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कहानियां
। कविताएं । साहित्य
संगम ।
दो पल ।
कला दीर्घा
। साहित्यिक निबंध
।
उपहार
। परिक्रमा |
पिछले सप्ताह सामयिकी
में °
साहित्य
संगम में जब कोई किसी और के बच्चे को
इतने ° प्रेरक
प्रसंग में °
रसोईघर में °
महानगर की
कहानियां में
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इस सप्ताह
कहानियों
में यह भी कोई बात हुई
इस वयस्कसी उम्र में अटपटाकर कहने की? मैंने भूलकर आँखें
उठायी कि तुम्हारी आँखों में कितनी और कैसी हँसी हैं।
लेकिन देखा तो तुम्हारी दृष्टि में सिर्फ ढेर सारे रेशमी पंख थे।
मैं एक भी पंख न बटोर पायी। आँखें संकोच से झुक गयी
थीं। तुम फिर से उस पीले फूल वाली सदी के छोर पर पहुँच
गये थे। आज
सिरहाने में
निबंध
में
परिक्रमा
में
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° पिछले अंकों से °
विज्ञान
वार्ता में डा गुरू दयाल प्रदीप
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कहानियां।कविताएं।साहित्य संगम।दो पल।कला दीर्घा।साहित्यिक निबंध।उपहार।परिक्रमा।
आज सिरहाने |
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प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना
परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी
सहयोग :प्रबुद्ध कालिया
साहित्य संयोजन :बृजेश कुमार
शुक्ला