नार्वे निवेदन
प्रथम प्रवासी
दिवस पर
अनियमितताओं
और समस्याओं को दूर करना जरूरी
प्रथम
प्रवासी भारतीय दिवस दिल्ली में 9 जनवरी से 12 जनवरी 2003
तक बहुत धूमधाम से सम्पन्न हो गया। इस सम्मेलन में 60 देशों से
आये 1500 प्रतिनिधियों नें भाग लिया, अनेक सुझाव
दिये तथा सरकार द्वारा मनाये जाने वाले इस प्रथम प्रवासी
भारतीय दिवस का गरमजोशी से स्वागत किया। प्रधानमन्त्री
अटल बिहारी वाजपेयी ने सदी के प्रथम प्रवासी
भारतीय दिवस का उदघाटन
करते हुए सात देशों में रहने वाले प्रवासी
भारतीयों को दोहरी नागरिकता देने की घोषणा
करते हुए अपनी कविता आशु कविता पढ़ी
विदेश
में देश की शान
बनाई
भारत की पहचान
सदा
हमारे दिल में बसते
कैसे
कहें मेहमान
दूरदूर
जाकर भी
भूल
न पाये माँ का प्यार
भरत माँ
के बेटों का
है
भारत में सत्कार
जब
जी चाहे तब आ जाना
खुले
हुए हैं द्वार।
अटल बिहारी वाजपेयी
इस
अवसर पर इस सम्मेलन की बुनियाद रखने वाले विज्ञ
राजसभा सदस्य डा .लक्ष्मीमल सिंघवी ने महत्वपूर्ण भूमिका
निभाई और पूरे समय उपस्थित रहे। आदरणीय सिंघवीजी भी एक
कवि हैं उन्होंने भी अपनी एक कविता पवासी
भारतीयों के स्वागत में पढ़ी।
वाह
रे अटल बिहारी जी आप तो मेरे आदर्श वक्ता रहे हैं। जब भी
उनका लखनऊ में भाषण होता था तब अवश्य सुनने जाता था।
मैं भी कभी कल्पना किया करता था कि एक अच्छा वक्ता बनूं।
विदेशों
में रहने वाले प्रवासी
भारतीय भारत को दिन पर दिन तेजी से समृद्ध
देखना चाहते हैं, इसके लिए बहुत कुछ करना चाहते हैं।
आशा है कि सरकार हमारे सुझावों को ध्यान से सुनेगी।
अक्सर देखने में आता है कि जिस जिम्मेदार अधिकारी और नेता
से ये प्रवासी
भारतीय भारत के विकास और समृद्धि
के लिए बातचीत करते हैं उनमे से ज्यादातर लोग अपने निजी लाभ
और स्वार्थ से आगे नहीं बढ़ पाते। अच्छा
है कि प्रवासी
भारतीयों के लिए सरकार एक विभाग बनाना चाहती है। आशा
है इसके द्वारा विकास कार्य में गति आयेगी और प्रवासी
भारतीयों को गम्भीरता से लिया जायेगा।
इस
सम्मेलन में अनेक पकार
के सुझाव आये और सरकार की तरफ से भी अनेक संभावनायें
देखी गयीं। भारत के विकास पर सभी प्रतिनिधियों
ने सन्तोष व्यक्त किया और भारत से अपने अटूट सम्बन्ध और
प्रेम को व्यक्त किया। अनेक प्रतिनिधियों
नें भारत में अनियमताओं और भ्रष्टाचार
की शिकायत की।
17
सितम्बर 2002 को नार्वे में उत्तर प्रदेश
के विधानसभा अध्यक्ष केशरीनाथ त्रिपाठी
जी से उत्तर प्रदेश
के विकास पर बातचीत करते हुए लेखक ने कहा था कि हम अपने प्रदेशदेश
को नार्वे की तरह साफ सुथरी व्यवस्था और सभी को निशुल्क
चिकित्सा और शिक्षा प्रदान
कर पायें तो कितना अच्छा होता। त्रिपाठी
जी ने कहा था हमारे यहां
विजन की कमी है।
बैंक
मे लेनदेन की समस्या
भारतीय
बैंकों की कार्यप्रणाली
कुछ मामले में बहुत खराब है, एक उदाहरण प्रस्तुत
है। पत्राचार
और सर्विस में उन्हें
बहुत सुधार की जरूरत
है। यदि इन बैकों ने सुधार न किया तो विदेशी बैंको
