र की कलम से
महेन्द्र कपूर : देशराग के अनूठे गायक

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उपहार में स्वतंत्रता दिवस की
शुभकामनाओं के साथ नया जावा आलेख
सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा
और पुराने अंक से
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा

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वैदिक कहानियों में
डा रति सक्सेना की जानकारी
उषा और मरूत के विषय में

 

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© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन     
        सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी सहयोग :प्रबुद्ध कालिया  साहित्य संयोजन :बृजेश कुमार शुक्ला