शुषा लिपि
सहायता

अनुभूति

 9. 8. 2003

आज सिरहानेआभारउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथाघर–परिवार
दो पल
परिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगफुलवारीरसोईलेखकलेखकों सेविज्ञान वार्ता
विशेषांक
शिक्षा–सूत्रसाहित्य संगमसंस्मरणसाहित्यिक निबंधस्वास्थ्यसंदर्भसंपर्क
हास्य व्यंग्य

 

पिछले सप्ताह

सामयिकी में
तुलसी जयंती के अवसर पर तुलसीदास के
व्यक्तित्व और कृतित्व से एक परिचय
हुलसी के तुलसी
°

साक्षात्कार में
उर्मिला शिरीष की बातचीत
चित्रा मुद्गल
के साथ
°

कलादीर्घा में
कला और कलाकार के अंतर्गत
जतीन दास
 
का परिचय 
उनके चित्रों के साथ
°

फुलवारी में
सितारों की दुनिया स्तंभ के अंतर्गत
इला प्रवीन से जानकारी
वृहस्पति ग्रह
और कहानियों में 
अंजलि राजगुरू की मजे़दार कहानी
बंटी की आइस्क्रीम
°

कहानियों में
भारत से एस आर हरनोट की कहानी
बिल्लियां बतियाती हैं

म्मा का झगड़ा शुरू हो गया है। अपन
आप से। दियासलाई की डिब्बिया से।
ढिबरी से। चूल्हे में उपलों के बीच ठुंसी
आग से और बाहर–भीतर दौड़ती
बिल्लियों से। यही सब होता है जब
अम्मा उठती है। वह चार बजे के
आसपास जागती है। ओबरे में पशु भी
अम्मा के साथ ही उठ जाते हैं। आंगन में
चिड़िया को भी इसी समय चहकते सुना
जा सकता है और बिल्लियों की भगदड़
भी अम्मा के साथ शुरू हो जाती है। यह
नहीं मालूम कि अम्मा पहले जागती है या
कि अम्मा की गायें या कि चिड़िया या
फिर बिल्लियां।
°

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इस सप्ताह

कहानियों में
यू एस ए से सुषम बेदी की कहानी
अज़ेलिया के फूल

"भारत जाती रहती हैं आप?" यह सवाल मैंने उठाया था।

"इतने साल तो हम लोग भारत में ही रहे। निक फोर्ड फाउन्डेशन के हैड थे न वहां। . . .अभी पांच साल ही तो हुए हैं यहां आए। कोई खास नहीं जाती। यूं भी।"

उनका "यूं भी" मेरी आंखों में शायद सवाल बना टंगा रहा था इसीलिए कहना फिर से जारी कर दिया – "वहां जाकर मन खराब हो जाता है . . .सब लोग बस रोते–धोते ही हैं! यहां अच्छा ही है कि लोग सिर्फ उपरी बात ही करते हैं . . .अपने कष्टों को लेकर चुप ही रहते हैं . . .एक हफ्ते के लिये गयी थी . . .सिर्फ रोना ही सुनती रही। जी उखड़ गया।"

°

परिक्रमा में
दिल्ली दरबार के अंतर्गत 
बृजेश कुमार शुक्ला का आलेख 
हरियाला ताज परिसर

°

महानगर की कहानियों में
मधु संधु की लघुकथा
अभिसारिका

°

पर्व परिचय में
12अगस्त रक्षाबंधन के अवसर पर
एन शाह का आलेख
बंधन धागों का

°

स्वास्थ्य संदर्भ में
दीपिका जोशी की भोजन पड़ताल
पिज़ा की पौष्टिकता

°

!सप्ताह का विचार!
नुष्य क्रोध को प्रेम से, पाप को
सदाचार से लोभ को दान से और झूठ
को सत्य से जीत सकता है।
—गौतम बुद्ध

 

अनुभूति में

यू एस ए, नेपाल और भारत से
लावण्या, उमेश, साधक और अजंता की
17 नयी रचनाएं

साहित्य समाचार
नार्वे से नये साहित्य समाचार

° पिछले अंकों से°

उपन्यास में
ए बी सी डी–रवीन्द्र कालिया
°
कहानियों में
लावारिस–
विद्याभूषण धर
चीफ़ की दावतभीष्म साहनी
मन्ना जल्दी आना–दयानंद पांडेय
भटकावतरूण भटनागर
खुशबूग़ज़ाल ज़ैग़म
°
हास्य व्यंग्य में महेश चंद्र द्विवेदी का चुटीला व्यंग्य प से पोटा
°
आज सिरहाने में अमरीक सिंह दीप का कहानी संग्रह चांदनी हूं मैं का परिचय 
°
रसोई घर में 'शाकाहारी मुगलई का मस्त ज़ायका' के अंतर्गत आलू दो प्याज़ा
°
यू के में हिन्दी 
के अंतर्गत वेद मित्र की कलम से
हस्तलिखित पाठों से हिन्दी ज्ञान
प्रतियोगिता तक
°
 
धारावाहिक में 
कृष्ण बिहारी की आत्मकथा का
अगला भाग
दो घण्टे चालीस मिनट का सफ़र
°
विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप से विज्ञान चर्चा
नैनोटेक्नॉलॉजी या फिर जादुई चिराग
°
संस्मरण में
गोविन्द मिश्रा का यात्रा संस्मरण
उजाले की चलती–दौड़ती लकीर

°

परिक्रमा में

लंदन पाती के अंतर्गत 
शैल अग्रवाल का आलेख 

वृहत आकाश

और नार्वे निवेदन के अंतर्गत
ओस्लो, नार्वे से
सुरेश चंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' द्वारा 
नार्वे निवेदन

 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना   परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन     
       सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी सहयोग :प्रबुद्ध कालिया   साहित्य संयोजन :बृजेश कुमार शुक्ला