प्रिय
दोस्तों,
आशा है तुम सब ठीक होंगे और तुम सब की पढ़ाई अच्छी चल रही
होगी।
आज मैं
तुम्हें वृहस्पति ग्रह के बारे में जानकारी दूँगी। सूरज से
यह ग्रह पाँचवें स्थान पर हैं। यह ग्रह पृथ्वी से तीन सौ
अट्ठारह (३१८) गुना बड़ा है। इसका परिक्रमा पथ ७७८,३३०,०००
किलोमीटर लम्बा है और इसकी चौड़ाई १४२,९८४ किलोमीटर है।
दोस्तों, तुम्हें पता है, सूरज, चाँद, शुक्र और मंगल ग्रह
के बाद वृहस्पति ग्रह, आकाश में चौथी सबसे बड़ी चमकने वाली
चीज़ है!
वृहस्पति ग्रह १० % हाइड्रोजन और १० % हीलियम है तथा मीथेन,
पानी, अमोनिया और पत्थर भी इस ग्रह पर बहुत छोटी मात्रा
में पाए जाते हैं। वृहस्पति ग्रह का कोर अधिकतर पत्थरों से
बना है। इस कोर के ऊपर यह पूरा ग्रह द्रव धात्वीय
हाइड्रोजन के रूप में स्थित है। इस ग्रह की सबसे बाहरी परत
साधारण द्रव आण्विक हाइड्रोजन और हीलियम की बनी है जो
भीतरी तरफ़ द्रव है तथा बाहर की तरफ़ गैस है।
दोस्तों
अगर तुम इस ग्रह की तस्वीर देखो तो तुम्हें इस ग्रह पर
रंगबिरंगी धारियाँ दिखेंगी। इन धारियों का राज़ है इस ग्रह
पर चलती तेज़ हवा। रासायनिक अभिक्रियाओं तथा तेज़ हवा के
कारण बदलता तापमान इन रंगबिरंगी धारियों के लिए ज़िम्मेदार
है।
दोस्तों
तुम्हें पता है, जिस तरह पृथ्वी का एक उपग्रह है, चाँद,
उसी प्रकार वृहस्पति ग्रह के एक्सठ उपग्रह हैं!! इनमें से
चार मुख्य हैं जिनके नाम हैं लो, यूरोपा, गैनिमेड और
कैलिस्टो। बाकी के सत्तावन उपग्रहों में से तेईस उपग्रहों
को नाम दिए जा चुके हैं मगर चौंतीस अभी भी बेनाम हैं।
आशा हैं
तुम्हें वृहस्पति ग्रह का ये अंक पढ़ने में मज़ा आया होगा।
अगले अंक में एक नए ग्रह के साथ फिर मिलेंगे।
ठीक से पढ़ाई करना और अपना ख़याल रखना।
ढेर से प्यार के साथ,
तुम्हारी,
गुल्लू दीदी
१ अगस्त
२००३
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