अनुभूति

 16. 5. 2004

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पिछले सप्ताह

उपन्यास में
स्वदेश राणा के नये अप्रकाशित उपन्यास
कोठेवाली का पांचवां भाग
सिर्फ उफक वहीं का वहीं था, डूबते सूरज की फैलती सुर्खी में नहाया। छोटे छोटे रूई के गोलो जैसी बदलियों के तौलिए से बदन पोंछता ताहिरा आंख झपकने से कतरा रही थी। बीच आसमान में उगते डूबते सूरज के रंग उसने देखे थे। लेकिन मीलों फैली हरियाली के पार रंग बदलता उफक? नज़र के सामने! पहुंच से दूर! इतनी नज़दीकी, इतना फासला!
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परिक्रमा में
दिल्ली दरबार के अंतर्गत
भारत से बृजेश कुमार शुक्ला का आलेख
हाईटेक हुए साधू संत
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वैदिक कहानियों में
डा रति सक्सेना की कलम से
वरूण(2)
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रसोईघर में
शाकाहारी मुगलई के अंतर्गत तैयार है
तंदूरी शिमला मिर्च
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कहानियों में
भारत से अलका प्रमोद की कहानी
बादल छंट गए

उस पत्र पर उकेरे चिरपरिचित अक्षर देख कर, अतीत के धुंधलके से विस्मृत हुए चित्र, उभरकर सामने आ गए, जिन्होंने कनु को क्षण भर के लिए निस्पंद कर दिया। इस लिखावट को वह कैसे भूल सकती है, इसी लिखावट को लिखने वाले ने उसकी जीवन पत्री के चंद पन्ने ऐसे लिखे जिन्हें स्मरण करने मात्र से उसके मुंह का स्वाद कसैला हो जाता है। आज उसी के द्वारा लिखा पत्र पता नहीं किस झंझावात की पूर्व सूचना है।

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!इस सप्ताह

कहानियों में
भारत से ममता कालिया की कहानी
पीठ

ह आईमैक्स एडलैब्स के विशाल गुंबद छविगृह के परिसर में, 'एडोरा' के शोरूम में, तस्वीर की तरह, एक स्टूल पर बैठी थी। उसके चारों ओर तरह–तरह के विद्युत उपकरण चल–फिर रहे थे, जल–बुझ रहे थे। स्वचालित सीढ़ियां और पारदर्शी लिफ्ट को एक बार नजरअंदाज कर भी दिया जाए पर विद्युत झरने पर तो गौर करना ही पड़ा जो अपनी हरी रोशनी से उसे सावन की घटा बना रहा था। कैफे की कुर्सी पर टिका–टिका हर्ष उसे बड़ी देर तक देखता रहा। उसे लगा, उसके सामने 4x6 का कैनवास लगा है जिस पर झुका हुआ वह इस ताम्रसुंदरी का चित्र बना रहा है। पहले वह हुसैन की तरह लंबी, खड़ी, तिरछी बेधड़क रेखाएं खींचता है, फिर वह रामकुमार की तरह उसमें बारीकियां भर रहा है। 

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नगरनामा में
ग़ज़ाल ज़ैग़म का इलाहाबाद
मौसम मेरे शहर के

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प्रकृति और पर्यावरण में
प्रभात कुमार का जानकारी पूर्ण आलेख
सागर की संतानें
अल–नीनो एवं ला–नीना

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आज सिरहाने में
कमलेश्वर के उपन्यास
कितने पाकिस्तान
से परिचय

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हास्य व्यंग्य में
महेश चंद्र द्विवेदी का आलेख
ग्रे हाउंड से एटलांटा लुइविल सिनसिनाटी की यात्रा1
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!सप्ताह का विचार!
मेहनत करने से दरिद्रता नहीं रहती,
धर्म करने से पाप नहीं रहता, मौन रहने
से कलह नहीं होता और जागते रहने
से भय नहीं होता
—चाणक्य

 

अनुभूति में

गीत और ग़ज़ल
शरद तैलंग के 
साथ ही
आशुतोष सिंह व 
संजय कुमार की कविताएं

° पिछले अंकों से°

कहानियों में

गौरैया–रवीन्द्र कालिया
ढंकी हुई बातेंतरूण भटनागर
यही सच हैमन्नू भंडारी
आई एस आई एजेंट–महेश चंद्र द्विवेदी
टेपचूउदय प्रकाश 
आते समयडा कुसुम अंसल
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सामयिकी में
मई दिवस के अवसर पर
योगश चंद्र शर्मा प्रस्तुत कर रहे हैं
मई दिवस की यात्रा कथा

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नगरनामा में
असगर वजाहत द्वारा पत्र शैली में लिखा गया बुदापेस्त का नगर वृतांत
इस पतझड़ में आना

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फुलवारी में
जंगल के पशु श्रृखला में जानकारी 
कस्तूरी मृग,
हिरन का एक सुंदर सा चित्र
रंगने के लिए
और कविता — हिरन

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मंच मचान में
अशोक चक्रधर प्रस्तुत कर रहे हैं
ढिंचिक–ढिंचिक वाली रामचरित मानस

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परिक्रमा में 
शैल अग्रवाल की कलम से
वसुधैव कुटुम्बकम

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विज्ञान वार्ता में
'
आपका सूरज आपकी मेज़ पर'
डा गुरूदयाल प्रदीप का आलेख
डेस्कटॉप न्युक्लियर फ्यूज़न संयंत्र

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प्रौद्योगिकी में
भारत में कंप्यूटर के बढ़ते कदम
नगर नगर कंप्यूटर

 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
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प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना   परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन    
       सहयोग : दीपिका जोशी
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