को अवसर मिलेगा। पंजाब नेशनल बैंक जोरबाग जिमखाना
क्लब नयी दिल्ली में एक चेक नार्वे के नूरदेया बैंक से वहां
के एक प्रवासी
भारतीय के खाते नम्बर पर भेजा गया पर बैंक ने उसे यह कह कर
वापस कर दिया कि पता गलत है। चेक पर पता सही था। जब भारतीय
पंजाब नेशनल बैंक नयी दिल्ली ने वह चेक प्राप्त
किया तो अपने पास तब तक रखा जब तक भारतीय रूपये की कीमत ज्यादा
थी जब भारतीय रूपये की कीमत कम हुई तब बैंक ने वापस
भेजने वाले को नार्वे के नूरदेया
बैंक में दस हजार भारतीय
रूपये कम भेज दिये।
यह
एक ग्राहक
के साथ दो बार हो चुका है। इस लेख के माध्यम से आग्रह
है कि भारतीय सी बी आई और रिजर्व बैंक आफ इंडिया इसकी
जांच करे और बैंक से अपने ग्राहकों
की लिस्ट पते में, गलत पते के नाम पर लेनदेन में की जा
रही हेरा फेरियां रोके और सम्बधित अधिकारियों को दण्डित करते
हुए अपने तंत्र में तुरन्त सुधार करें और कार्यवाही की
जानकारी भारतीय प्रेस
और शिकायत कर्ता को अवगत करायें ताकि हम कह सकें कि भारतीय
बैंकों में भी अनियमताओं को ध्यान से सुना जाता है और
सुधार किये जाते हैं।
प्रवासी
भारतीय सम्मेलन में इस तरह की समस्यायें हल की जानी
चाहिये और सम्बन्धित
अधिकारी का निलम्बन हो या घाटे का मूल्य उसकी आय से काटा
जाये यह निर्णय सरकार करे पर एक बात तो सही है कि यदि सुधार
न किया गया तो बैंक की साख घटेगी और लोग बैंक
बदलेंगे।
सवार्गींण
विकास हेतु मदद
भारत के प्रवासी, अपने अपने
मूल भारतीय प्रदेश के सवार्गींण विकास
हेतु मदद देना चाहते हैं। शिक्षा, विद्युत, स्वास्थ्य, जल किसी भी देश समाज के लिए बहुत जरूरी
है भारत में तो इन सभी क्षेत्रों
मे अधिकतर लोग समुचित लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। प्रवासी
भारतीयों से निवेदन है कि वे भारत के विकास में तन मन
धन से योगदान दें। अपने पूर्वजों की धरती हर तरह से
सम्पन्न हो। आप भी विचार करें और हम भी विचार करें कि
हमने भारत के लिए क्या किया है और क्या कर सकते हैं।
वर्तमान
सरकार ने प्रथम प्रवासी
भारतीय दिवस का आयोजन करवाया। आशा है कि इसे आने
वाली हर सरकार जारी रखेगी।
प्रधानमन्त्री
अटल बिहारी वाजपेई जी आप भी नार्वे आइये आपका हार्दिक
स्वागत है। आप डेनमार्क तक आये परन्तु नार्वे नहीं आये। मेरी
एक कविता अटल बिहारी वाजपेई जी के नाम
तुम
भी आना अटल बिहारी
तुम
भी आना अटल बिहारी
नार्वे
की धरती पर करेंगे स्वागत भारी
सिद्धान्तों
को कभी न छोड़ा
जेलों
में भी जीवन देखा
संघर्षों
को गले लगाया
कभी
न हिम्मत हारी
तुम
भी आना अटल बिहारी . . . . .
चाहे
जो परिवेश रहा है
सेवा
ही सन्देश रहा है
लोकनायक जय प्रकाश नारायण
के साथ चले थे
हम
भी जेल
की चिठ्ठी बांच
रहे थे
जीवन
न्योछावर किया देश पर
देश
तुम्हारा है आभारी
चाहे
भी किसी देश में जाना
नार्वे
की करना तैयारी
तुम
भी आना अटल बिहारी
नार्वे
की धरती पर करेंगे स्वागत भारी।।
डा
सुरेश चंद्र शुक्ला 'शरद आलोक'
|